-चौबेपुर के अब्दुलपुर में आधी रात को डकैतों का तांडव

- दो घरों में खेली खून की होली, पति-पत्नी को पीटकर जान ले ली

- महिला समेत चार अन्य लोगों को किया मरणासन्न

ठंड के दस्तक देते ही डकैतों का भी आतंक शुरू हो गया है। वेडनेसडे की रात डकैतों ने चौबेपुर एरिया के अब्दुलपुर गांव में जमकर कहर बरपाया। तीन घरों में डाका डाला। जिसमें दो घरों में डकैतों ने खून की होली खेलते हुए डण्डे से पीट-पीटकर एक परिवार में वृद्ध दंपति को मौत के घाट उतार दिया, जबकि महिला समेत चार लोगों पीट-पीटकर मरणासन्न कर दिया। शोर-शराबा सुनकर इलाकाई लोग मदद के लिए दौड़े, तो डकैत खेतों में होते हुए भाग गए। हत्यायुक्त डकैती की खबर पाकर एसएसपी समेत कई ऑफिसर्स ने मौके पर पहुंचे। इसके अलावा फोरेंसिक टीम, डॉग स्क्वायड और क्राइम ब्रांच ने भी मौके पर जाकर जांच की, लेकिन अभी कोई ठोस सुराग नहीं लग पाया है।

दामाद के घर में रहते थे मुन्ना लाल

चौबेपुर के अब्दुलपुर में रहने वाले सूबेदार यादव टीचर हैं। उनके परिवार में पत्नी मंजू, बेटी सरिता (7) और बेटा गौरव (क्) है। कुछ दिनों से सूबेदार के ससुर रिटायर टीचर मुन्ना लाल पत्नी रामवती समेत उनके साथ ही रह रहे थे। सूबेदार के पड़ोस में योगेंद्र सिंह का मकान बन रहा है। जिसका ग्राउन्ड फ्लोर बन गया है। योगेन्द्र रिश्तेदार अनिल के साथ वहां पर रहकर मकान बनवा रहे हैं। कुछ ही दूरी पर अरविन्द सिंह का घर है। उनके परिवार में पत्नी गुडि़या, बेटा हर्ष और बेटियां तनु व नाव्या है। वेडनेसडे रात को अरविन्द परिवार समेत सो रहे थे। तभी रात में करीब डेढ़ बजे कच्छा बनियान पहने तीन बदमाश उनके घर में घुस गए। वे हाथ में मोटे-मोटे डण्डे लिए थे। बदमाशों की आहट पाकर अरविन्द की नींद खुल गई, तो बदमाशों ने उनको दबोच लिया और जान से मारने की धमकी दी। बदमाशों ने उन्हे रस्सी से बांधकर पत्नी के जेवर उतरवा लिए और फिर अलमारी के लॉकर में रखे कपड़े, नगदी और जेवर भी समेट लिए। करीब ख्0 मिनट में वारदात करने के बाद बदमाश वहां से भाग गए। थोड़ी देर बाद करीब भ्00 मीटर दूर टीचर सूबेदार के घर पर पांच बदमाश घुस गए। वे भी हाथ में डण्डे लिए थे। बदमाशों ने घर में घुसते ही घरवालों पर डण्डों से ताबड़तोड़ प्रहार करना शुरू कर दिया। बदमाशों की बेरहमी से की गई पिटाई से रामवती ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। जबकि सूबेदार, उनकी पत्नी और ससुर घायल हो गए। दोनो बच्चे दहशत में चीखने लगे। उनके चिल्लाने की आवाज से पड़ोसी योगेन्द्र की नींद टूट गई। उन्होने अनिल को जगाया, तभी तीन बदमाश उनके घर में आ गए और डण्डे से उन्हे पीटना शुरू कर दिया। जिससे वे लहुलुहान हो गए, लेकिन हिम्मत जुटाकर योगेंद्र भागकर छत पहुंचे और शोर मचाने लगे। जिसे सुनकर गांव के लोग चिल्लाते हुए मदद के लिए दौड़ पड़े। ग्रामीणों को आता देख तीन बदमाश छत से कूदकर भागे, जबकि दो बदमाश मेन गेट के रास्ते से खेत की ओर भाग गए। आनन फानन में ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी, तो एसओ फोर्स समेत मौके पर पहुंचे। उन्होंने घायलों को हास्पिटल भेजा, लेकिन रास्ते मुन्ना लाल ने भी दम तोड़ दिया। इधर, एसएसपी, एसपी समेत अन्य अधिकारी भी वहां पहुंच गए। जिसके बाद डॉग स्क्वायड, फोरेंसिक टीम और क्राइम ब्रांच ने मौके पर जाकर पड़ताल की, लेकिन डकैतों का कोई सुराग हाथ नहीं लगा।

