- गंगाशील एडवांस मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट पर कंज्यूमर फोरम का जुर्माना

- पीडि़त ने इलाज में लापरवाही व ठगी पर वर्ष 2013 में दायर किया था वाद

>BAREILLY

इलाज के नाम पर मरीजों से मोटी फीस वसूलने और मर्ज दूर करने के दावे पर ठगी करने वाले शहर के निजी हॉस्पिटल्स को कंज्यूमर फोरम ने कड़ा संदेश दिया है। महंगी फीस वसूलने के बावजूद मरीज के इलाज में लापरवाही बरतने पर कंज्यूमर फोरम ने गंगाशील एडवांस मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट पर कार्रवाई की है। पीडि़त मरीज ने हॉस्पिटल में तैनात न्यूरो सर्जन से 2013 में कूल्हे के दर्द का इलाज कराया था। आरोप हैं इलाज में 1.90 लाख रुपए खर्च होने के बावजूद मरीज को कोई फायदा नहीं हुआ। पीडि़त ने जब हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन से शिकायत की तो उसे नकार दिया गया। परेशान होकर मरीज ने कंज्यूमर फोरम में वाद दायर कर दिया। जिस पर कंज्यूमर फोरम ने सुनवाई करते हुए हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर निशांत गुप्ता और इलाज कर रहे न्यूरो सर्जन डॉक्टर सुधीर गुप्ता पर 68,000 रुपए का जुर्माना लगाया है।

सरकारी इलाज में खुली पोल

शहर के स्वाले नगर निवासी प्यारे लाल साहू को कूल्हे की समस्या थी। 2013 में उसने गंगाशील एडवांस मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के न्यूरो सर्जन डॉ। सुधीर गुप्ता से इलाज कराया। प्यारे लाल के मुताबिक डॉक्टर ने उसे पूरी तरह ठीक करने की गारंटी लेते हुए हॉस्पिटल में एडमिट किया। इस दौरान उसका इलाज में 1.90 लाख रुपए भी लग गए। डॉक्टर ने बताया कि उसके कूल्हे की समस्या ठीक हो गई है। कुछ समय बाद परेशानी बढ़ने पर प्यारे लाल ने डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ। एसके गुप्ता से इलाज कराया। डॉक्टर ने कूल्हे की एमआरआई कराकर देखा तो प्यारे लाल की समस्या जस की तस दिखी। डॉक्टर ने बताया कि उसका इलाज ठीक से नहीं किया गया। इस पर नाराज पीडि़त ने डॉ। सुधीर गुप्ता व गंगाशील हॉस्पिटल के खिलाफ कंज्यूमर फोरम में वाद दायर कर दिया।

खारिज हुई बचाव की दलील

कंज्यूमर फोरम ने इलाज करने वाले डॉ। सुधीर गुप्ता और हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ। निशांत गुप्ता को तलब कर लिया। एमडी डॉ। निशांत गुप्ता ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि वह केजीएमयू से उपाधि प्राप्त डॉक्टर हैं। इलाज में लापरवाही तभी साबित होती है, जब सबूतों से यह पता हो कि डॉक्टर ने बिना योग्यता के जानबूझकर ऐसा किया हो, जो कि एक डॉक्टर की ओर से नहीं किया जा सकता है। जब कंज्यूमर फोरम ने पीडि़त के इलाज में लापरवाही न करने का प्रमाण एमडी से मांगा तो, वह नहीं दे सके। इस पर कंज्यूमर फोरम ने इलाज में खर्च के 33,000 रुपए मानसिक व शारीरिक कष्ट क्षतिपूर्ति के 25,000 और वाद व्यय के 10,000 रुपए पीडि़त प्यारे लाल को देने का आदेश हॉस्पिटल के एमडी निशांत गुप्ता और डॉ। सुधीर गुप्ता को दिया है।

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कई बार इलाज करते समय ऐसी असावधानी हो जाती है। जिस पर मरीज के परिजन कंज्यूमर फोरम चले जाते हैं। ऐसे ज्यादातर मामले गलत होते हैं। डॉक्टर्स किसी के भी इलाज में लापरवाही नहीं करते हैं। कोर्ट का फैसला है तो सभी को मान्य होना चाहिए।

- डॉ। प्रर्मेन्द्र महेश्वरी, नेक्स्ट आईएमए प्रेसीडेंट