Regular dance cochings
सिटी के कोरियोग्राफर्स के मुताबिक 5 साल पहले तक डांस को लेकर बरेलियंस का नजरिया दूसरा था। शहर में डांस
कोचिंग्स समर वैकेशंस में ही चलती थीं। बच्चों के  स्कूल क्लोज होने के बाद उनमें 2-3 महीने के लिए क्लासेज अरेंज
किए जाते थे। इसे बस एक्स्ट्रा एक्टिविटी के तौर पर ट्रीट किया जाता था। वन ईयर रेग्युलर क्लासेज के स्टूडेंट्स केवल 1
परसेंट ही मिलते थे। ऐसे में डांस कोचिंग्स स्कूल खुलते ही बंद हो जाती थीं। पर अब डांस कोचिंग्स में पूरे साल स्टूडेंट्स
की भरमार रहती है। यही वजह है कि डांस कोचिंग्स अपने एनुअल फंक्शंस भी ऑर्गनाइज कर पाती हैं। अब पेरेंट्स खुद
बच्चों क ो लेकर आते हैं और बच्चों से ज्यादा क्यूरियस भी होते हैं।

मंजिलें अभी बाकी हैं
बच्चों को डांस के प्रति क्रेजी करने वाले टीवी रियलिटी शो बूगी-बूगी 2006 की विनर चारू सिंह डांस की फील्ड में बरेली
का नाम रोशन कर चुकी हैं। इतना ही नहीं, वह 2010 में नेशनल टैलेंट सर्च की भी विनर रह चुकी हैं। उन्हें 6 साल की
उम्र में पहला ब्रेक डीडी मेट्रो पर आने वाले लाजवाब टैलेंट शो से मिला। वह कत्थक में प्रभाकर कर चुकी हैं। फिलहाल वह
बीटेक की स्टूडेंट हैं। चारू क हती हैं, डांस के लिए बचपन में ही पेरेंट्स ने उन्हें कोचिंग दिलवाई। उनकी लगन देखकर
उनका सपोर्ट किया। वह अभी डांस सिखाती हैं। लास्ट ईयर बरेली में कोरियोग्राफर सरोज खान के निर्देशन में हुए बरेली
आइडल का खिताब उनकी स्टूडेंट राधिका को मिला। अब उनकी मंजिल मुंबई है। वह कोरियोग्राफर बनना चाहती हैं।

dance से ही मिली पहचान
2005 में डांस से अपने करियर की शुरुआत करने वाले अवधेश यादव ने बताया कि डांस की वजह से ही वह मुंबई में
एसोसिएट डायरेक्टर का काम कर रहे हैं। कमांडो डांस स्कूल से कोचिंग लेने के बाद उन्होंने मुंबई का रुख किया। डांस
स्टेज शो में परफॉर्म करने के बाद उन्होंने कुछ टीवी शो में छोटी-छोटी भूमिकाएं निभाईं। उन्हें करियर का स्पेशल ब्रेक
'कहानी चंद्रकाता कीÓ से जुड़कर मिला। इस सीरियल के लिए उन्होंने एसोसिएट डायरेक्टर की भूमिका निभाई। इस समय
वह अनुपम खेर के साथ एक फिल्म कर रहे हैं। इसमें भी वह एसोसिएट डायरेक्टर की भूमिका में हैं।

classical की ओर बढ़ा रुझान
रियलिटी शोज के विनर्स को देखते हुए जो ट्रेंड सामने आया, उसमें सबसे
ज्यादा योगदान क्लासिकल बैकग्राउंड का दिखाई दिया। ऐसे में, अब डांस क्लासेज में स्टूडेंट्स की डिमांड क्लासिकल की
ही होती है। दरअसल, डांस अब केवल बर्थडे पार्टी या महिला संगीत तक सीमित नहीं है। जो डांस को जितना क्रिएटिव बना
सकता है, वह इस फील्ड में सक्सेजफुल हो सकता है। ऐसे में, डांस की डिफरेंट फॉम्र्स को जानना जरूरी होता है। ऐसे में
केवल इंडियन क्लासिकल या केवल वेस्टर्न क्लासिकल काफी नहीं होता है। अगर कोई कोरियोग्राफी की फील्ड में जाना
चाहता है, तब तो उसे डिफरेंट टाइप के डांस की जानकारी होना बहुत जरूरी है।

