पत्‍‌नी की मार्कशीट के वेरीफिकेशन को पति लगा रहा चक्कर

कुलसचिव ने दिया था तत्काल काम करने का निर्देश

आगरा। डॉ। भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी के कुलसचिव के 'अर्जेट' का मतलब चक्कर लगाओ। कुलसचिव द्वारा एक छात्रा की एप्लीकेशन पर साइन कर अर्जेट की मोहर लगाई थी। इस अर्जेट को 50 दिन का समय बीत चुका है, लेकिन छात्रा का पति अभी भी यूनिवर्सिटी के चक्कर लगा रहा है। ये तो सिर्फ एक उदाहरण हैं, ऐसे कई स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी के चक्कर काट रहे हैं।

सहायक शिक्षक बनने में मार्कशीट बनी रोड़ा

जिला संभल के गांव मझोला की रहने वाली शशीवाला ने वर्ष 2000 में बीए द्वितीय वर्ष की परीक्षा पीसी बागला महाविद्यालय हाथरस से उत्तीर्ण की थी। 2001 में बीए फाइनल करने के बाद वह अपने गांव के स्कूल में शिक्षामित्र के लिए नियुक्ति हुई। हाल ही में प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बनाने के निर्देश जारी किए गए हैं। इस निर्देश में शशीवाला को भी सहायक शिक्षक बनने का अवसर मिला। उसे संभल के ही प्राइमरी स्कूल में ज्वाइनिंग मिल गई, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग में जमा शिक्षा संबंधी डॉक्यूमेंट का वेरीफिकेशन नहीं हो सका है। विशेष तौर पर बीए द्वितीय वर्ष की मार्कशीट का वेरीफिकेशन न होने के कारण सैलरी नहीं मिल रही है। साथ ही नौकरी पर भी संकट के बाद मंडरा रहे हैं।

मार्कशीट का होना है वेरीफिकेशन

बीए द्वितीय वर्ष की मार्कशीट की वेरीफिकेशन को लेकर शशीवाला पति उमेश के साथ यूनिवर्सिटी 28 अक्टूबर को आई थी। वह कुलसचिव से इस समस्या को लेकर मिली। कुलसचिव प्रभात रंजन ने छात्रा को आश्वासन दिया। पीडि़त छात्रा की एप्लीकेशन पर कुलसचिव ने अर्जेट की मोहर लगाकर डिप्टी रजिस्ट्रार के पास पीडि़ता को भेज दिया। वहां से पीडि़ता को 10 दिन बाद बुलाया। पीडि़ता दोबारा पहुंची, लेकिन कोई अधिकारी नहीं मिला। अब लगभग 50 दिन बीत चुके हैं, लेकिन मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

चार्ट ही हो गया गायब

पीडि़त छात्रा को चार्ट रूम में एप्लीकेशन के साथ भेजा गया। छात्रा द्वारा वहां एप्लीकेशन दी गई। इसके बाद वह सात दिन बाद दोबारा आई तो एप्लीकेशन पर यह लिखकर दिया कि छात्रा का चार्ट विभाग में नहीं है और ना ही रजिस्टर में छात्रा का रोल नंबर है।