लखनऊ Hc में दायर हुआ मुकदमा

LUCKNOW (lucknow@inext.co.in)। पूर्व सपा एमएलसी मजहर अली खां उर्फ बुक्कल नवाब ने नायब तहसीलदार चिनहट के द्वारा फकर जहां बेगम बनाम मजहर अली खां के बीच मुकदमे में 22 अगस्त 1977 को पारित कथित आदेश पर गोमती नदी के किनारे जियामऊ, भिकमामऊ, जुगौली की जलमग्न 54 बीघा जमीन राजस्व अभिलेखों में अपने नाम वरासतन दर्ज करा ली थी। इस जमीन के अधिग्रहण होने पर बुक्कल नवाब को राजस्व अधिकारियों ने बिना जांच-पड़ताल किये 8 करोड़ रुपये मुआवजा भी दे दिया। बीकेटी के गोयला गांव निवासी हरिश्चंद्र वर्मा ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में मुकदमा दायर कर दिया।

इन धाराओं में दर्ज हुई एफआईआर

26 अक्टूबर 2016 को हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को एक हाई पावर कमेटी गठित करके 30 जनवरी तक जांच रिपोर्ट देने का आदेश दिया। कमेटी ने जांच की तो पता चला राजस्व विभाग में जमीन को इंद्राज कराने के लिये मुहैया कराया गया नायब तहसीलदार चिनहट का आदेश फर्जी था। जिसके बाद हाईकोर्ट ने आरोपी बुक्कल नवाब व उन्हें इस गोरखधंधे में मदद करने वाले अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिये। जिसके बाद तहसीलदार अनुराग सिंह ने 12 अप्रैल 2017 को बुक्कल नवाब के खिलाफ धोखाधड़ी व कूटरचना की धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई थी।

पार्टी बदलते ही कार्रवाई पड़ी ढीली

एफआईआर दर्ज होने के बाद वजीरगंज पुलिस ने जांच शुरू की तो बुक्कल नवाब पर कानून का शिकंजा कसने लगा। इसी बीच 31 जुलाई 2017 को अचानक बुक्कल नवाब ने समाजवादी पार्टी से त्यागपत्र देकर भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली। हालांकि, इसी के अगले दिन 1 अगस्त को लखनऊ जिला प्रशासन ने बुक्कल को 6.94 करोड़ रुपये का रिकवरी नोटिस जारी कर दिया। लेकिन, इसके बाद मामले की विवेचना वजीरगंज थाने से क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दी गई।

अभी इस मामले की विवेचना लंबित

क्राइम ब्रांच में विवेचना इंस्पेक्टर विनोद शर्मा को मिली। करीब एक साल तक विवेचना करने के उपरांत अचानक उन्हें लगा कि मामला काफी बड़ी धनराशि की धोखाधड़ी का है। इसलिए, इसकी जांच यूपी पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) से कराना उचित रहेगा। जिसके बाद उन्होंने मामले की जांच को ईओडब्ल्यू को ट्रांसफर करने के लिये पत्र लिख दिया। हालांकि, उनके पत्र पर अब तक निर्णय नहीं हो सका है और मामले की विवेचना लंबित है।

बुक्कल नवाब के मददगार भी फंसेंगे

एफआईआर में बुक्कल नवाब के अलावा उनके द्वारा किये गए इस फर्जीवाड़े में मदद करने वाले लोगों को भी शामिल किया गया है। विवेचना में यह तय होना है कि आरोपी बुक्कल नवाब का नाम किन परिस्थितियों में व किन लोगों की मदद से राजस्व अभिलेखों में दर्ज हो गया। वहीं, इस मामले में उन अधिकारियों का भी नपना तय माना जा रहा है, जिन्होंने बिना जांच-पड़ताल किये बुक्कल नवाब को 8 करोड़ की भारी-भरकम रकम मुआवजे के तौर पर सौंप दी।

धोखाधड़ी की रकम काफी बड़ी

मजहर अली खां उर्फ बुक्कल नवाब के खिलाफ दर्ज मामले में धोखाधड़ी की रकम काफी बड़ी है। इसलिए इसकी विवेचना ईओडब्ल्यू से कराने के लिये पत्र लिखा गया है। जब तक ईओडब्ल्यू को विवेचना ट्रांसफर नहीं होती तब तक क्राइम ब्रांच मामले की विवेचना व साक्ष्य संकलन करती रहेगी।

- डीके सिंह, एएसपी क्राइम, लखनऊ

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