Its extravagant too
पेरेंट्स की मानें तो एज ए करियर डांस ऑप्ट करना काफी खर्चीला है। बच्चों को किसी भी शो के लिए वन वीक तक कम
से कम 4-5 घंटे तक प्रैक्टिस जरूर करनी होती है। वहीं डांस कॉस्ट्यूम पर भारी आता है। एक डांस स्टूडेंट की मदर
अनीता बजाज ने बताया कि कई बार तो हमें बुटीक  के पास जाकर खुद ही ड्रेस डिजाइन करनी होती है और इमरजेंसी
में कॉस्ट्यूम तैयार करवाने के लिए तो कई बार दो गुने से भी ज्यादा पेमेंट करना होता है।


'लास्ट 2-3 ईयर्स में क्लासिकल डांस के स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ गई है। पहले तो जो गल्र्स सीखती थीं, वह स्टेज शो के
लिए तैयार नहीं होती थीं। शादी के बाद तो उनका टैलेंट भी खत्म ही हो जाता था पर अब ऐसा नहीं है। अब वह स्टेज शो
के लिए जाती हैं और क्रिएटिविटी क ो पसंद करती हैं.'
आलोक बनर्जी, क्लासिकल डांस ट्रेनर

'डांस इंडस्ट्री करियर का अच्छा ऑप्शन है। अब हमारे पास स्टूडेंट्स केवल शौक के लिए नहीं आते हैं, उनके पेरेंट्स
बाकायदा करियर ऑप्शंस के बारे में डिस्क शंस करते हैं। वह उसके अकॉर्डिंग ही डांस फार्म सिखाने के लिए कहते हैं.'
विजय कमांडो, डांस टे्रनर

'मैं अभी क्लास 8 की स्टूडेंट हूं। 6 ईयर्स से कत्थक सीखती हूं। मैं इसका 5 ईयर कोर्स कंप्लीट कर चुकी हूं। मुझे बड़े
होकर कोरियोग्राफर बनना है। मुझे सरोज खान जी ने बरेली आइडल का खिताब दिया है पर अभी मुझे बहुत मेहनत
करनी है.'
राधिका अग्रवाल, स्टूडेंट

'मुझे डांस करना बहुत अच्छा लगता है, अब तक मैंने बरेली में ही परफॉर्म किया है, अब मैं रियलिटी शो के ऑडिशन भी
देना चाहती हूं। मुझे कोरियोग्राफर बनना है। इसके लिए मैं डांस के साथ कई प्रैक्टिकल्स भी करती हूं। मेरे पेरेंट्स मुझे
इसके लिए पूरा सपोर्ट करते हैं.'
भावना बजाज, स्टूडेंट

Different dance forms

Ballroom Dance :इस डांस फार्म की शुरूआत जर्मनी में हुई। यह वास्तव में एलीट क्लास सोसायटी के लिए था। अब
इसके डिफरेंट स्टाइल्स विश्व में पसंद किए जाते हैं।

Tango Dance : यह डांस का अमेरिक न स्टाइल है। इस डांस में मेल पार्टनर ही फीमेल पार्टनर को लीड करता है।

इसकी कोरियोग्राफी अलग-अलग कंट्रीज में अलग-अलग तरह से की जाती है।


Cha-cha-cha Dance : यह एक अमेरिकन डांस फार्म है, जो स्लो हिप मूवमेंट पर बेस्ड होता है। यह डांस इसके
स्टेप्स की खूबसूरती और स्लो रिद्म पर डांसर्स के बीच के कोऑर्डिनेशन के लिए  जाना जाता है।

Rumba Dance : यह बॉलरूम डांस का एक टाइप है। इसे क्यूबा, प्यूरिटो रिका और लैटिन अमेरिका में डेवलप किया
गया है। इस में डांस पार्टनर्स क ो डांस स्पॉट चेंज नहीं करना होता है। वह एक ही स्पॉट पर होता है। सालसा के न्यूयॉर्क
और लॉस एंजल्स स्टाइल्स काफी फेमस हैं।

Salsa Dance : यह एक स्ट्रीट डांस स्टाइल है। इस डांस में कलरफुल डांस वियर्स का सबसे ज्यादा इंपार्टेंस होता है।


कोलावरी डी से गंगनम स्टाइल

डांस में बढ़ती क्रिएटिविटी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गंगनम स्टाइल का वीडियो अब तक 1.5
अरब लोग देख चुके हैं। यू ट्यूब पर गंगनम स्टाइल के वीडियो ने कोलावरी डी को भी काफी पीछे छोड़ दिया है। कोलावरी
डी के वीडियो पर अब तक 69 करोड़ हिट हुए हैं, जबकि गंगनम स्टाइल के वीडियो पर इससे दो गुने से भी ज्यादा हिट्स
हो चुके हैं।