- लखनऊ के सुकुमार बोस के बनाए भित्तिचित्र अमेरिका के प्रेसीडेंट बराक ओबामा के ड्राइंग रूम की बढ़ाएंगे शोभा

- लखनऊ के आर्ट कॉलेज में दृश्य चित्रकारी की ली थी ट्रेनिंग

LUCKNOW: सुकुमार बोस की पेटिंग में लखनऊ की झलक नजर आती है। उनकी पेंटिंग के कल्चर में धूसर रंगों का समावेश नजर आता है। उन्होंने एक शैली में नहीं बल्कि बहुआयामी शैलियों में काम किया है। लखनऊ आर्ट ऑफ कॉलेज के छात्र रह चुके सुकुमार बोस का नाम एक बार फिर चर्चा में रहा। दरअसल, सुकुमार बोस के बनाए भित्तिचित्र को अमेरिका के प्रेसिडेंट को दिए गए टी सेट पर उकेरा गया है। इसी के साथ उनकी यह अद्भुत कलाकृति ओबामा के ड्राइंगरूम की शोभा बढ़ाएंगे।

राष्ट्रपति भवन में रहे क्यूरेटर

लखनऊ के आर्ट कॉलेज के स्टूडेंट रहे सुकुमार बोस भारत के राष्ट्रपति भवन का भित्तिचित्र उकेरे थे। बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले बोस राष्ट्रपति भवन में वर्ष क्970 तक क्यूरेटर रहे। वह भगवद्गीता के श्लोक और रामायण के दृश्य राष्ट्रपति भवन के अलावा दुनियाभर के गलियारे और निजी संग्रहालय में संजोते रहे हैं। भारतीय कला में अपने योगदान के लिए उन्हें वर्ष क्970 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

लखनऊ से था पुराना नाता

सन क्9क्ख् में जन्मे सुकुमार बोस का लखनऊ से पुराना नाता रहा है। उनके दादा विपिन बिहार बोस लखनऊ बार एसोसिएशन में एक सफल वकील थे। सुकुमार बोस सक्रिय रूप से बंगाल की कला व संस्कृति को बढ़ावा देने में शामिल थे। लखनऊ के एक प्रभावशाली मध्यम वर्ग की बंगाली परिवार में क्9फ्म् को बेला चौधरी के साथ उनकी शादी हुई थी। ब्रहमो समाज आंदोलन से भी इनका जुड़ाव रहा। सुकुमार बोस पर मशहूर चित्रकार असित कुमार हलधर का खासा प्रभाव रहा। असित चूंकि बाबा रबींद्रनाथ टैगोर के शिष्य थे व वे उनकी सबसे बड़ी बेटी के पौत्र थे। असितजी के प्रभाव में आने के बाद सुकुमार बोस की कलाकृतियों में और भी ज्यादा असर दिखने लगा।

कई मंजिलें की फतह

क्9फ्ख् में महज बीस साल की उम्र में सुकुमार बोस मॉडर्न स्कूल दिल्ली में कला शिक्षक नियुक्त हुए। वे ऑल इंडिया फाइन आ‌र्ट्स एंड क्राफ्ट्स सोसाइटी के एक अग्रणी सदस्य भी रहे। वर्ष क्9भ्0 में उन्हें रोमन कैथोलिक चर्च में कमिश्नड नियुक्त हुए। वहां उन्होंने क्रिश्चियन सब्जेक्ट को भारतीय अंदाज में कलाकृतियों में उकेरा। वेटिकन में आज भी वह कलाकृतियां 'द नेटिविटी- द बर्थ ऑफ क्राइस्ट' में मौजूद हैं। उसके बाद उन्होंने वर्ष क्9भ्ख् से लेकर क्9म्0 तक यूके, यूएसए और इंडिया में कई जगहों पर अपना सोलो एग्जीबिशन आयोजित किया। जिन्हें काफी सराहना मिली। क्0 नवंबर, क्98म् में इनका निधन हो गया। मगर अपनी कला के जरिए वे आज भी जीवित हैं।

सुकुमार बोस लखनऊ में पढ़े-बढ़े क्9वीं दशक के कलाकार थे। कई लोगों से प्रभावित रहे। ललित मोहन सेन और विशेश्वर सेन से दृश्य चित्रकारी की बारीकियां सीखीं। सुकुमार बोस पर आर्ट ऑफ कुमार बोस के नाम से किताब भी पब्लिश हुई है जिसे सिंगापुर गवर्नमेंट की मदद से प्रकाशित किया गया है।

प्रोफेसर अखिलेश मिश्र, उपन्यासकार, कथाकार, डॉ। शकुंतला मिश्र राष्ट्रीय पुर्नवास विश्वविद्यालय।