-सेंट जेवियर्स कॉलेज में फिल्म फेस्टिवल साइनोश्योर का समापन

-बेहतर फिल्म बनानेवाली टीम को किया गया सम्मानित

RANCHI : सेंट जेवियर्स कॉलेज में दो दिनी फिल्म फेस्टिवल साइनोश्योर का समापन शुक्रवार को हो गया। इस फेस्टिवल में स्टूडेंट्स ने छोटी फिल्मों के माध्यम से बड़े मैसेज दिए। इस फेस्टिवल में शामिल हर स्टूडेंट की फिल्म कुछ न कुछ कहती नजर आई। मुंबई से आए मिहिर शर्मा ने स्टूडेंट्स की इस कोशिश की तारीफ की। इस मौके पर मास कॉम डिपार्टमेंट के एचओडी संतोष किडो और आलोक रंजन मौजूद थे। इस मौके पर कल्चरल प्रोग्राम का भी आयोजन किया गया।

नशामुक्त हो समाज

सेंट जेवियर्स कॉलेज के मास कॉम डिपार्टमेंट के थर्ड ईयर के स्टूडेंट्स द्वारा बनाई गई फिल्मों में कुछ न कुछ मैसेज जरूर था। किसी ने कैसे स्वच्छ होगा भारत की बात बताई, तो किसी ने दिखाया कि डिजेबल होकर भी कैसे लोग हौसला दिखा रहे हैं। वहीं नशा कैसे हमारे समाज की दिशा को कैसे बदल रहा है यह भी स्टूडेंट्स ने दिखाने की कोशिश की है।

आसपास की स्टोरी

इन फिल्मों के टॉपिक को स्टूडेंट ने इसी शहर से लिया। अपने आसपास हो रही एक्टिविटी को कैच करके फिल्म बनाई है। हौसलों की उड़ान फिल्म बनाने वाले सौरभ का कहना है कि मैं एक बार ऑटो में स्टेशन जा रहा था और देखा कि जो ऑटो चला रहे हैं उनकी कलाई नहीं है। इसके बाद उनसे बात की और अपनी शार्ट फिल्म का आइडिया मिल गया।

इन फिल्मों ने दिया मैसेज

हौसलों की उड़ान: इस शार्ट फिल्म में तीन डिजेबल लोगों को दिखाया गया है, जिसमें एक ऑटो ड्राइवर एहसान भाई हैं। उनके दोनों हाथ की हथेली नहीं है। फिर भी वे ऑटो चलाते हैं और अपना गुजारा चलाते हैं। दो ऐसे और लोगों की कहानी है जो डिजेबल होते हुए भी अपने हौसले से अपना घर चला रहे हैं। इस फिल्म को सौरभ शुक्ला एंड टीम ने बनाई है, जिन्हें फ‌र्स्ट प्राइज भी मिला।

क्या ऐसे बनेगा स्वच्छ भारत: इस फिल्म में ये दिखाया गया है कि देश भर में स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन हम कूड़े को डस्टबीन में डालते हैं इसके बाद नगर निगम उसे उठाकर कहीं और डंप कर देता है। लेकिन इसके बाद कूडा वहीं पड़ा-पड़ा सड़ जाता है और इसे रिसाइकिल नहीं किया जाता है। ऐसे में स्वच्छता अभियान की कल्पना कैसे की जा सकती है। यह फिल्म रूपेश कुमार साहू एंड टीम ने बनाई है।

सिंगल थिएटर एक्सटेंशन टू सरवाइवल: इस फिल्म में सिंगल थिएटर की बात की जा रही है। जहां एक तरफ मल्टीप्लेक्स खड़े हो रहे हैं और सिंगल थिएटर समाप्त हो रहे हैं। ऐसे में अगर ये समाप्त हो जाएंगे तो इन्हें कोई कैसे याद रखेगा। आने वाली जेनरेशन को इसकी जानकारी केवल सुनने को मिलेगी। यह फिल्म सुभोमय भट्टाचार्य एंड टीम ने बनाई है।

एस क्यूब : यह शॉर्ट फिल्म खेलों पर आधारित है, जिसमें तीन एस शामिल है। इसमें स्ट्राइब, स्ट्रगल और सरवाइव है। इसमें हॉकी और क्रिकेट को लेकर यह दिखाने की कोशिश की गई है कि किस तरह क्रिकेट का क्रेज है और क्रिकेट प्लेयर्स को सबकुछ मिलता है। लेकिन हॉकी के प्लेयरों को इनकी तुलना में कुछ नहीं मिलता है। दोनों खेलों में कितना अंतर है। यह फिल्म कुमार गौरव एंड टीम ने बनाई है।