महिलाएं बेकार न बैठें
बुधवार को मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने पहली बार ऐसा फैसला दिया, जिसे सुनकर लोग हैरान रह गए। खबरों की मानें तो एक महिला ने पति से अलग होने के बाद उससे गुजारा भत्ता की मांग की। जिसके चलते उसने कोर्ट में एक याचिका दायर की। हालांकि कोर्ट ने इस याचिका को तुरंत खारिज कर दिया। और कहा कि आज के समय में महिलाओं से घर में आर्थिक मदद की उम्मीद की जाती है, ना कि घर में बेकार बैठे रहने की।

जब हुनर है तो कमाओ पैसा
कोर्ट का कहना है कि, महिला ने खुद यह स्वीकार किया है कि उसने ब्यूटीशियन का कोर्स किया है। इसका मतलब यह है कि, उसके पास काम करने और पैसा कमाने का हुनर है। लेकिन महिला काम करना नहीं चाहती। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मोना टारडी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, जब महिला ब्यूटीशियन का कोर्स करने की बात स्वीकार रही है लेकिन वह काम क्यों नहीं करना चाहती। इसका कोई उचित कारण नहीं बता सकी। उन्होंने आगे कहा कि, आधुनिक महिलाएं से घर में आर्थिम मदद की उम्मीद की जाती है। ऐसे में शिकायतकर्ता के पक्ष में वित्तीय गुजारे का फैसला नहीं दिया जा सकता।

महिला का क्या है कहना
कोर्ट को दी गई याचिका में महिला ने बताया कि, वह एक गृहणी थी और अब पति से अलग होने के बाद अपने मां-बाप पर निर्भर है। ऐसे में उसे पति से गुजारा भत्ता चाहिए था। महिला ने यह भी दावा किया कि, उसका पति अच्छी नौकरी करता है और उसे 60,000 रुपये महीना सैलरी मिलती है। वहीं दूसरी तरफ पति का कहना है कि, वह बेरोजगार है। जबकि महिला 15,000 रुपये मासिक कमाती है।

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