आयोग की तरफ से दी गयी है जांच की वैधता को चुनौती

सरकार के आदेश पर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा पांच साल के दौरान की गई नियुक्तियों की सीबीआई जांच कराना वैध है या नहीं? इस पर हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई बुधवार को पूरी हो गयी। कोर्ट ने इसके बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। कोर्ट ने आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को बुलाकर पूछताछ करने पर लगी रोक बरकरार रखी है। फिलहाल सीबीआई जांच जारी है।

तीन दिन तक लगातार चली बहस

लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों की तरफ से दाखिल याचिका पर चीफ जस्टिस डीबी भोसले तथा जस्टिस सुनीत कुमार की खण्डपीठ में पिछले तीन दिन से बहस चल रही थी। राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल भारत सरकार के सहायक सॉलीसिटर जनरल ज्ञान प्रकाश, भारत सरकार के अधिवक्ता विनय कुमार सिंह व जेएफ रिवैलो सहित कई पूर्व आईएएस, आईपीएस अधिकारियों के अधिवक्ता आलोक मिश्र व याची के वरिष्ठ अधिवक्ता शशि नन्दन ने बहस की। राज्य सरकार का कहना है कि पंजाब हरियाणा आयोग केस में विजिलेन्स जांच को सुप्रीम कोर्ट ने सही माना है। आयोग ने विजिलेन्स को दस्तावेज देने से इन्कार कर दिया था।

सिर्फ आपराधिक आरोपों की जांच संभव

अनुच्छेद 317 के तहत अध्यक्ष सदस्यों को हटाने के मामले की जांच सुप्रीमकोर्ट करेगी। आपराधिक आरोपों की जांच सरकार करा सकती है। सदस्यों को कोई विशेष अधिकार नहीं है। आयोग पर कापी बदलने, जाति विशेष को अधिक अंक देने अनुच्छेद 317 आपराधिक कार्यवाही में बाधक नहीं है। 58 शिकायतें सरकार बदलने से नहीं वरन् 2012 से अब तक की गयी है। इसमें लगाये गये आरोप गंभीर होने के बाद भी आयोग ने कोई कार्यवाही नहीं की। पेपर लीक मामले में गिरफ्तारी भी हुई। कापी बदलने की गलती आयोग ने मानी भी किन्तु दोषियों पर कार्यवाही नहीं की। इस पर सीबीआई जांच का आदेश दिया गया है।

किसका क्या तर्क

जांच से आयोग के प्रति विश्वास की बहाली होगी। परीक्षा दिये बगैर चयनित किया गया, कापी बदली गयी। ऐसे में जांच विश्वास बहाली का प्रयास है।

आलोक मिश्र, अधिवक्ता

कई राज्य के लोगों के घपले में शामिल होने की शिकायत की सीबीआई जांच कर रही है। साक्ष्य मिलने पर प्राथमिकी दर्ज कर विवेचना की जायेगी। यदि अपराध हुआ है तो जवाबदेही तय होनी चाहिए कोई भी संस्था जवाबदेही से नहीं बच सकती।

ज्ञान प्रकाश, अधिवक्ता

सरकार को आयोग की जांच कराने को अधिकार नहीं है। व्यक्तिगत शिकायत की जांच ही सरकार करा सकती है।

शशि नन्दन, सीनियर एडवोकेट