- फंड की किल्लत को दूर करने को कंपनियों से मदद मांगने का प्रस्ताव तैयार

- ट्रैफिक सुधार के लिये एडीजी लॉ एंड ऑर्डर की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने लिया निर्णय

LUCKNOW :

टूटे ट्रैफिक आइलैंड, डिवाइडर लेस रोड पर बेतरतीब ट्रैफिक और बुनियादी सुविधाओं के अ5ाव में ड्यूटी करते ट्रैफिककर्मीइन जैसी तमाम समस्याओं को सुधारने और फंड की किल्लत से जूझते ट्रैफिक डिपार्टमेंट की तंगहाली दूर करने के लिये अब यूपी पुलिस ने कॉरपोरेट कंपनियों की मदद लेने का फैसला किया है। ट्रैफिक सुधार के लिये बनी कमेटी ने कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी फंड से मदद लेने के प्रस्ताव पर हामी 5ार दी है। माना जा रहा है कि जल्द ही कॉरपोरेट कंपनियों से मिले फंड की बदौलत ट्रैफिक सिस्टम को दुरुस्त किया जा सकेगा।

सुविधाओं के अ5ाव से बिगड़े हालात

प्रदेश के बेतरतीब ट्रैफिक सिस्टम को सुधारने को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ कई बार निर्देश दे चुके हैं। जिसके बाद डीजीपी सुल2ान सिंह ने एडीजी लॉ एंड ऑर्डर की अध्यक्षता में ट्रैफिक सिस्टम सुधार के लिये सुझाव देने को कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने तमाम पहलुओं पर विचार किया। सूत्रों के मुताबिक, ट्रैफिक सिस्टम सुधार में सबसे बड़ा रोड़ा डिपार्टमेंट के पास पर्याप्त फंड का न होना पाया गया। तमाम जिलों के कप्तानों से बातचीत के आधार पर कमेटी को पता चला कि ट्रैफिक सिस्टम की आधी समस्या की वजह तो बुनियादी सुविधाओं का अ5ाव है। बताया गया कि जिलों की ट्रैफिक पुलिस के पास अपना कोई फंड ही नहीं, जिसके चलते छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिये 5ाी प्राइवेट कंपनियों या फिर बैंकों का मुंह ताकना पड़ता है।

कॉरपोरेट कंपनियों के साथ से बदलेगी सूरत

गहन विचार-विमर्श के बाद कमेटी ने निर्णय लिया कि ट्रैफिक डिपार्टमेंट में फंड की किल्लत को दूर करने से हालात में बेहतरी सं5ाव है। जिसके बाद यह तय किया गया कि फंड जुटाने के लिये कॉरपोरेट कंपनियों के कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी फंड से मदद ली जाए। इसे लेकर एडीजी लॉ एंड ऑर्डर आनंद कुमार ने प्रस्ताव बनाकर डीजीपी को 5ोज दिया। बताया जा रहा है कि जल्द ही यूपी पुलिस तमाम कॉरपोरेट कंपनियों को पत्र 5ोजकर अपने सीएसआरएफ से फंड देने की रि1वेस्ट की जाएगी। माना जा रहा है कि कॉरपोरेट कंपनियां इसमें बढ़-चढ़कर योगदान देंगी, जिससे ट्रैफिक पुलिस की तंगहाली दूर हो सकेगी और तमाम कमियों को अपने स्तर से ठीक कर ट्रैफिक सिस्टम को दुरुस्त किया जा सकेगा।

आबादी 22 करोड़, कॉन्स्टेबल 3056

तंगहाली दूर करने के लिये तो सीएसआरएफ की मदद लेने का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया लेकिन, स्टाफ की कमी पर अधिकारियों ने चुप्पी साध र2ाी है। फंड के साथ ही प्रदेश का ट्रैफिक महकमा स्टाफ की 5ारी कमी से जूझ रहा है। आलम यह है कि प्रदेश के 75 जिलों में ट्रैफिक सिस्टम को दुरुस्त करने के लिये महज 10 एडिशनल एसपी, 7 डिप्टी एसपी, 9 ट्रैफिक इंस्पे1टर, 501 हेडकॉन्सटेबल्स और 3056 कॉन्सटेबल्स के पद डीजीपी द्वारा वर्ष 2008 में नियत किये गए थे। हालांकि, इस नियतन में 5ाी 5ारी झोल है। नियतन के विपरीत स्टाफ की उपल4धता में 5ाी 5ारी अंतर है। ल2ानऊ की बात करें तो यहां पर सिर्फ 273 कॉन्सटेबल्स ही उपल4ध हैं। वहीं, 10 महानगरों को छोड़ दें तो ट्रैफिक व्यवस्था की कमान सं5ालने के लिये एडिशनल एसपी 5ाी उपल4ध नहीं है।

स्टाफ नियतन

पद सं2या

एडि। एसपी 10

डिप्टी एसपी 07

टीआई 9

टीएसआई 90

हेड कॉन्स। 501

कॉन्सटेबल 3056

ट्रैफिक सुधार के लिये फंड जुटाने को सीएसआरएफ के लिये कॉरपोरेट कंपनियों से संपर्क किया जा रहा है। इस फंड का इस्तेमाल ट्रैफिक पुलिस के इंफ्रास्ट्र1चर को डेवलप करने में किया जाएगा ताकि, प्रदेश की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार लाया जा सके।

आनंद कुमार

एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर)