- स्नैपडील से मंगवाए महंगे मोबाइल, जींस और जैकेट

- पुराना जूता, फटे कपड़े वापस भेज ले लिया फर्जी क्लेम

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LUCKNOW: ऑनलाइन शॉपिंग में ठगी का शिकार होने वाले कस्टमर्स तो आपने बहुत देखे होंगे, लेकिन लखनऊ के एक 'शातिर कस्टमर' ने ही कंपनी के साथ फर्जीवाड़े का 'गेम' कर दिया। ये कस्टमर पहले तो महंगे मोबाइल, आईपैड, कपड़े, चश्मे आदि बुक कराता था। फिर उनमें पुराने जूते, फटे कपड़े, ब्लैंक सीडी भरकर वापस भेज देता था। युवक ने करीब 25 लाख के सामान मंगाया और 25 लाख का 'फर्जी क्लेम' हासिल कर लिया। पूरे गोलमाल में युवक के केवल 84 हजार रुपये लगे। मामला ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट स्नैपडील से जुड़ा है। वेबसाइट से जुड़े अधिकारियों ने पुलिस में केस भी दर्ज कराया। युवक को तो पुलिस नहीं पकड़ सकी, लेकिन कंपनी के अधिकारियों के दिल्ली से लखनऊ तक दर्जनों चक्कर जरूर लग गए।

इस तरह किया गोलमाल

स्नैपडील का आरोप है कि आलम नगर स्थित, अशोक विहार में रहने वाले अमन गुप्ता ने पांच महीने में करीब 25 लाख की कीमत के 80 प्रोडक्ट मंगाए। इनमें महंगे मोबाइल, आईपैड, जींस-जैकेट, चश्मे आदि थे। अमन ने अलग-अलग कारण बताकर रिफंड क्लेम किया। कंपनी के मुताबिक रिफंड इनीशिएट होने से पहले प्रोडक्ट वापसी के नाम पर अमन ने असल सामान के बदले पुराने जूते, फटे कपड़े आदि वापस किए और एकाउंट में पैसे रिफंड करा लिए। इस तरह उसे सामान भी मिल गया और उनका दाम भी। सारे प्रोडक्ट कैश ऑन डिलिवरी थे और दिसंबर 2014 से लेकर मार्च 2015 तक बीच बुक कराए, रिफंड भी इसी दौरान क्लेम किया। क्लेम के लिए एक ही एकाउंट का इस्तेमाल किया।

कौडि़यों के दाम कीमती सामान

करीब 48 हजार कीमत वाले 32 जीबी ब्लैकबेरी मोबाइल के एक दर्जन सेट के बदले अमन ने 1200 रुपये के मोबाइल सेट कंपनी को भेज दिए। इसके अलावा उसने सैमसंग के दो नोट थ्री और कैनन के चार महंगे कैमरे भी मंगवाए।

दिल्ली से लखनऊ तक कंपनी वालों की दौड़

स्नैपडील के अधिकारी कृष्ण मोहन चौधरी ने बताया कि पिछले साल 4 सितंबर को तालकटोरा थाने में शिकायत की गई। मोबाइल के ईएमईआई और नंबर दिए गए। इस दौरान पुलिस दिल्ली से कंपनी के अधिकारियों किसी न किसी वजह से बुलाती रही, लेकिन अमन को गिरफ्तार करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।

ये है पुलिस का जवाब

थानाध्यक्ष तालकटोरा अशोक यादव ने बताया कि स्नैपडील ने आईटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी। पहले इंस्पेक्टर नाका तफ्तीश कर रहे थे, फिर मामला तालकटोरा भेजा गया। आईओ कृष्ण कुमार जांच कर रहे हैं, लेकिन कंपनी ही तफ्तीश के लिए जरूरी एवीडेंस उपलब्ध नहीं करा रही।