- वाराणसी से हर साल बढ़ रही कुपोषित बच्चों की संख्या

- एक साल में बढ़ गए बीस हजार से अधिक कुपोषित

- डीडीयू हॉस्पिटल का पोषण पुनर्वास केंद्र चल रहा फुल

- हॉस्पिटल के डायरिया वार्ड में एडमिट हो रहे हैं बच्चे

VARANASI

पीएम मोदी की सभा हो या ऐसा कोई भी कार्यक्रम। यदि वह बच्चों से रूबरू हुए तो उन पर दुलार लुटाने से नहीं चूकते। हालांकि बच्चों से बेहद लगाव रखने वाले पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में कुपोषित बच्चों की संख्या दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। केंद्र व राज्य की ओर से काफी अवेयरनेस कैंपेन भी चलाए गए लेकिन कुपोषित बच्चों के मिलने का सिलसिला थमा नहीं। आंकड़ों पर गौर करें तो बनारस में पिछले एक साल में बीस हजार से अधिक कुपोषित बच्चे चिह्नित हुए हैं। पिछले वर्ष जहां क्ख्,भ्म्म् कुपोषित चिह्नित हुए थे वहीं इस साल ये आंकड़ा फ्ख्,79भ् पहुंच चुका है। इसके बाद भी कुपोषित बच्चों के मिलने का क्रम जारी है।

एडमिट करने की जगह नहीं

कुपोषित बच्चों के लिए पाण्डेयपुर स्थित पं। दीनदयाल उपाध्याय डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में दस बेड कास्पेशल पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित किया जा रहा है। ये वॉर्ड कुपोषित बच्चों से फुल है। स्थिति ये है कि डायरिया के लिए रिर्जव किए गए वॉर्ड में कुपोषित बच्चों को एडमिट कराया जा रहा है। मौजूदा समय में यहां करीब एक दर्जन कुपोषित बच्चों का इलाज चल रहा है।

शहर में ज्यादा कुपोषित

यदि देखा तो जितने कुपोषित की संख्या शहर में है उतना ब्लाकों में भी नहीं है। सिटी एरिया में कुपोषित बच्चों की संख्या नौ हजार के पार हो चुकी है। ये पक्ष साबित करता है कि सरकार की योजनाएं बच्चों का बहुत भला नहीं कर पा रहीं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग तमाम कैंप और जागरूकता कैंपेन चला रहा है। स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में मिड डे मील और पुष्टाहार भी दिया जा रहा है। फिर भी बच्चों का पोषण नहीं हो रहा।

मिलती है ये सुविधाएं

पं। दीनदयाल डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों को मिक्स डायट दिया जाता है। शुरूआत में तीन दिन अनाज कम और नमक चीनी पानी का घोल ज्यादा दिया जाता है। थोड़े सुधार लिक्विड की मात्रा कम करते हुए अनाज व दूध की मात्रा बढ़ाई जाती है। मिक्स डाइट में साबूदाना का हलुआ, खिचड़ी, दलिया व अंडा भी देते हैं। न्यूट्रीशियन विदिशा शर्मा के अनुसार कुपोषित बच्चों को डायट चार्ट के हिसाब से खुराक दी जाती है। पीडियाट्रिक्स डॉक्टर्स की टीम भी दो से तीन बार रिपोर्ट लेते हैं। बच्चों को ताजा व साफ-सफाई से भोजन मिल सके, इसके लिए एक कुक भी रखा गया है।

कुपोषित गर्भवती भी हो सकतीं हैं एडमिट

डीडीयू हॉस्पिटल के पोषण वॉर्ड में कुपोषित बच्चे के साथ रहने वाली माताओं को भी दो टाइम भोजन और एक टाइम ब्रेक फास्ट दिया जाता है। जबकि जितने दिन तक कुपोषित बच्चा पोषण पुनर्वास केंद्र में एडमिट रहेगा तब तक माताओं को डेली के हिसाब से भ्0 रुपये भी दिये जाते हैं। पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित प्रेग्नेंट लेडी भी एडमिट हो सकती हैं।

क्ब् दिन का होता है दवा कोर्स

पोषण पुनर्वास केंद्र में एडमिट होने वाले अधिकतर बच्चों के परिजन चार से पांच दिन बाद ही बच्चे को डिस्चार्ज करा लेते हैं जबकि कुपोषित बच्चों का दवा कोर्स कम से कम क्ब् दिन का होता है। इसकी वजह से बच्चों में फिर से कुपोषण का खतरा बढ़ जाता है।

कुपोषित बच्चों को पोषण देने के लिए ही एनआरसी है। यहां सभी सुविधाएं फ्री है। स्वास्थ्य केंद्रों पर भी विशेष दिशा निर्देश दिया गया है। एनआरसी तक पहुंचाने के लिए आशाओं को प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है।

डॉ। वीबी सिंह

सीएमओ

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डीडीयू हॉस्पिटल के एनआरसी में है

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मेडिकल वार्ड में है रिर्जव

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दिन तक चलता है कुपोषित बच्चों का दवा कोर्स

कुपोषित एक नजर

9फ्7फ्

सिटी एरिया

भ्क्79

अराजीलाइन

ख्7क्8

सेवापुरी

ख्9म्भ्

चिरईगांव

ख्970

पिंडरा

फ्879

काशी विद्यापीठ

क्क्ब्0

हरहुआ

ख्भ्09

बड़ागांव

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चोलापुर

ख्000

है अतिकुपोषित

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लास्ट ईयर थे कुपोषित