एक घर में लूट और दो घरों में सिर्फ मारपीट

चौबेपुर में बदमाशों ने तीन घरों में कहर बरपाया है, लेकिन गौर करने की बात ये है कि बदमाशों ने सिर्फ एक घर में लूटपाट की, जबकि अन्य दो घरों में बदमाशों ने घरवालों को बुरी तरह पीटा। बदमाशों ने वहां पर किसी से अलमारी की चाभी या महिला के जेवर उतरवाने की कोशिश नहीं की। बदमाशों ने घर में घुसते ही डण्डों से घरवालों को पीटना शुरू कर दिया था। इससे लग रहा है कि उनका इरादा लूटपाट का नही, बल्कि उन्हें हत्या करने का था। इसको लेकर पुलिस उलझ गई है। अब पुलिस ये पता लगा रही है कि तीनों घरों में वारदात करने वाला एक ही गैंग है या अलग-अलग है। अगर वो एक ही गैंग है तो बदमाशों ने दो मकानों में लूटपाट क्यों नहीं की या फिर डकैती दिखाकर कोई और वारदात करना चाहते थे। इसके अलावा बदमाश पहले कच्छा बनियान पहने थे, लेकिन जब वे सूबेदार और योगेंद्र के घर पहुंचे तो वे पैंट शर्ट और जैकेट पहने थे। जिससे माना जा रहा है कि बदमाशों ने अरविन्द के घर पर कपड़े लूटने के बाद उसे पहना था। जिसके बाद वे सूबेदार के घर में घुसे थे यानि वे लोगों को भ्रमित करना चाहते थे ।

वारदात के पीछे कोई अपना तो नहीं?

अब्दुलपुर में तीन घरों में डकैती डाली गई है, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान सूबेदार का हुआ। उनके घर में लूटपाट की बात साफ नहीं हो पाई है, लेकिन बदमाशों ने उनके सास, ससुर का कत्ल कर दिया। सूबेदार पत्नी समेत खुद भी गंभीर रूप से घायल है। इससे पहले भी जनवरी और फ्0 जून को बदमाशों ने उनके घर पर धावा बोला था। जिसमें फ्0 जून को बदमाशों से उनकी हाथापाई भी हुई थी। उस समय ग्रामीणों के समय से आ जाने पर बदमाश भाग गए थे। उस समय भी वारदात को अन्जाम देने के लिए पांच बदमाश आए थे। जिससे माना जा रहा है कि कोई उनसे या उनके ससुर से रंजिश मानता है और उसी ने हमला किया था। हमलावरों को सूबेदार और उनके पड़ोसी योगेंद्र के घर के बारे में पूरी जानकारी थी। इसलिए वे सीधे उसी जगह पहुंचे जहां पर सूबेदार की फैमिली सो रही थी। यहीं हाल योगेंद्र के साथ भी था। एक बदमाश ने तो योगेंद्र से उनकी लाइसेंसी बन्दूक भी मांगी थी। योगेंद्र ने बन्दूक न होने का हवाला दिया तो बदमाश ने झूठ न बोलने की धमकी दी थी। इससे साफ है कि बदमाशों को दोनों घरों के बारे में पूरी जानकारी थी यानि बदमाश पहले भी उनके घर के अन्दर तक जा चुके थे।

