-दोनों स्टेशन पर बढ़ रही है घाघरा, इसकी वजह से घाघरा के घटने की स्पीड हुई कम

-नेपाल में पिछले तीन दिनों से बरस रहा है पानी, 72 घंटे में गोरखपुर पहुंचने की आशंका

-बांध पर पहले से दबाव, पानी आने पर और बढ़ सकती है लोगों की मुश्किल

GORAKHPUR: बाढ़ के दौरान अब नदियों की रफ्तार थमने लगी है। रोहिन दो मीटर से ज्यादा नीचे आने के बाद पिछले 36 घंटों से स्थिर हो गई है। मगर घाघरा लोगों को राहत देने के मूड में नजर नहीं आ रही है। मॉनीटरिंग स्टेशन पर घाघरा के लगातार बढ़ने की वजह से राप्ती का पानी आगे नहीं जा पा रहा है, जिससे इसकी रफ्तार भी मंद पड़ने लगी है। अगर यही हालात रहे तो आने वाले 48 घंटों में गोरखपुराइट्स की प्रॉब्लम फिर बढ़नी तय है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह कि पिछले 48 घंटों से नेपाल के पहाड़ों पर जबरदस्त पानी बरस रहा है, जिसका पानी सीधे रोहिन में आता है। रोहिन राप्ती में मिलती है, जिससे एक बार फिर बाढ़ और लोगों की मुश्किलें बढ़नी तय है।

परेशानी बढ़ाएगा चार नदियाें का पानी

घाघरा के उफान का असर सीधा गोरखपुर पर पड़ता है। ऐसा इसलिए कि गोरखपुर से होकर गुजरने वाली राप्ती का पानी सीधे घाघरा में जाता है, मगर घाघरा के उफान पर रहने की वजह से राप्ती का पानी आगे नहीं जा पा रहा है। इससे राप्ती के बढ़ने आसार बढ़ रहे हैं। वहीं, नेपाल में हो रही बारिश की वजह से वहां से आने वाली रोहिन नदी में अगले 48 घंटों में पानी बढ़ जाएगा। रोहिन राप्ती में मिलती है, जिससे रोहिन और राप्ती का जलस्तर खुद बढ़ जाएगा। राप्ती की बात की जाए तो गोरखपुर के बर्डघाट स्टेशन तक पहुंचते-पहुंचते इसमें तीन और नदियों का पानी आ जाता है, इसमें ककरही से बूढ़ी राप्ती, उस्का बाजार से कुंदरा और त्रिमोहानीघाट से रोहिन का नाम शामिल है। चारों नदियों गोरखपुर में इकट्ठा होती हैं, जिससे यहां के हालात काफी खराब हो जाते हैं।

फिलहाल घट रही है नदियां

नेपाल का पानी अभी गोरखपुर और आसपास से गुजरने वाली नदियों में नहीं पहुंचा है। इसकी वजह से अभी राप्ती और रोहिन में गिरावट का सिलसिला जारी है। राप्ती जहां कई प्वाइंट्स पर ढाई फीट से ज्यादा घट गई है, वहीं रोहिन में भी 96 घंटों में दो मीटर से ज्यादा गिरावट हुई है। मगर पिछले 36 घंटों से रोहिन स्थिर सी हो गई है। इसका पानी काफी स्लो स्पीड से कम हो रहा है, जो मॉनीटरिंग में नगण्य के बराबर है। त्रिमोहानीघाट पर रोहिन की बात की जाए तो 25 अगस्त को दोपहर 12 बजे जहां रोहिन का वॉटर लेवल 81.5 मीटर था, वहीं, 26 अगस्त की देर रात तक 81.5 मीटर पर स्थिर बनी हुई थी। जबकि 23 अगस्त से 25 अगस्त के बीच 48 घंटों के दौरान इसका वॉटर लेवल 83.5 से घटकर 81.5 तक पहुंच आया था।

होने लगी कटान

पानी चढ़ने पर जहां बांध के आसपास कई स्पॉट्स पर रिसाव की शिकायत आ रही थी, उसे मुकामी लोग किसी तरह काबू कर बैठे हैं। मगर जहां से पानी घट रहा है, वहां अब मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। डोमिनगढ़ बांध की बात की जाए तो यहां पानी उतरने से बांध की हालत काफी खराब है। जगह-जगह मोटी-मोटी दरारें नजर आ रही हैं, वहीं मिट्टी और बोल्डर भी सिखक गए हैं। इतना ही नहीं लहसड़ी बांध के कुछ स्पॉट्स पर अब भी लोग डेरा जमाए बैठे हैं। कुछ जगह पर पानी इतना नीचे चला गया है कि बोरे भी वहां से अलग होकर वहीं बाढ़ के पानी में गिरने लगे हैं।

डोमिनगढ़ से हटी इंडियन आर्मी

डोमिनगढ़ बांध पर पिछले कई दिनों से रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे आर्मी के जवान अब वहां से हट चुके हैं। वहां प्रशासन और सोशल वर्कर्स पीएसी की मदद से राहत और बचाव कार्य में जुटे हैं। वहीं, इलाज के लिए बना आर्मी का हेल्थ कैंप भी वहां से हट चुका है और दवाओं से लैस सिर्फ एक एंबुलेंस तैनात है, जिसके जरिए बीमार को हॉस्पिटल तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। अगर मरीजों की संख्या बढ़ी तो प्रॉब्लम बढ़ना तय है। वहीं, बाकी जगहों पर भी लोग किसी तरह दिन काट रहे हैं। कहीं पानी में डूबकर पानी लेने जाना पड़ रहा है, तो कहीं लोग लंच पैकेट और राहत सामग्री के इंतजार में बैठे हुए हैं।

बचाव की तैयारियों में जुटे जिम्मेदार

नेपाल से पानी आने की संभावना को देखते हुए जिम्मेदारों ने अब अपने लेवल से तैयारियां शुरू कर दी हैं। डोमिनगढ़ बांध पर लगे रेग्युलेटर की हालत को देखते हुए वहां बालू और मिट्टी की व्यवस्था की गई है। इन्हें अभी से बोरों में भरकर तैयारी की जा रही है, जिससे अगर वॉटर लेवल ज्यादा ऊपर जाता है और रेग्युलेटर पर दबाव बढ़ता है तो इसे इनकी मदद से कंट्रोल किया जा सके।