- आज आएंगे आईजी क्राइम आरके स्वर्णकार

- पुलिस लाइन में क्राइम ब्रांच की करेंगे समीक्षा

आगरा। शुक्रवार को आईजी क्राइम आरके स्वर्णकार शहर में आ रहे हैं। वह क्राइम की समीक्षा करेंगे। लिहाजा गुरूवार को महकमे के आला अफसर उनके साथ होने वाली क्राइम मीटिंग की तैयारियों को फाइनल टच देते रहे, लेकिन अफसर सिर्फ खामियों को खूबियों में बदलने में बिजी रहे, क्योंकि जिस तरह के हालात पुलिस प्रशासन के बने हुए हैं। उससे सिर्फ प्रशासन के संसाधनों की नाकाफी और कार्य प्रणाली में नाकामी ही नजर आती है। आईजी क्राइम को अफसरों के साथ बैठक के दौरान इन बिंदुओं पर समीक्षा करने की खासी जरूरत है।

क्राइम ब्रांच की ये है मौजूदा स्थिति

जिले में एसएसपी और एसपी सिटी दोनों की क्राइम ब्रांच टीम अलग-अलग थीं। बाद में दोनों को मिलकर काम करने के निर्देश दिए गए। पिछले महीने घटनाओं का खुलासा न कर पाने की स्थिति में एसएसपी डॉ। प्रीतिंदर सिंह ने इसके 10 सदस्यों को लाइन हाजिर कर दिया था। अब इसमें कुल 22 सदस्यों में से करीबन 15 सदस्य हैं।

न अत्याधुनिक हथियार, न चुस्त वाहन

क्राइम ब्रांच की ही स्वॉट टीम को असाल्ट राइफल, ग्लॉक पिस्टल, बुलेट प्रूफ हेलमेट, पटका जीपीएस, स्टन ग्रिनेड वायरलैस सेट, एके 47 आदि वीपन्स से लैस करने के निर्देश थे। शुरुआत में तो स्वॉट टीम के प्रशिक्षण और मॉकड्रिल का कार्यक्रम किया गया था, लेकिन लंबे समय से कोई प्रशिक्षण का कार्यक्रम नहीं चलाया गया। संसाधनों के नाम पर सिर्फ एक मिनी बस और एक बोलेरो है। वीपंस के नाम पर एके 47, एमपी-5 ग्लॉक पिस्टल ही है। न तो ड्रैगन लाइट है और न ही लेजर। मौजूदा समय में एसएसपी के पीआरओ को स्वॉट टीम के प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है।

आपसी तालमेल का अभाव

14 मार्च 2013 को डीजीपी मुख्यालय के निर्देश पर क्राइम ब्रांच का गठन किया गया। जिले में एसपी क्राइम का पद सृजित किया गया। क्राइम ब्रंाच में कई इकाइयां बनाई गई। इसमें साइबर सेल, सर्विलांस, फोरेंसिंक टीम, इन्वेस्टीगेशन टीम आदि हैं। मौजूदा समय में एक तो इन पर पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं है, वहीं दूसरी ओर टीमों में आपस में तालमेल का भी अभाव है। वहीं क्राइम ब्रांच की स्वॉट टीम सभी कार्यो में नगण्य हो गई। अब उसका काम लाइन में सुबह-शाम की परेड तक सीमित रह गया है।

नकली खुलासा कर देती है पुलिस

और तो और आगरा क्राइम ब्रांच की कार्यशैली बिलकुल अलग है। बहुचर्चित खुलासे अमूमन विवादों से जुड़ जाते हैं। अभी बीते साल नवंबर 2015 में सराफा धनकुमार जैन के साथ हुए गोलीकांड में पुलिस ने फर्जी खुलासा किया। इससे पुलिस को किरकिरी झेलनी पड़ी। दबाव पड़ा तो एसएसपी डॉ। प्रीतिंदर सिंह ने अपने हाथ कमान लेकर केस सॉल्व किया।

स्टाइल में रहने का

जी हां, क्राइम ब्रांच से जुड़े अधिकांश सदस्यों के लिबास और लाइफ स्टाइल चर्चा का विषय बनी रहती है। ब्रांडेड कपडे़ और जूतों के साथ लग्जरी कारों की सवारी इनका शगल बन जाता है। महकमे और पब्लिक के बीच पहुंचते ही ये चर्चा जोरों पर रहती है।