बगल के मकान से छत पर चढ़े थे बदमाश

टीचर सूबेदार के मकान के बगल में योगेन्द्र का निर्माणाधीन मकान है। जिसके आगे ईंटों का ढेर लगा है। माना जा रहा है कि एक बदमाश योगेन्द्र सिंह के निर्माणाधीन मकान से सूबेदार के मकान की छत पर चढ़ा था। जिसके बाद उसने नीचे जाकर मेन गेट को खोल दिया । वारदात के बाद तीन बदमाश योगेंद्र की छत से कूदकर भागे थे, जबकि दो बदमाश सूबेदार के घर के मेन गेट से भागे थे।

फिर फेल हुआ खोजी कुत्ता

चौबेपुर डकैती में बदमाशों का सुराग लगाने के लिए डॉग स्क्वायड भी मौके पर पहुंचा , लेकिन वो हमेशा की तरह घटनास्थल से कुछ दूर जाकर लौट आया। वो सूबेदार के मकान के पीछे भी गया और खेत पर जाकर रुक गया । जिस रास्ते पर ग्रामीणों ने बदमाशों को भागते हुए देखा था। पुलिस को वहां पर कुछ कपड़े, जूते और डण्डा मिला है। माना जा रहा है कि ये वहीं डण्डा है। जिसे बदमाशों ने पिटाई में यूज किया था।

पुलिस की चूक फोरेंसिक टीम पर पड़ी भारी

पुलिस ने घटना स्थल पर पहुंचने के बाद मकान को सील नहीं किया। वहां पर यलो टेप भी नहीं लगाए गए । जिससे ग्रामीण समेत पुलिस वाले बार-बार मकान के अंदर चहलकदमी करते रहे । फोरेंसिक टीम के पहुंचने के पहले वहां पर सैकड़ों लोग चहलकदमी कर चुके थे। वे खून से सने कपड़े आदि को उठाकर देख रहे थे। जिससे फोरेंसिक टीम को वहां से पर्याप्त सबूत नहीं मिल पाए।

फिर नाकाम हुई डॉयल क्00

शहर में अपराध पर अंकुश लगाने और वारदात की सूचना पर तुरन्त मौके पर पहुंचने के लिए डॉयल क्00 की सेवा शुरू की गई है, लेकिन हमेशा की तरह वेडनेसडे रात को भी डॉयल क्00 नाकाम साबित हुई। इलाकाई लोगों के मुताबिक उन्होंने डॉयल क्00 और थाने में सूचना दी थी। थाने की पुलिस कुछ देर में पहुंच गई, लेकिन डॉयल क्00 की गाड़ी वहां एक घंटे बाद पहुंची।

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दस सवालों में छिपा है घटना का राज

क्। हमलावर भागते वक्त रास्ते में लाठी-डंडे और दूसरी चीजों को क्यों छोड़ गए?

ख्। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक हमलावर पहले कच्छा-बनियान पहने थे, बाद में उन्होंने पैंट-शर्ट पहन लिया।

फ्। हमलावरों ने सिर्फ एक घर में लूट-पाट की और दो घरों में सिर्फ मारपीट क्यों की?

ब्। बदमाशों ने दो लोगों को इतना मारा कि उनकी मौत हो गई, इसके बाद वे कुछ लूट के नहीं ले गए इसका क्या मतलब?

भ्। डंडों से किसी की बेहरहमी से पिटाई के पीछे क्या मकसद था, घर में हसिया, चाकू समेत दूसरे धारदार हथियार थे तो डंडे से क्यों पीटा?

म्। इतना तांडव मचाने के पीछे क्या वजह थी? क्योंकि जब किसी के प्रति गुस्सा होता है तब इस तरह की पिटाई में साफ झलकता है?

7. शहर में एक दर्जन से ज्यादा डायल क्00 गाडि़यां हैं जोकि रात में हर एरिया में हूटर बजाती हुई घूमती रहती हैं आखिर जब हमलावर तांडव मचा रहे थे तो उनका सायरन शांत क्यों था?

8. हमलावरों ने मास्टर साहब के पड़ोसी से उनकी बंदूक मांगने के पीछे क्या मकसद था?

9. हमलावर अगर अज्ञात थे तो उनको ये कैसे मालूम हुआ कि मास्टर साहब के पास बंदूक है?

क्0. हमलावरों ने मास्टर साहब और उनकी पत्‍‌नी पर ही हमला क्यों किया? उनके दामाद और उसके बच्चों को क्यों छोड़ दिया?