90 केस दर्ज किए गए ऑनलाइन तरीके से बैंक ठगी के मामले

450 शिकायतों की साइबर सेल में अभी चल रही है जांच

37 लाख की रकम पीडि़तों को वापस कराई गई

120 साइबर अपराधियों पर दर्ज हो चुके मामले

10 कर्मचारियों और एक एएसपी का स्टॉफ है साइबर सेल में

हर माह 5-6 शिकायतें हो रहीं दर्ज

फर्जी बैंककर्मी बनकर लोगों से पूछते हैं एटीएम का ओटीपी नंबर

Meerut। शहर के साइबर अपराधी पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को ही चकनाचूर करने में जुटे हैं। हालत यह है कि नोटबंदी के बाद अगर आंकड़ों को देखें तो हर महीने तकरीबन साइबर क्राइम से जुड़ीं 5 से 6 शिकायतें दर्ज की गई। वहीं इस दौरान तकरीबन 450 शिकायतों की अभी जांच चल रही है।

नोटबंदी के बाद बढ़े मामले

गौरतलब है कि 8 नवंबर 2016 को पीएम नरेंद्र मोदी ने कालेधन पर शिकंजा कसने के लिए नोटबंदी की थी, साथ ही सरकार ने डिजिटलाइजेशनके लिए जोरशोर से कवायद की थी, लेकिन नोटबंदी के बाद साइबर क्राइम के आंकड़ों का ग्राफ बढ़ गया, जिस पर साइबर क्राइम के अधिकारी अंकुश नहीं करा पा रहे हैं।

एटीएम फॉड के केस ज्यादा

नोटबंदी के बाद साइबर क्राइम के ऑफिस में सबसे ज्यादा फर्जी बैंककर्मी बनकर एटीएम का ओटीपी पूछना, फिर उनके खाते से रुपये निकालने के मामले आए है, जिसमें अकेले 90 केस दर्ज किए गए हैं। वहीं 450 मामलों की जांच चल रही है।

इंटरनेट बैंकिग से फ्रॉड

वहीें, इंटरनेट बैकिंग के जरिए भी कई लोगों के खातों से रुपये निकाल लिए गए। पीडि़तों को पता भी नहीं चला। जब उनके खाते से बैलेंस कम होने का मैसेज आया तो उन्होंने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई।

बैंक दें ट्रेनिंग

साइबर सेल के प्रभारी परविंद्र पाल सिंह के मुताबिक अगर बैंक कर्मचारी अपने उपभोक्ताओं को एटीएम व इंटरनेट बैंकिंग शुरू करते वक्त एटीएम के पासवर्ड, उसे चलाने व ओटीपी की सुरक्षा की ट्रेनिंग दें, तो साइबर क्राइम की घटना रुक सकती हैं।

सबसे चर्चित मुकदमा

बीते साल साइबर सेल में एब्लेज इंफो सॉल्यूशन कंपनी के खिलाफ 37 अरब की ऑनलाइन ठगी का मुकदमा दर्ज हुआ था। जिसमें कंपनी मालिक व मेरठ निवासी अनुराग गर्ग को पुलिस पकड़ चुकी है। इसके साथ पांच अन्य आरोपी भी जेल में है। जिसमें 180 लोगों ने मुकदमा दर्ज कराया था।

एटीएम कार्ड की सुरक्षा के प्रति जागरूकता न होने से हैकर्स लोगों को अपना निशाना बनाते है। कई केसों में देखने को मिला है कि हैकर्स बैंक कर्मी बनकर फोन पर उनसे एटीएम नंबर व ओटीपी पूछ कर फ्रॉड करते है।

परविंद्र पाल, इंस्पेक्टर, साइबर सेल