-बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत चिन्हित किये गये 17 बच्चे

-6 बच्चों का हो चुका है ऑपरेशन, बाकी का चल रहा है इलाज

DEHRADUN : अब यह दौर बीत गया है जब हार्ट संबंधी रोगों को बढ़ती उम्र के लोगों की बीमारी माना जाता था। बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का सर्वे बताता है कि अब बच्चों में भी तेजी के साथ कोरोनरी हार्ट डिजीज बढ़ रही हैं। ऐसे में हार्ट डिजीज संबंधी कोई लक्षण आपके बच्चे में नजर आये तो उसे किसी भी सूरत में नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। बच्चे की जांच करवाकर तुरन्त इलाज करवाना चाहिए।

एक साल में क्7 बच्चे चिन्हित

नेशनल हेल्थ मिशन के तहत चलाये जा रहे बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत पिछले एक वर्ष में जिले में क्7 ऐसे बच्चे मिले जो कोरोनरी हार्ट डिजीज की चपेट में थे। इनमें 7 महीने से लेकर क्7 साल तक के बच्चे शामिल हैं। इन बच्चों को इलाज के लिए कोरोनेशन अस्पताल परिसर में स्थित डीईआईसी भेजा गया। जहां से इन बच्चों को इलाज के लिए फोर्टिस अथवा श्री महंत इंद्रेश अस्पताल भेजा गया।

म् बच्चों का हुआ ऑपरेशन

जिन क्7 बच्चों को चिन्हित किया गया है, उनमें से अब तक म् बच्चों का आपरेशन किया जा चुका है। एक बच्चा अभी तक अस्पताल नहीं पहुंचाया गया है, जबकि दो बच्चों के पैरेन्ट्स ने समझाने के बावजूद बच्चे को अस्पताल ले जाने से मना किया है। दो बच्चों का ऑपरेशन फोर्टिस अस्पताल में करवाया गया है, जबकि ब् बच्चों का ऑपरेशन श्री महंत इंद्रेश अस्पताल में कराया गया।

क्या है कारण

डॉक्टरों के अनुसार कम उम्र के बच्चों के हार्ट डिजीज की चपेट में आने के कई कारण हो सकते हैं। हालांकि इस तरह के मामले पहले भी आते थे, लेकिन अब ऐसे मामलों में चिन्ताजनक रूप से वृद्धि हो रही है। डॉक्टर बच्चों में हार्ट डिजीज के मामले बढ़ने का प्रमुख कारण लाइफ स्टाइल में आये बदलाव को मानते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि माता-पिता की लाइफ स्टाइल से गर्भ में पल रहा बच्चा भी प्रभावित होता है, यही वजह है कि कई बच्चे तो मां के गर्भ में ही इस तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।

इलाज से सामान्य जीवन

डॉक्टरों के अनुसार यदि बच्चों में हार्ट डिजीज जैसे लक्षण नजर आ रहे हों तो तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए और यदि जांच रिपोर्ट पॉजिटिव हो तो इलाज करवाना चाहिए। ज्यादातर मामलों में एक ऑपरेशन किया जाता है। इसके बाद बच्चा सामान्य जीवन जी सकता है। हालांकि समय-समय पर डॉक्टर से चेकअप करवाना जरूरी होता है।