- दिल्ली में जुटे सभी डिस्कॉम के अधिकारी

>BAREILLY:

दिल्ली टाटा पावर की तर्ज पर प्रदेश के ग्रिड के भी स्मार्ट होंगे। प्रदेश स्तर पर इसकी कवायद शुरू हो गई है। अभी तक ओवरलोड से ग्रिड ठप होने की टेंशन होती है वह बिल्कुल ही खत्म हो जाएगी। ग्रिड को स्मार्ट बनाए जाने को लेकर दिल्ली में मध्यांचल, पश्चिमांचल, दक्षिणांचल और पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड सहित विभिन्न डिस्कॉम के अधिकारी जुटे हुए हैं। बरेली से भी बिजली विभाग के अधिकारी मीटिंग में शामिल हुए हैं।

फ्रेक्वेंसी कम होने से दिक्कत

लखनऊ से स्थित कंट्रोल रूम सिस्टम से पूरे प्रदेश की बिजली को कंट्रोल किया जाता है, लेकिन बिजली की डिमांड बढ़ने से कंट्रोल सिस्टम जवाब दे जाता है। बेसिकली मई-जून में स्थिति काफी खराब हो जाती है। कंट्रोल सिस्टम की फेक्वेंसी कम से ग्रिड के बैठने की संभावना प्रबल हो जाती है। कई बार तो यह नौबत आती है कि ग्रिड को बचाने के लिए पॉवर कॉरपोरेशन को 8 से 10 घंटे तक कटौती करनी पड़ती है।

सीएलडीसी करता है मॉनीटरिंग

अधिकारियों ने बताया कि सेंट्रल लोड डिस्पैच सेंटर (सीएलडीसी) ही प्रदेश में बिजली की उपलब्धता के अकॉर्डिग कब और कहां कितनी बिजली सप्लाई करनी है इसकी परमीशन देता है। एक तरह से कह लिजिए की पूरे हालात की मॉनीटरिंग करता है। असल में पूरे प्रदेश में करीब 13,000 मेगावॉट बिजली की आवश्यकता रोजाना है। जबकि, प्रदेश को 9,500 मेगावॉट ही बिजली मिल पाती है। जिस वजह से मामला और बिगड़ जाता है। इसी को देखते हुए पूरे सिस्टम को स्ट्रांग बनाने की कवायद की जा रही है।

दिल्ली में चल रहा है मंथन

मीटिंग में गए बरेली बिजली विभाग के एसई मनोज पाठक ने बताया कि बरेली को नार्दन ग्रिड से बिजली मिलती है। टाटा पावर के एक्सपर्ट देश के विभिन्न डिस्कॉम से आए लोगों को जानकारी दे रहे हैं। मीटिंग तीन दिनों तक चलेगी। वर्तमान ग्रिड को कैसे स्मार्ट ग्रिड में बदला जा सकता है इस मामले में मंथन चल रहा है। ताकि, विपरित परिस्थिति में भी ग्रिड के बैठने की संभावना न रहे। अभी जो स्थिति है यदि ग्रिड बैठ जाए तो फिर महीनों बिजली मिलना मुश्किल है।