- रजिस्ट्रेशन कैंसिल के मामले में अब तक डीटीओ लेवल से कुछ खास नहीं हो पाया

- पुरानी और पॉल्यूटेड गाडि़यां चलने के बाद भी नहीं हो पायी है कार्रवाई

- अभियान के नाम पर बस खानापूर्ति ही हो रही है

PATNA : पटना शहर में खटारा गाडि़यों की भीड़ लगी हुई है। हर दस में से एक गाड़ी खटारा दिख जाती है। लेकिन यह ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के लोगों को नहीं दिखता है। नतीजा है कि अब तक सड़कों पर चलने वाली पुरानी और खटारा गाडि़यों की वजह से शहर का पॉल्यूशन लेवल और जाम दोनों बढ़ती जा रही है, जबकि पटना आरटीओ, डीटीओ इसको लेकर अब तक कार्रवाई के नाम पर सिर्फ पचास गाडि़यों का रजिस्ट्रेशन ही कैंसिल किया है। वो भी इसलिए कि इन लोगों ने लगातार ट्रैफिक रूल्स को फॉलो नहीं किया है। इसके अलावा जितनी भी गाडि़यां है उसे ठीक मान लिया गया है। आपको जानकर हैरत होगी कि आरटीओ और डीटीओ के मुताबिक शहर में कई ऐसी गाडि़यां जो अपना फिटनेस टाइम को पूरा कर चुका है, लेकिन उन गाडि़यों का पता नहीं होने की वजह से नयी गाडि़यों के साथ-साथ पुरानी गाडि़यों की तादात हर साल बढ़ती ही जा रही है। आंकड़ों पर ध्यान दे तो दस लाख से अधिक गाडि़यों को चलने के लिए सड़क पर जगह नहीं मिल पाती है। और उस पर से पुरानी गाडि़यों का आंकड़ा बढ़ता ही चला जा रहा है, जबकि अब तक सिर्फ पचास गाडि़यों का ही रजिस्ट्रेशन कैंसिल किया गया है।

एमवीआई की नजर माल वाले वाहनों पर ही रहती है

गाडि़यों के फिटनेस जांच के मसले पर एमवीआई की नजर सिर्फ मालवाहक गाडि़यों पर ही रहती है। इसमें ट्रक, ट्रैक्टर पर ही इसकी नजर रहती है। क्योंकि यहां से मोटी कमाई उगाही जाती है, जबकि शहर में चलने वाली गाडि़यों की हकीकत यह है कि खटारा होने के बाद भी धुआं छोड़ते हुए चलते रहती है। इन गाडि़यों पर किसी का कंट्रोल नहीं है। इसके अलावा दूसरे स्टेट से आने वाली गाडि़यों का आंकड़े और उसके फिटनेस पर कभी भी कोई जांच नहंी चलाया जाता है। नतीजा शहर की सड़कों का कंडीशन खराब होते चला जाता है।

ऑटो की हालत - पांच हजार से अधिक पुरानी गाड़ी जो गांधी मैदान से चलती है।

सिटी राइड सर्विस - आधे से अधिक गाडि़यां फिटनेस के नाम पर मजाक उड़ाती हुई शहर में चल रही हैं।

टू व्हीलर - ख्भ् परसेंट टू व्हीलर पुरानी है उससे धुआं निकलते रहता है लेकिन कोई नहीं देखता है। नतीजा ट्रैफिक का माहौल और बुरा हो जाता है।

फोर व्हीलर और ट्रैक्टर - इसकी हालत और भी खराब है। पुरानी मॉडल की गाडि़यां आसानी से हर चौक-चौराहे पर दिख जाती है। लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया जाता।