-मथुरा के जवाहरबाग कांड के आरोपी रामवृक्ष यादव का हमशक्ल शीतला घाट पर नजर आने से मचा हड़कम्प

-जल पुलिस ने लिया हिरासत में, आला अधिकारियों और क्राइम ब्रांच ने घंटों की पूछताछ

-मथुरा से लेकर अम्बेडकर नगर कराया गया वेरीफिकेशन

VARANASI

मथुरा के जवाहर बाग में सत्याग्रह की आड़ में अपनी सत्ता चलाने वाले रामवृक्ष यादव की मौत को लेकर शायद खुद पुलिस भी अभी तक संशय में है। डीजीपी ने भले ही उसने मौत का दावा किया हो लेकिन उनके दावे पर फिलहाल किसी को यकीन नहीं है। तभी तो शनिवार की सुबह दशाश्वमेध थाना क्षेत्र के शीतला घाट पर रामवृक्ष यादव का हमशक्ल नजर आया तो हड़कम्प मच गया। जल पुलिस ने तत्काल संदिग्ध को रामवृक्ष मानते हुए उसे हिरासत में ले लिया और तत्काल एसएसपी समेत क्राइम ब्रांच को सूचना दी। घंटों पूछताछ के साथ ही संदिग्ध की पिक्चर के जरिये मथुरा पुलिस से वेरीफिकेशन कराया गया। जब स्थानीय पुलिस को यह यकीन हो गया कि पकड़ा गया व्यक्ति रामवृक्ष नहीं कोई और है तब उसे रिहा किया गया। रामवृक्ष को लेकर पुलिस की ये घबराहट उसकी मौत के पीछे किसी राज की ओर इशारा कर रही है। जिसे इस घटना की जानकारी हुई उसके जेहन में यही सवाल आया कि क्या रामवृक्ष अभी जिंदा है?

सकते में आया त्रिलोकी नाथ

अम्बेडकरनगर निवासी त्रिलोकी नाथ मौर्य गंगा स्नान और दर्शन के लिए बनारस में आया था। उसकी शक्ल काफी हद तक मथुरा के जवाहर बाग में सत्याग्रह के नाम पर उत्पात मचाने वाले रामवृक्ष से मिलती है। त्रिलोकी सुबह शीतला घाट पर मौजूद था। इसी दौरान जल पुलिस के जवानों की नजर उस पर पड़ गयी। जवानों ने रामवृक्ष के संदेश में उसे पकड़ लिया। तत्काल इसकी जानकारी अधिकारियों तक पहुंचायी। थोड़ी ही देर में पुलिस के आला अधिकारी और क्राइम ब्रांच की टीम आ पहुंची। उसे एकांत में ले जाकर पूछताछ शुरू कर दिया। इससे त्रिलोकी सकते में आ गया।

व्हाट्सएप पर मंगाई गई फोटो

त्रिलोकी खुद के रामवृक्ष न होने की दुहाई देता रहा लेकिन पुलिस को यकीन नहीं हो रहा था। उससे तरह-तरह के सवाल किए जाते रहे। पुलिस ने वेरीफिकेशन के लिए त्रिलोकी के घर वालों से उसकी पुरानी फोटो वाट्सएप पर मंगायी। बनारस में बीएसएनएल में तैनात उसके रिश्तेदार को भी बुलाया गया। इसके साथ ही मथुरा पुलिस को त्रिलोकी की फोटो भेजी गयी। हर जगह से यही पुष्टि हुई कि पकड़ा गया व्यक्ति रामवृक्ष नहीं त्रिलोकी नाथ है तब पुलिस ने उसे मुक्त किया।

आखिर माजरा क्या है?

रामवृक्ष के हमशक्ल को लेकर पुलिस जितनी गंभीर थी उससे हर कोई सवाल कर रहा है कि आखिर माजरा क्या है? जिस व्यक्ति को खुद प्रदेश पुलिस के मुखिया डीजीपी ने मृत घोषित कर दिया उसे जिंदा कैसे माना जा रहा है। रामवृक्ष रहने वाला गाजीपुर का और मथुरा में उसने उत्पात मचाया बनारस से कोई कनेक्शन न होने के बावजूद पुलिस उसे इस शहर में होने की सोच भी कैसे सकती है? ऐसा तभी होता है जब किसी की तलाश में पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी किया जाता है। तो क्या जवाहर को लेकर पुलिस की ओर से कोई अलर्ट जारी किया गया है? ऐसे ढेरों सवाल लोगों के जेहन में हैं।

संदेह की वजह तो जरूर है

रामवृक्ष की मौत पर पुलिस के संदेह की वजह तो है। मथुरा के जवाहरबाग में सत्याग्रह के नाम पर दो साल से जमे रामवृक्ष के साथ हजारों लोगों को हटाने के लिए पहुंची पुलिस पर सत्याग्रहियों ने हमला बोलते हुए जबरदस्त तांडव किया। इसमें डिप्टी एसपी और एसओ रैंक के अधिकारी शहीद हो गए। पुलिसिया कार्रवाई में लगभग दो दर्जन सत्याग्रही मारे गये थे। पुलिस के मुताबिक मरने वालों में रामवृक्ष भी शामिल था। खुद डीजीपी ने इसकी पुष्टि की थी। लेकिन उनके पास पुष्टि का आधार कमजोर था। रामवृक्ष के लाश की शिनाख्त परिवार वालों या उसके सहयोगियों ने नहीं की थी। उन्होंने लाश लेने से भी इनकार कर दिया था। इसे लेकर कोर्ट ने भी पुलिस को कटघरे में खड़ा किया था। पुष्टि के लिए पुलिस ने डीएनए टेस्ट का सहारा लेना तय किया है। शायद यही वजह है कि पुलिस अभी भी रामवृक्ष को जिंदा मान रही है। उसके कहीं भी मौजूद होने की आशंका पर अलर्ट जारी किया गया हो।