-ठंडे तेल का अत्यधिक इस्तेमाल है खतरनाक, BHU में एक स्टडी में सामने आयी बात

-आंखों की रोशनी कम होने से लेकर ब्रेन स्ट्रोक व अंधेपन का भी हो सकते हैं शिकार

VARANASI: सर जो तेरा चकराये या दिल डूबा जायतेल मालिश तेल मालिशएक पुरानी हिन्दी फिल्म का यह गाना आज भी लोगों को तरोताजा कर देता है। बात भी सही है सिर में ठंडा ठंडा तेल लगे तो मन का ठंडा हो जाना स्वाभाविक ही है। आजकल तो मार्केट में बहुत से ठंडा ठंडा तेल मिल भी रहा है जिसको सिर में लगाते ही आराम मिलता है। लेकिन भइया जरा संभल कर, आपको सुकून देने वाला यह ठंडा ठंडा तेल आपको अंधा बनाने से लेकर ब्रेन संबंधी कई तरह की बीमारी की चपेट में ला सकता है। न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट आईएमएस बीएचयू के प्रो। वीके मिश्रा के ओपीडी में आये पेशेंट्स पर किये गए एक स्टडी में ये बात सामने आयी है।

फ्00 पेशेंट्स पर किया अध्ययन

प्रो। वीके मिश्रा बताते हैं कि न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के ओपीडी में ख्क् केसेज ऐसे आये जिनकी आंखों की रोशनी लगभग खत्म हो चुकी थी। उन्हें सिरदर्द व दूसरी समस्याएं भी थीं। ईईजी जांच के बाद पता चला कि बे्रन की कार्टेक्स और पेरिबेलम नसें गल चुकी थीं। पूछने पर पता चला कि वे सब पिछले दस सालों से ठंडे तेल का इस्तेमाल कर रहे थे। इसके बाद प्रो। वीके मिश्रा ने अपने ओपीडी में आये फ्00 उन पेशेंट्स पर अध्ययन किया जो ठंडे तेल का इस्तेमाल करते थे। इनमें से की पेशेंट्स में आई साइट कमजोर होने, ब्रेन स्ट्रोक यहां तक अंधेपन की परेशानी भी सामने आयी। इसके बाद इन पेशेंट्स को तेल न लगाने की सलाह दी गयी जिसके बाद उनके रोग में खासा सुधार दिखा।

नशेड़ी भी बनाता है यह तेल

न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट की टीम ने ठंडे तेल की क्वालिटी की जांच के लिए चूहों और खरगोशों पर इसका रिसर्च किया। पाया कि ठंडे तत्वों से बने सब्टेंस में नशे का भी असर होता है जो बिना खाये या स्मोक किये व्यक्ति को नशेड़ी बना देती है। रिसर्च में यह बात भी सामने आयी कि फ्भ् दिनों के अंदर ही चूहों की कार्टेक्स पर पेरिबेलम नसें गलने लगी थीं। प्रो। मिश्रा ने यह रिसर्च पेपर इंदौर में हुए नेशनल न्यूरोलॉजी एकेडमी के सेमिनार में पढ़ा। खास यह कि उनके इस रिसर्च को इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल में भी पब्लिश करने की स्वीकृति मिल चुकी है।