-एसटीएफ ने 12 को किया अरेस्ट किया, इसमें कई डॉक्टर्स भी

-बेदीराम गैंग से जुड़े होने की पुष्टि, यूपी के अलावा बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली, हरियाणा में भी थे सक्रिय

-हाइटेक ब्लूटूथ बगिंग डिवाइस के जरिए करते थे आंसर की सर्कुलेट

ALLAHABAD/LUCKNOW (25 May): सोमवार को आयोजित हुई सीपीएमटी परीक्षा सवालों के घेरे में आ गई है। इसका पेपर लीक करने और साल्व करने का ठेका लेने वाला पूरे गैंग का खुलासा एसटीएफ लखनऊ की टीम ने किया है। एसटीएफ के एसएसपी अमित पाठक ने इसकी पुष्टि की है। उनके मुताबिक यह गैंग पेपर लीक कराने में माहिर है। लखनऊ के जियामऊ स्थित एक मकान में छापा मारकर गैंग के क्ख् मेंबर्स को अरेस्ट किया गया। मौके से सीपीएमटी का पेपर, क्0 हाइटेक ब्लूटूथ बगिंग डिवाइस, ख्ब् सेलफोन, दो कार, एक एक्टिवा, फ् बाइक, फ् लैपटॉप, दो डोंगल, एक राउटर, क्ख् चेक और फ् हजार रुपये कैश बरामद हुए हैं।

पेपर सॉल्व कर पहुंचाने वाले थे

एसएसपी एसटीएफ अमित पाठक के मुताबिक यह गैंग पेपर सॉल्व कर तमाम सेंटर्स पर मौजूद कैंडीडेट्स को हाइटेक ब्लूटूथ बगिंग डिवाइस और पर्ची के जरिए पहुंचाते थे। इंफॉर्मेशन मिलते ही एसटीएफ की एक टीम ने आनन-फानन में उस मकान पर छापा मारा। जहां गैंग के मेंबर्स को संदिग्ध हालात में सीपीएमटी पेपर और सॉल्व करने की तमाम सामग्री के साथ मौजूद मिले। इसमें कुशीनगर निवासी अच्युतानन्द पांडेय, बलरामपुर निवासी मो। वसीम, बांदा निवासी मनीष कुमार, आजमगढ़ निवासी अनुज यादव, गोरखपुर निवासी डॉ। रमण ध्वज सिंह, कानपुर निवासी डॉ। अंशुमान मिश्रा, हुसैनगंज निवासी शिवम चंद्रा, उदयगंज निवासी उग्रसेन, कुशीनगर निवासी डॉ। अभिमन्यु सिंह, बस्ती निवासी डॉ। राजेश रंजन, मऊ निवासी वीरेंद्र बहादुर पाल, हुसैनगंज निवासी प्रफुल्ल चंद्र वैश्य शामिल हैं।

बेदीराम गैंग से जुड़े हैं तार

श्री पाठक ने खुलासा किया गिरफ्त में आए आरोपियों के तार नकल माफिया और पेपर लीक कराने के लिये बदनाम बेदीराम गैंग से जुडे़ हैं। गैंग के मेंबर्स परीक्षा प्रबंधन से सांठ गांठ करके पेपर एग्जाम से पहले ही प्राप्त कर लेते हैं और सॉल्व कराकर हाइटेक ब्लूटूथ बगिंग डिवाइस से कैंडीडेट तक पहुंचा देते हैं। यह बगिंग डिवाइस कैंडीडेट्स के अंडर गार्मेट में छिपी होती है। इसके अलावा एग्जाम सेंटर्स के मैनेजमेंट से भी सांठगांठ कर पेपर सॉल्व करके संबंधित कैंडीडेट्स तक पहुंचा देते थे। आरोपियों ने पूछताछ के दौरान बताया गया कि इनके संबंध परीक्षा प्रबंधन से हैं। इनसे कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में हेराफेरी करके कैंडीडेट्स से मोटी रकम ऐंठकर उन्हें एग्जाम पास कराकर एडमिशन दिला देते हैं। आरोपियों ने यह भी कुबूल किया कि उन्होंने इसी महीने की शुरुआत में तीन तारीख को भी ऑल इंडिया प्री मेडिकल एग्जाम में ब्0 कैंडीडेट्स को इसी टेक्निक की मदद से एग्जाम पास कराने की कोशिश की है।

व्हाट्सएप से होता था खेल

एसटीएफ की पड़ताल में पता चला कि ग्रुप के सभी लोग नये सिम खरीदकर उस पर व्हाट्सएप एक्टिवेट कराकर एक-दूसरे से कनेक्ट रहते थे। आंसरशीट की जानकारी आपस में शेयर करके इसे कैंडीडेट्स तक पहुंचाया जाता था। इस गैंग के मेंबर्स यूपी के अलावा बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली, हरियाणा में भी सक्रिय हैं। पूछताछ में यह भी पता चला कि गैंग का मास्टरमाइंड प्रफुल्ल चंद्र वैश्य को इससे पहले भी एआईईईई ख्00क् एग्जाम में पेपर लीक करने के आरोप में कैसरबाग जेल भेजा जा चुका है।

ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट से खरीदते थे

बरामद बगिंग डिवाइस के बारे में पूछताछ पर आरोपियों ने बताया कि इन डिवाइस को वे लोग इंटरनेट पर अवलेबल दो ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स के जरिए खरीदते थे। उन्होंने बताया कि उन्हें एक डिवाइस क्0 हजार रुपये की पड़ती थी। यह डिवाइस ऑनलाइन पेमेंट के बाद ट्रेन के कोच अटेंडेंट के जरिए डिलीवर की जाती थी। अब एसटीएफ टीम इस वेबसाइट व उनसे जुड़े लोगों के बारे में छानबीन में जुट गई है।

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केजीएमयू के स्टूडेंट हैं सॉल्वर

अरेस्ट किये गये डॉ। रमण ध्वज सिंह गोरखपुर का रहने वाला है। यह पेपर सॉल्वर है और एमबीबीएस, केजीएमसी से फाइनल इयर का स्टूडेंट है। इसी तरह डॉ। अंशुमान मिश्रा जीएसवीएम मेडिकल कालेज कानपुर से एमबीबीएस कर रहा है। इस गैंग के मास्टर माइंड राजेश रंजन व प्रफुल्ल चन्द्र वैश्य अभ्यर्थियों से प्रवेश दिलाने के नाम पर पॉच लाख से लेकर क्भ् लाख रूपये तक किश्तों में हासिल करते हैं, इस रकम में परीक्षा प्रबन्धन को भी हिस्सा दिया जाता था। पूछताछ के दौरान डॉ। प्रफुल्ल चन्द ने बताया कि उसकी लखनऊ में ऑस्कर कन्सल्टैन्सी के नाम से एक संस्था चल रही है, जिसके जरिये वे लखनऊ व देशभर में प्राईवेट इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में बैक डोर से पैसा देकर एडमिशन कराने का धन्धा किया जाता है।