- डीबीटीएल से जुड़ने के बाद करीब 40 हजार गैस सिलेंडर की खपत हुई कम

- पहले मेरठ डिस्ट्रिक्ट में हर महीने 4.20 लाख सिलेंडर की खपत थी

Meerut : 'पहल' स्कीम ने मेरठ में गैस की खपत कम कर दी है। या यूं कहें कि इलीगल तरीके से इस्तेमाल हो रहे गैस पर रोक लग गई है। यह बात हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि यह हकीकत हर महीने कंज्यूम होने वाली गैस के आंकड़े बयां कर रहे हैं। डीबीटीएल योजना से पहले जहां डोमेस्टिक गैस की खपत आवश्यकता से अधिक थी वह घटकर काफी कम हो गई है। दिसंबर 2014 से 'पहल' योजना के शुरू होते ही गैस खपत के आंकड़े में भारी गिरावट आई है। इसके सबसे बड़ा रीजन गैस की कालाबजारी पर रोक लगना माना जा रहा है। वहीं दोहरे कनेक्शन पर भी कैंची चली है। जो गैस की खपत कम होने का एक और कारण है।

करीब 40 हजार की कमी

दिसंबर 2014 से जून 2015 तक पहल योजना चली है। हालांकि, अभी सब्सिडी के लिए फॉर्म भरे जा सकते हैं। लेकिन एलपीजी कंपनियों ने जो कवायद 'पहल' की शुरू की थी वह 30 जून तक ही थी। इस बीच कंज्यूमर को 3-3 महीने का ग्रेस और पार्किग पीरियड भी दिया गया। एलपीजी कंपनियों की मानें तो, इस योजना से पहले मेरठ डिस्ट्रिक्ट में हर महीने करीब 4.20 लाख सिलेंडर की हर महीने खपत थी। लेकिन पिछले 6 महीने में गैस की खपत में भारी गिरावट आई है। वर्तमान समय में इंडेन, भारत व एचपी तीनों कंपनियों को मिलाकर यह आंकड़ा 3.80 लाख पर आ गया है।

5 लाख से अधिक हैं कंज्यूमर

मेरठ डिस्ट्रिक्ट में तीनों कंपनियों की टोटल 50 एजेंसियां वर्क कर रही हैं। इन एजेंसियों से 4.5 लाख कंज्यूमर जुड़े हुए हैं। यदि हम डीबीटीएल से जुड़ने वालों की बात करें तो 90 परसेंट कंज्यूमर इस योजना से जुड़ चुके हैं। बाकी 10 परसेंट लोग या तो दोहरे कनेक्शन वाले हैं या फिर कहीं और पलायन कर चुके हैं। अधिकारियों का कहना है कि, योजना में कंज्यूमर्स के नाम, एड्रेस, अकाउंट नंबर, कांटैक्ट नंबर और गैस कनेक्शन नंबर की डिटेल के चलते ट्रांसपरेंसी देखने को मिली है।

मनमानी पर लगी रोक

इस योजना से एजेंसियों की मनमानी पर बहुत हद तक रोक लगी है। 9 से 12 सिलेंडर साल का किए जाने के बाद भी कालाबजारी कम हुई है। कारण एलपीजी कंपनियां गैस की बुकिंग के आधार पर ही एजेंसियों को गैस प्रोवाइड करा रही हैं। जबकि इससे पहले कंपनियां सब्सिडी और नॉन सब्सिडी दो तरह की गैस एजेंसियों को देती थी। जिसके चलते ज्यादातर होटल, रेस्टोरेंट और ढाबा वाले कॉमर्शियल की जगह नॉन सब्सिडी वाले सिलेंडर ही उठा ले जाते थे। डीबीटीएल के बाद वर्तमान समय में सिर्फ नॉन सब्सिडी तक ही मामला सिमट कर रह गया है। एजेंसियां चाह कर भी कॉमर्शियल सिलेंडर की जगह दुकानदारों को डोमेस्टिक सिलेंडर प्रोवाइड नहीं करा पा रही हैं।

बॉक्स

- डिस्ट्रिक्ट में तीनों कंपनियों की एजेंसियां : 50

- सिटी में तीनों कंपनियों की एजेंसियां : 29

- मेरठ डिस्ट्रिक्ट में एलपीजी कंज्यूमर्स - 4.5 लाख

- डीबीटीएल से पहले गैस की खपत : 4.20 लाख

- योजना से जुड़ने के बाद गैस की खपत : 3.80

- डीबीटीएल से जुड़े हैं 90 फीसदी कंज्यूमर्स

- 10 फीसदी कंज्यूमर्स दोहरे कनेक्शन और शहर से हो चुके है पलायन।

वर्जन

इस योजना के बाद ट्रांसपेरेंसी बढ़ी है। कंपनियों की ओर से सिर्फ बुकिंग के आधार पर ही गैस मिल रही है। जिससे गड़बड़ी होने संभावनाएं काफी कम हो गई है।

- नमो जैन, डिस्ट्रिक्ट एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर एसोसिएशन

गैस की डिमांड में कमी आई है। करीब 10 फीसदी गैस की बुकिंग पहले के मुकाबले कम हुई है। कंपनियां भी अब नॉन सब्सिडी गैस सिलेंडर ही दे रही है।

- समीर खान, मैनेजर, राणा गैस एजेंसी