-सीएमएस गोमतीनगर प्रेक्षागृह में दो दिवसीय कथक समारोह में कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुतियां दी

-मेरे पिया अर्जुन से ह़ुई कार्यक्रम की शुरुआत

LUCKNOW(23 Oct):

अर्जुन मिश्र की पुण्यतिथि पर आयोजित स्मृति समारोह के दूसरे दिन रविवार को उनके देशी-विदेशी शिष्यों ने मंच पर मनमोहक प्रस्तुतियों का प्रदर्शन कर उन्हें भावांजलि अर्पित की। इस दौरान पद्मविभूषण कुमुदिनी लाखिया और मुख्य अतिथि के रूप में पंजाब नेशनल बैंक के महाप्रबंधक अरविंद तिवारी के साथ अभिनेता सुरेंद्र पाल भी माैजूद रहे।

परंपरागत कथक पर बजी तालियां

कार्यक्रम की शुरुआत आज हृदय अनुज की बनाई बंदिश 'मेरे पिया अर्जुन से कांतिका मिश्रा, नेहा सिंह, स्मृति मिश्र, अक्षरा, ईशा रतन, मीशा रतन, प्रिया, राधिका, स्नेहा श्रेया, प्रगति, सृष्टि, सलोनी, नीरज, अंकिता मिश्रा, एकता मिश्रा, आद्या, इशी आदि की सामूहिक प्रस्तुति से हुआ। कांतिका मिश्र ने तीन तान पर शुद्ध पक्ष रखने के साथ कजरी। 'घरि आई बदरिया' पर भाव दिखाया।

तीन ताल पर दिखा उतार-चढ़ाव

संयुक्ता सिन्हा ने विलम्बित तीन ताल से शुरुआत करके उपज, उठान आदि का सुंदर प्रदर्शन किया। दिल्ली के प्रदीप्तो इप्शिता के युगल कथक में धमार। 'बाजत ताल धमार' के संग पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत कर सभी को भावविभोर कर दिया। नेहा सिंह की रचना। ष्रंग ले अपने रंग में रंगीले' पर नृत्य प्रस्तुति पर सूफि याना रंगत बिखरी दिखाई दी। मनीषा मिश्रा ने पारम्परिक कथक में आमद, उठान, तोड़े-टुकड़े का अनुशासन में बंधा सुंदर प्रदर्शन किया। कल्चरल क्वेस्ट की समूह प्रस्तुति में भी परम्परागत कथक का खूबसूरत अंदाज देखने को मिला। श्रीलंका की वेरोनिका ने ठुमरी। 'मोहे छेड़ो न कन्हाई' पर नृत्य किया तो श्रीलंका की ही रौशनी, हंसा की जोड़ी ने। 'बड़े नादान हैं जो' गजल रचना पर भाव दर्शाए। स्विटजरलैण्ड की फेनी मारखेय ने तीन ताल पर परन तिहाई से प्रदर्शन प्रारम्भ करते हुए बनारस घराने की कुछ खास बंदिशें और फिर भाव पक्ष में दादरा, 'ये कैसा जादू डाला' का प्रदर्शन किया। मुंबई से आई पूजा पंत ने भी नृत्तपक्ष में पारंगता दर्शाते हुए ठुमरी की प्रस्तुति दी।

इन्होंने बनाए रखी शमा

करिश्मा व विजय अग्निहोत्री के संचालन में चले समारोह में संगीत पक्ष में तबला विकास मिश्र, नकुल मिश्र व नरेन्द्र, सारंगी पर विनोद मिश्र, गायन व हारमोनियम पर धर्मनाथ मिश्र, सरोद पर हृदय देसाई, सितार पर नवीन मिश्र के साथ ही अन्य पक्षों में गोपाल सिन्हा, ज्योति किरन रतन के साथ ही आइसीसीआर, संस्कृति मंत्रालय, पीएनबी, बीबीडी व सिनर्जी आदि का सहयोग रहा।