-थाने में शिकायत लेकर पहुंचने वालों को लौटा दिया जाता है

-बैंक भी नहीं करती सुनवाई, अधिकारियों के पास शिकायत पर एक्शन

BAREILLY: साइबर क्राइम मौजूदा दौर में सबसे बड़ा क्राइम बन गया है, जिसमें ठग आराम से बैठकर फोन कॉल करके लाखों रुपए रोजाना लूट रहे हैं, लेकिन लूट का शिकार हुए लोग जब पुलिस थाने पहुंचते हैं तो उनकी फरियाद सुनना तो दूर, उनके साथ ही क्रिमिनल मानकर व्यवहार किया जाता है। थाना पुलिस या तो उसे बैंक में जाकर शिकायत करने की बात कहती है या फिर साइबर सेल में लेकिन जब तक उसकी शिकायत सही जगह पहुंचती है तब तक काफी देर हो जाती है। काफी चक्कर लगाने के बाद एफआईआर दर्ज हो भी जाती है लेकिन साइबर ठग गिरफ्तार नहीं होते हैं। ऐसे ही एक पीडि़त ने साइबर ठगी की शिकायत पुलिस के ट्विटर अकाउंट पर की है, लेकिन वहां भी कोई हल नहीं निकल रहा है।

केस 1-

थाने में कई घंटे तक इंतजार

सनसिटी विस्तार निवासी वासु गुप्ता के 2 अप्रैल को इंडस इंड बैंक के अकाउंट से साइबर ठगों ने 4003 रुपए निकाल लिए। जब उन्हें ठगी का पता चला तो वह बैंक पहुंचे, बैंक ने कहा कि एफआईआर दर्ज होने पर ही जांच शुरू हो सकेगी। वह इज्जतनगर थाना पहुंचे तो वहां कई घंटे बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई। जिसके बाद उन्होंने यूपी पुलिस के ट्विटर अकाउंट पर शिकायत की तो सीओ सिटी थर्ड को जांच के लिए लिख दिया गया, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं की गई।

केस 2-

तीन महीने बाद हुई एफआईआर

डीडीपुरम निवासी हर्षदीप शर्मा के अकाउंट से साइबर ठगों ने जनवरी माह में हजारों रुपए का ट्रांजेक्शन पेटीएम व फ्री चार्ज के जरिए किया था। वासु की तरह यह भी बैंक गए तो उन्हें पुलिस में शिकायत करने के लिए कहा गया। थाने गए तो रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। जिसके बाद उन्होंने पुलिस अधिकारियों से शिकायत की। मामला साइबर सेल पहुंचा और फिर जांच के बाद 25 मार्च को बारादरी थाना में एफआईआर दर्ज की गई।

पीडि़त से ही सवाल जवाब

वासु और हर्षदीप की तरह कई लोग साइबर ठगी की शिकायत थाने पर लेकर पहुंचते हैं। थाने में सबसे पहले तो पीडि़त से कहा जाता है कि रोजना साइबर ठगी हो रही है फिर भी ध्यान नहीं रहते हैं। ठगों को अपने अकाउंट की डिटेल क्यों दी। अब तो रुपए वापस नहीं आएंगे। थाना पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है, या तो साइबर सेल जाओ या फिर किसी अधिकारी से शिकायत करो। जिसके बाद वह अधिकारी के ऑफिस जाता है और फिर मामला साइबर सेल भेजकर जांच शुरू की जाती है।

साइबर सेल में होती है जांच

साइबर ठगी के केस की जांच साइबर सेल से शुरू होती है। यहां ठगी के मामलों में टीम पहले ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को रुकवाने का प्रयास करती है। कंपनियों से डिटेल मंगवाती है और उसके बाद रिपोर्ट संबंधित थाने को भेज देती है। साइबर ठगी का मामला आईटी एक्ट के तहत दर्ज होता है, जिसके चलते जिस थाने में इंस्पेक्टर की तैनाती है वहीं एफआईआर दर्ज करने के लिए भेजा जाता है और जिस थाने में इंस्पेक्टर नहीं होता है तो मामला क्राइम ब्रांच भेज दिया जाता है।

नहीं पकड़े जाते हैं ठग

पिछले एक वर्ष की बात करें तो बरेली में कोई भी साइबर ठग नहीं पकड़ा गया है। जबकि साइबर ठगी के 50 से ज्यादा मामले हो चुके हैं। साइबर सेल के मामलों की जांच करने वाली टीमें ठगों को पकड़ने के पहले तो प्रयास ही नहीं करती हैं और कुछ लोग जांच के नाम पर झारखंड या किसी अन्य राज्य में जाते तो हैं लेकिन ठग नहीं पकड़े जाते हैं। साइबर ठग अधिकतर दूसरे राज्यों से ही बैठकर ठगी करते हैं। इसमें नाइजीरियन भी शामिल होते हैं। ठग दिल्ली-नोएडा या अन्य जगहों से बैठकर कॉल करते हैं। साइबर सेल की जांच में पता चला है कि ज्यादातर मामलों में ठगों के मोबाइल नंबर फर्जी और दूसरे राज्य के होते हैं। इसके अलावा जिन अकाउंट में रुपए ट्रांसफर किए जाते हैं, वह झारखंड या कर्नाटक के होते हैं। झारखंड के अधिकतर ठग जमतारा या अन्य नक्सली एरिया के होते हैं, जिन्हें पकड़ने की पुलिस हिम्मत ही नहीं करती है।

साइबर ठगों के बहाने

-एटीएम ब्लॉक होने के बहाने

-एटीएम को आधार से अपडेट करने के बहाने

-बैंक मैनेजर बनकर फोन करके

-ऑनलाइन शॉपिंग के जरिए

-लॉटरी का लालच देकर

इन बातों का रखें ध्यान

-कोई बैंक कभी किसी कस्टमर को फोन नहीं करती है

-एटीएम या बैंक अकाउंट से जुड़ी डिटेल किसी से शेयर न करें

-अपना एटीएम कार्ड किसी को न दें

-एटीएम से भी रुपए निकालते वक्त अलर्ट रहें

-लॉटरी के लालच में न फंसे

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50 केस-इस वर्ष साइबर ठगी के हो चुके हैं

-कोई ठग नहीं पकड़ा गया इस वर्ष