- एग्रीकॉन के आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी एसोसिएट प्रो। अवधेश कुमार त्रिपाठी से सीएसए को करनी है 33 लाख की रिकवरी

- कई साल तक अवैध तरीके से अवधेश त्रिपाठी सहित 60 रिसर्च एसोसिएट लेते रहे असिस्टेंट प्रोफेसर का वेतनमान

- कैग ने मामले की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में दिए थे हर एक से 33 लाख रुपए रिकवरी के दिए आदेश

- कैग की रिपोर्ट मिलने के बाद राजभवन से गवर्नर की ओर से भी जारी किए थे वेतन की रिकवरी के आदेश

- सीएसए के डैम ने लेटर को दबाए रखा, आज तक एक भी पैसे की रिकवरी नहीं हुई, ऊपर से कर दिया प्रमोशन

- बांदा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर बनने के लिए भी सीएसए एडमिनिस्ट्रेशन के साथ मिलकर किया घालमेल

KANPUR: देश के सर्वोच्च पद पर बैठने के साल भर के अंदर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बुधवार को दूसरी बार शहर आए हैं। कानपुराइट्स के लिए यह वाकई गर्व की बात है। राष्ट्रपति सीएसए एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल कांफ्रेंस एग्रीकॉन-2018 में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। लेकिन हैरानी वाली बात ये है कि एग्रीकॉन के आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी एक ऐसे एसोसिएट प्रोफेसर हैं जो असवैंधानिक तरीके से इस पद तक पहुंचे हैं। इस घालमेल में सीएसए एडमिनिस्ट्रेशन ने भी उनका साथ दिया। यहां तक की कैग की रिपोर्ट और गवर्नर के आदेशों को भी ताख पर रख दिया गया। कैग ने तो इन जनाब से गलत तरह लिए गए 33 लाख से ज्यादा के वेतन की की रिकवरी को कहा है। इसके बाद भी रिकवरी के कोई प्रयास नहीं किए गए। बल्कि उन्हें गलत तथ्यों के आधार पर प्रमोट भी कर दिया गया।

कैग ने की थी जांच

डेढ़ दशक पहले चन्द्रशेखर आजाद एग्रीकल्चर एण्ड टेक्निकल यूनिवर्सिटी में एग्रीकॉन के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी अवधेश कुमार त्रिपाठी सहित 60 रिसर्च एसोसिएट थे। कोर्ट के आदेश पर इन सभी को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर समायोजित कर दिया गया था। लेकिन पदनाम नहीं दिया गया था। पूर्व वीसी मुन्ना सिंह ने भी इन आर ए को असिस्टेंट प्रोफेसर मानने से इंकार कर दिया था.इसके बावजूद सभी को असिस्टेंट प्रोफेसर का पे स्केल मिलने लगा। शिकायत मिलने पर कैग ने पूर प्रकरण की जांच की और अपनी रिपोर्ट में पाया कि शासन के कोष से अवैधानिक तरह से वेतन के रूप में भुगतान लिया। कैग ने प्रत्येक से 33 लाख रुपए की रिकवरी करने को कहा। कैग की रिपोर्ट के बारे में गवर्नर तक जानकारी पहुंची। इसके राजभवन से भी रिकवरी का आदेश जारी किए गए। इसके बावजूद आज तक किसी भी आरए से रिकवरी नहीं की गई। राजभवन के आदेश को सीएसए ने दबा दिया। वर्तमान में अवधेश कुमार बांदा कृषि विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। साथ ही अवधेश एग्री प्रोफेशनल सोसाइटी के सचिव भी हैं। यही सोसाइटी सीएसए के साथ मिलकर एग्रीकॉन-2018 कंडक्ट करा रही है।

एचओडी ने एप्लीकेशन फॉरवर्ड नहीं की

अवधेश कुमार त्रिपाठी ने बांदा में एसोएिएट प्रोफेसर के पद पर अप्लाई करने के लिए सीएसए डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन एंड मॉनीटरिंग(डैम) के साथ घालमेल किया। डैम ने पूरा प्रकरण जानते हुए भी असिस्टेंट प्रोफेसर पद से रिलीव का लेटर जारी कर दिया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जब बांदा कृषि विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के लिए आवेदन करना था तो अवधेश सस्य विज्ञान के एचओडी करम हुसैन के पास पहुंचे लेकिन हुसैन ने कैग की रिपोर्ट के चलते अप्लीकेशन फॉरवर्ड नहीं की थी। इसके बाद अवधेश ने डैम की पोस्ट पर रहे प्रो राम बटुक सिंह से अप्लीकेशन फारवर्ड करा ली। इसके बाद उस अप्लीकेशन को डैम मुनीश गंगवार ने भी फारवर्ड की। जिसके बाद अवधेश कुमार त्रिपाठी को बांदा कृषि विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के पोस्ट नियुक्ति मिल गई। इस प्रकरण पर अवधेश कुमार त्रिपाठी से जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने बात करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन काट दिया।

वर्जन

मुझे ऐसी किसी भी रिकवरी के आदेश की जानकारी नहीं है। अवधेश कुमार त्रिपाठी बांदा कृषि विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर हैं। जो कार्यक्रम आज सीएसए में हो रहा है वो इसके ऑर्गनाइजिंग सेक्रेट्री हैं।

प्रो सुशील सोलोमन, वाइस चांसलर सीएसए

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कुलपति हमारे लेटर का जवाब नहीं देते

सीएसजेएमयू में आयोजित कुलपति सम्मेलन में कुलाधिपति और गवर्नर रामनाईक ने कहा था कि प्रदेश की यूनिवर्सिटी के कुछ कुलपति ऐसे भी हैं जो कि हमारे पत्रों का जवाब नहीं देते हैं। गौरतलब हो कि सीएसए प्रशासन को भी गवर्नर ने आरए से रिकवरी का लेटर लिखा था। लेकिन विवि प्रशासन ने मुखिया का लेटर किसी फाइल में दबा कर रख दिया। हालांकि इस लेटर पर संज्ञान डैम क