लापरवाही
हादसा होने पर ही जागता है पुलिस-प्रशासन
'मौत' बनकर दौड़ रही स्कूली बसें
- बच्चों के सुरक्षा को लेकर सरकारी विभाग समेत स्कूल प्रबंधन भी गंभीर नहीं
- सरकारी फरमान और अदालती आदेश भी डग्गामारी के सामने बौने साबित
Meerut। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद भी स्कूल वाहन सारे नियम कायदों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। जर्जर बसों से लेकर टेंपो व रिक्शाओं में नन्हे-मुन्ने बच्चों को फूस की तरह ठूस-ठूस कर भर दिया जाता है। गाइड लाइन को ताक पर रख चल रहे इन वाहनों से जब कोई दुर्घटना हो जाती है, तो स्कूल प्रबंधन के साथ आरटीओ विभाग भी इस जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लेता है।
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क्या है गाइड लाइन
-वाहन पर आगे पीछे स्कूल का नाम लिखा लिखना।
-स्कूल वाहन केवल पीले रंग के ही हों।
-वाहनों पर ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा हो।
-सीटों की संख्या से अधिक बच्चों को न बठाएं।
-स्कूल वाहन में फर्स्ट एंड बॉक्स होना जरूरी।
-खिड़कियों पर लोहे की ग्रिल लगी होनी चाहिए।
-वाहन में अग्निशमक यंत्र का होना जरूरी।
-दरवाजों पर मजबूत लॉक होने चाहिए।
-ड्राइवर के पास कम से कम पांच वर्ष का अनुभव हो।
-ड्राइवर के खिलाफ ट्रैफिक नियम तोड़ने का केस न हो।
स्कूल बस परमिट की शर्ते
- वाहनों का रंग गोल्डन येलो होगा।
- दरवाजे सही से बंद होते हों तथा इसके अलावा दो इमरजेंसी गेट जरूरी।
- गेट के साथ खुलने और बंद होने वाला पायदान जरूरी।
- सीट के नीचे स्कूल बैग रखने तथा सीट के पीछे पकड़ने की सुविधा जरूरी।
- सीट की खिड़कियों पर शीशें व लोहे का जाल लगा हो
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अब चलेगा अभियान
एआरटीओ प्रशासन रंजीत सिंह ने बताया कि शासनादेश के अनुसार स्कूल वाहनों को लेकर अभियान चलाया जाएगा। अभियान के अंतर्गत स्कूलों की सूची बनाकर वाहनों की चेकिंग की जाएगी। विभाग के कर्मचारी स्कूलों में जा-जाकर स्कूल वाहनों की चेकिंग करेंगे। इस दौरान कुछ भी नियम विपरीत मिलने पर वाहन स्वामी और चालक पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, जबकि स्कूल प्रबंधन को नोटिस चस्पा किया जाएगा। एआरटीओ ने बताया कि स्कूल वाहन की फिटनेस और चालक की डीएल आदि की निगरानी करना स्कूल प्रंबंधन की भी जिम्मेदारी है।
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स्कूल वाहनों की फिटनेस के खिलाफ समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। जबकि कार्रवाई के लिए स्कूल और बस संचालकों को नोटिस भी दिया जाता है।
-रंजीत सिंह, एआरटीओ प्रशासन
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इनसेट
कंडम बसों के खिलाफ चलाया अभियान
फोटो-जागरण 24