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GORAKHPUR: यदि आपसे यह कहा जाए कि अपना गोरखपुर पूरी तरह करप्शन फ्री है तो क्या आप यकीन कर लेंगे? अभी हाल ही में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन के अभाव में मासूमों की मौत के मामले में जो नौ लोग जेल भेजे गए, उन पर करप्शन का ही आरोप लगा है। ऐसे में आप मान भी कैसे सकते हैं कि गोरखपुर करप्शन फ्री है लेकिन, यदि एंटी करप्शन टीम की कार्रवाई के आंकड़े को आधार बनाएं तो यही लगता है कि अपने शहर में करप्शन समाप्त हो गया है। 2017 की जुलाई से अब तक टीम ने करप्शन का एक भी मामला नहीं पकड़ा है। यही नहीं, टीम का दावा है कि उसे इस संबंध में कोई शिकायत नहीं मिली।

 

सीआईडी नहीं करती काम

भ्रष्टाचार निवारण संगठन (सीआईडी) की टीम गोरखपुर में करप्शन के मामले पकड़ने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है। 1 जनवरी 2017 से अब तक एंटी करप्शन की टीम ने कुछ कार्रवाइयां भी की हैं। चार रिश्वतखोरों को रंगे हाथ पकड़ा लेकिन यह सभी कार्रवाई अन्य जिलों में हुई। गोरखपुर में करप्शन का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। आए दिन विभागों से लेकर तमाम जगहों पर करप्शन की शिकायतें आती हैं लेकिन विभाग का कहना है कि उसे करप्शन की कोई कंप्लेंट नहीं मिलती।

 

शिकायत का है इंतजार

एंटी करप्शन डिपार्टमेंट का इस समय बहुत बुरा हाल है। टीम विभाग में बैठे-बैठे शिकायत का इंतजार कर रही है। उसका कहना है कि शिकायत ही नहीं है तो कहां कार्रवाई करें। टीम के सदस्य या तो पुरानी फाइलों को सही करने में लगे रहते हैं या खाली बैठे रहते हैं। उनके पास कोई काम नहीं है।

 

 

यह है सीआईडी की टीम

1 इंस्पेक्टर

1 एसआई

4 कांस्टेबल

1 ड्राइवर

 

 

टीम का यह है कार्यक्षेत्र

गोरखपुर

बस्ती

आजमगढ़

 

 

टीम ने यह की कार्रवाई

वर्ष पकड़े गए मामले

2017 4 (गोरखपुर में एक भी नहीं)

2016 10 (गोरखपुर के 2 मामले)

2015 7

2014 6

 

 

इस साल इन पर हुई कार्रवाई

- आजमगढ़ मंडी समिति के प्रभारी इंस्पेक्टर 65 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ धराया।

- मऊ में लेखपाल 8 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया।

- कुशीनगर में डीआईओएस 20 हजार रुपए लेते पकड़ा गया।

- खलीलाबाद में सहायक लेखाकार 5 हजार रुपये के साथ रंगे हाथ पकड़ा गया।

 

 

2016 में गोरखपुर में सामने आए ये मामले

- नगर निगम का बाबू पीयूष रस्तोगी डेढ़ हजार रुपए रिश्वत लेता पकड़ा गया।

- सिंचाई विभाग का बाबू तीन हजार रुपए रिश्वत लेता पकड़ा गया।