हेडिंग- ठेके पर उठते हैं राजधानी के हॉस्पिटल

-अस्पताल चलाने के लिए अपना नाम देता है गैंग

-पुराने लखनऊ के दर्जनभर हॉस्पिटल हैं शामिल

-सीएमओ ऑफिस जल्द करेगा कार्रवाई

LUCKNOW:राजधानी में डॉक्टर्स का एक गैंग ठेके पर हॉस्पिटल चलाने का काम कर रहा है। जब कभी इन अस्पतालों में छापा पड़ता है या फिर जांच होती है, तो ये डॉक्टर तुरंत हाजिर हो जाते हैं। यह खुलासा सीएमओ कार्यालय की ओर से की गई जांच में सामने आया है। इसकी जानकारी होने के बाद सीएमओ ऑफिस के अधिकारी इन डॉक्टर्स को नोटिस देने और इनकी शिकायत मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से करने की तैयारी में हैं। साथ ही ऐसे नर्सिग होम पर भी शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही है।

आधा दर्जन डॉक्टर्स का गैंग

सीएमओ डॉ। जीएस बाजपेई के निर्देश पर अस्पतालों की चेकिंग के दौरान सीएमओ कार्यालय ने सात ऐसे डॉक्टर्स को चिंहित किया है जो एक दर्जन से अधिक नर्सिग होम से संबद्ध हैं। इनके नाम वहां के बोर्ड और लिस्ट में लिखे हैं। इन डॉक्टर्स में एमडी, एमएस डिग्री धारी डॉक्टर हैं। ये डॉक्टर इन अस्पतालों से मोटी रकम लेकर अपना नाम इस्तेमाल करने की छूट दे देते हैं, लेकिन यह कैसे संभव है कि एक ही डॉक्टर रोजाना इतने अस्पतालों में जाए और पेशेंट्स का ट्रीटमेंट करे। जानकारी मिलने पर सीएमओ कार्यालय के अधिकारियों ने इन सभी पर शिकंजा कसना शुरु कर दिया है।

आनकॉल चल रहा खेल

सीएमओ कार्यालय में लगभग 650 नर्सिग होम व क्लीनिक रजिस्टर्ड हैं। जबकि लगभग 50 के फार्म रजिस्ट्रेशन के लिए पेंडिंग हैं। लेकिन राजधानी में 1200 से अधिक नर्सिग होम व क्लीनिक संचालित किए जा रहे हैं। यहां तक कि पुराने लखनऊ में दो दुकानों के शटर के अंदर ही अस्पताल बना दिए गए हैं। छोटी सी जगह में ऑपरेशन के लिए वहीं आईसीयू बनाए गए हैं। लेकिन इनमें से ज्यादातर के यहां पर डॉक्टर आन कॉल ही रहते हैं। कभी कोई टीम जांच करने जाती है तो बताया जाता है कि डॉक्टर आन कॉल हैं। जो यहां ऑपरेशन करके चले जाते हैं।

कभी नहीं जाते हॉस्पिटल

सीएमओ ऑफिस के अधिकारियों के अनुसार ये डॉक्टर कभी इन अस्पतालों में नहीं जाते हैं, लेकिन रजिस्टर में इनकी इंट्री जरूर मिलती है और मरीजों के आपरेशन भी इनके नाम से होते हैं। कागज पर गंभीर मरीजों को यही देखते हैं। वह भी एक ही समय में ज्यादातर अस्पतालों में इनके मिलने की जानकारी हुई है। नर्सिग होम एसोसिएशन के डॉक्टर्स के मुताबिक ये ऐसे डॉक्टर हैं जो अस्पतालों का ठेका लेकर काम करते हैं। शायद यही कारण है कि इन अस्पतालों से मरीजों की छुट्टी होने पर इलाज करने वाले डॉक्टर के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती और ना ही कोई कागज दिया जाता है।

ज्यादातर पुराने लखनऊ के हॉस्पिटल

जानकारी के अनुसार इनमें से ज्यादातर हॉस्पिटल पुराने लखनऊ, हरदोई रोड और सीतापुर रोड के हैं। हॉस्पिटल के मालिक बीयूएमएस, बीएचएमएस या बीएएमएस डिग्री धारी हैं। इन डॉक्टर्स के नाम पर केजीएमयू सहित स्वास्थ्य विभाग के सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टर ऑपरेशन करने पहुंचते हैं। जांच होती है तो ऑन पेपर यही 6 से 7 डॉक्टर मिलते हैं। नर्सिग होम एसोसिएशन के सूत्रों के मुताबिक इन डॉक्टर्स का गैंग अस्पताल में बेड और उनकी सुविधाओं के आधार पर उन्हें चलाने का ठेका लेता है। हॉस्पिटल में जिस तरह सुविधाएं बढ़ती हैं, उसी हिसाब से इनका रेट बढ़ता जाता है। जो कि एक डेढ़ लाख से पांच लाख रुपए महीने तक है।

देना होता है शपथ पत्र

इन सभी डॉक्टर्स को हॉस्पिटलं में प्रैक्टिस के लिए रजिस्ट्रेशन के समय शपथ पत्र देना होता है। इन आधा दर्जन डॉक्टर्स ने दर्जन भर से अधिक अस्पतालों में शपथ पत्र लगा रखे हैं। यानी वे खुद मानते हैं कि इन सभी में वह काम करते हैं। इन्हीं शपथ पत्रों के सहारे अब सीएमओ कार्यालय सभी को नोटिस भेजने जा रहा है। साथ ही सभी की शिकायत एमसीआई को भी भेजी जाएगी।

उजाला में नहीं मिले थे डॉक्टर

पुराने लखनऊ के उजाला नर्सिग होम को भी ऐसे ही डॉक्टरों द्वारा चलाने की जानकारी सीएमओ कार्यालय को मिली थी। हॉस्पिटल का ओनर बीयूएमएस डिग्री धारी है और उसका रजिस्ट्रेशन भी यूपी में नहीं है। जब यहां छापा मारा गया तो हॉस्पिटल में एक भी डॉक्टर नहीं मिला और ऑपरेशन व मरीजों को देखने वाले डॉक्टर के रजिस्टर भी गायब कर दिए गए। पर, अधिकारियों ने सख्ती की तो दो डॉक्टर हॉस्पिटल पहुंचे और बताया कि वे यहां ट्रीटमेंट रते हैं।

अस्पतालों के रिका‌र्ड्स की जांच में सात डॉक्टर्स के नाम सामने आए हैं। साथ ही अस्पतालों में जाकर भी चेकिंग की जा रही है। अस्पताल और डॉक्टर्स दोनों को नोटिस देने के साथ ही एमसीआई में भी शिकायत की जाएगी।

डॉ। आरके चौधरी, डिप्टी सीएमओ