PATNA : पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि किस आधार पर प्रशांत किशोर को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। इस मामले में ख्7 अक्टूबर तक जवाब देना है। गुरुवार को कोर्ट ने सीएम नीतीश कुमार के परामर्शी प्रशांत किशोर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की।

मालूम हो कि प्रशांत किशोर को सरकार की तरफ से कैबिनेट मंत्री का दर्जा और सुविधाएं दिए जाने पर लोकहित याचिका दायर की गई है। इसमें मुख्यमंत्री को व्यक्तिगत रूप से प्रतिवादी बनाया गया था, लेकिन अदालत की आपत्ति के बाद मुख्यमंत्री का नाम हटा दिया गया। मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी एवं न्यायाधीश डा। रविरंजन की खंडपीठ ने गुरुवार को सुनवाई की। याचिका एक स्वयंसेवी संस्था नागरिक अधिकार मंच के अध्यक्ष शिव प्रकाश राय ने दायर की थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने अदालत को बताया कि मुख्यमंत्री ने प्रशांत किशोर को खुश करने के लिए कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर परामर्शी के रूप में ख्क् जनवरी से नियुक्त कर लिया था। नियुक्ति के बाद ख्ख् जनवरी को गजट नोटिफिकेशन निकाला गया, जिसे नियमत: सही नहीं माना जा सकता है। अधिवक्ता ने कहा कि सारी सुविधाएं आम लोगों के पैसे से दी जा रही हैं। उन्हें बड़ा सा बंगला भी अलॉट किया गया है। प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने कहा कि याचिका में उठाए गए सारे सवालों का जवाब दिया जाएगा।