सड़क चौड़ीकरण के नाम पर होने वाली तोड़फोड़ पर बोले लोग, मिसमैनेजमेंट से लगता है जाम

ALLAHABAD: हर अ‌र्द्धकुंभ और कुंभ के पहले दौरान रोड चौड़ा करने के नाम पर तोड़फोड़ होगी तो लोगों के घरों और दुकानों का क्या होगा? दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने अ‌र्द्धकुंभ को लेकर एडीए, नगर निगम और पीडब्ल्यूडी द्वारा शहर की सड़कों को चौड़ा करने के लिए की जा रही प्लानिंग पर शहर के व्यापारियों, पटरी के दुकानदारों और समाजसेवियों के बीच चर्चा की। इस दौरान यह सामने आया कि सिर्फ सड़कों की तोड़फोड़ से हालत नहीं सुधरेगी। बल्कि इसके लिए चीजों को व्यवस्थित करना होगा।

व्यवस्थित हों हेरिटेज मार्केट

चर्चा की शुरुआत करते हुए निवर्तमान पार्षद शिवसेवक सिंह और आजाद स्ट्रीट हॉकर यूनियन के अध्यक्ष रविशंकर द्विवेदी ने कहा कि हर शहर में हेरीटेज मार्केट होती है। चाहे वह दिल्ली का चांदनी चौक हो या फिर लखनऊ का हजरतगंज। इलाहाबाद का चौक और कटरा भी हेरीटेज मार्केट है। उसका स्वरूप कैसे बदला जा सकता है। वहां पर जाम न लगे, अवैध निर्माण न हो, अवैध कब्जा न हो, इसे व्यवस्थित करना सिस्टम की जिम्मेदारी है।

डिवाइडर के मानकों का पालन नहीं

- डिवाइडर बनाने के लिए रोड की चौड़ाई 14 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए। लेकिन यहां 10-11 मीटर चौड़ी रोड पर भी डिवाइडर बना दिया गया है।

- सोहबतिया बाग की रोड 11 मीटर चौड़ी थी। लेकिन डिवाइडर की वजह से संकरी हो गई है।

- यह ध्यान नहीं रखा गया कि जहां डिवाइडर बन रहा है, वहां सर्विस लेन है कि नहीं, अगर नहीं तो डिवाडर नहीं बनना चाहिए।

- डिवाइडर जहां से शुरू हो और जहां खत्म हो वहां इंडिकेशन होना चाहिए। लाल बत्ती जलनी चाहिए, लेकिन यहां ऐसा नहीं होने से होते हैं हादसे।

ये भी हैं जाम की वजहें

-शहर में जितनी स्पेस है, उसके हिसाब से ही गाडि़यों का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए।

-गांव के नाम पर रजिस्टर्ड गाडि़यां शहर में दौड़ रही हैं।

-आउटडेटेड हो चुके टेम्पो टैक्सी शहर में दौड़ रहे हैं। इन्हें शहर से बाहर किया जाना चाहिए।

हर आदमी चाहता है कि शहर सुंदर हो। लेकिन सुंदरता का मतलब ये नहीं कि गरीबों की रोजी-रोटी छीनी जाए। 2013 के कुंभ से पहले लीडर रोड से दुकानदारों को उजाड़ा गया। लेकिन अभी तक उन्हें बसाया नहीं जा सका है।

-शिवसेवक सिंह, निवर्तमान पार्षद

पब्लिक हित में कानून पब्लिक के राय से बनाया जाना चाहिए। इसमें जनता की भागीदारी जरूरी हो। लेकिन इलाहाबाद में एक्ट के विपरीत अध्यादेश लागू किया जा रहा है। कार्रवाई के नाम पर केवल उत्पीड़न हो रहा है। 1998 में सड़कें चौड़ी की गई थीं। फिर से तैयारी है। विकास के नाम पर उजाड़ देना ठीक नहीं।

-कमलेश सिंह, पूर्व पार्षद एवं समाज सेवी

पांच साल पहले लीडर रोड की पटरी पर चल रही दुकानों को तोड़ा गया था। मलबा आज तक पड़ा हुआ है। उसे हटाकर रोड पटरी का आज तक उपयोग नहीं किया जा सका है। पब्लिक को भी अवेयर होना पड़ेगा।

-सरदार अजीत सिंह, सिविल डिफेंस

विकास के नाम पर विनाशलीला खेली जा रही है। हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर संसद में सड़क-पटरी के दुकानदारों का अधिकार बना। लेकिन पटरी के दुकानदार आज भी असुरक्षित हैं।

-रवि शंकर द्विवेदी, अध्यक्ष, आजाद स्ट्रीट वेंडर हॉकर कमेटी

जब भी किसी रोड पर जाम लगता है, तो उसके लिए पटरी के दुकानदार का नाम आता है। जबकि जाम टैक्सी वाले लगाते हैं। पटरी के दुकानदार पुलिस का डंडा खाते हैं, जो भी योजनाएं बनती हैं, वो केवल कागज पर ही बना दी जाती है।

-बिगुन तिवारी

शहर की सड़कों को चौड़ी करने की जरूरत ही नहीं है। ट्रैफिक मैनेजमेंट के जरिये जाम को कंट्रोल किया जा सकता है। जिन दुकानदारों के लिए सरकार ने एजेंसी बनाया है, उसे अवैध कैसे कहा जा सकता है।

-शुभम पांडेय

शासन का आदेश है कि नए शहरी विकास में ढाई परसेंट पटरी दुकानदारों का हक है। उन्हें बसाया जाए। लेकिन यहां बसाने को कौन कहे, उजाड़ा जा रहा है। पटरी दुकानदारों की बात कोई नहीं सुनता है।

-विमल गुप्ता

शहर की जो सड़कें पहले से चौड़ी हैं या फिर 2001 के कुंभ से पहले तोड़फोड़ करके चौड़ी कराई गई हैं, अब उन्हें एक बार फिर तोड़फोड़ करके चौड़ा करना ठीक नहीं है।

-प्रमोद यादव

सिविल लाइंस में जाम से मुक्ति के लिए करोड़ों रुपए की लागत से मल्टी लेवल पार्किंग बना है। लेकिन पार्किंग में गाडि़यां पार्क ही नहीं होती हैं। मल्टी लेवल पार्किंग का एरिया पटरी दुकानदारों को किराए पर दिया जाए तो पूरे सिविल लाइंस से पटरी की दुकानें नहीं दिखाई देंगी।

-अजय गौड़

शहर में जितने भी पटरी के दुकानदार हैं, उनमें तीन प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी है। सरकार महिलाओं के अधिकार की बात करती हैं, वहीं इस तरह के कार्रवाई से सबसे ज्यादा महिलाएं ही प्रभावित होती हैं।

-पूनम शुक्ला

मैं तो बस यही कहूंगा कि समरथ को नहीं दोष गुसाईशहर में ऐसे कई प्रभावशाली और नामी लोग हैं, जिन्होंने अवैध निर्माण और कब्जा कर रखा है। लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है। आम आदमी को ही प्रताडि़त किया जाता रहा है।

-डीके सरोज