आपदा न्यूनीकरण दिवस : मॉकड्रिल से नहीं होगा आपदा से बचाव

- आज पांच जगह मॉकड्रिल कर औपचारिकता होगी पूरी

DEHRADUN : आपदा कभी भी और कहीं भी आ सकती है, खासकर प्राकृतिक आपदाएं विश्व के विभिन्न हिस्सों में लगातार आती रहती हैं। इन आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम से कम करने के लिए पूरा देश प्रयासरत हैं और इसी उद्देश्य से हर वर्ष अक्टूबर के दूसरे शुक्रवार को अन्तर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस भी मनाया जाता है। आज पूरा विश्व आपदा न्यूनीकरण दिवस मना रहा है, जिसमें देहरादून भी प्रतिभाग कर रहा है। आपदा नियंत्रण विभाग की ओर से सभी जिलों में मॉकड्रिल करने के आदेश दिये गये हैं। सूत्रों के अनुसार देहरादून में 5 स्थानों पर इस तरह के मॉकड्रिल होने हैं।

 

भूकम्प आया तो होगी तबाही

शासन और प्रशासन बेशक इस तरह के मॉकड्रिल कर सुरक्षा इंतजार पुख्ता होने का दावा करें, लेकिन वास्तव में स्थिति बहुत डरावनी है। दून में रिक्टर स्केल में 7 तीव्रता का भूकम्प आया तो आधा से ज्यादा शहर उसे झेलने की स्थिति में नहीं होगा। कारण कि पिछले कई सालों की कवायद के बावजूद देहरादून में निजी भवन तो दूर कई सरकारी भवन भी भूकम्परोधी तकनीक से नहीं बन रहे हैं।

 

जोन 5 से लगा है दून शहर

देहरादून शहर हालांकि भूकम्प की दृष्टि से दूसरे सर्वाधिक संवेदनशील जोन 4 में स्थित है, लेकिन यह जोन 5 यानी सर्वाधिक संवेदनशील क्षेत्र की सीमा पर है। देहरादून जनपद का पर्वतीय क्षेत्र जोन 5 में स्थित है। ऐसे में इस क्षेत्र में 7 से अधिक तीव्रता वाला भूकम्प आने की पूरी संभावना है।

 

पुराना भूकम्प फाल्ट हो रहा सक्रिय

भूवैज्ञानिकों का दावा है कि देहरादून के आसपास एक करोड़ साल पुराना एक भूकम्पीय फाल्ट सक्रिय हो रहा है और यह फाल्ट कभी भी एक बहुत बड़े यानी 8 तक की तीव्रता वाले भूकम्प का कारण बन सकता है। भूकम्प के लिए राष्ट्रीय केन्द्र (एनसीएसस) ने देश में 29 शहरों की सूची बनाई है, जिनमें भूकम्प का खतरा है और जहां भूकम्प आने पर भारी तबाही हो सकती है। इन शहरों में देहरादून भी शामिल है।

 

पहाड़ों में आने वाले भूकम्पों से भी खतरा

यह जरूरी नहीं कि देहरादून में भूकम्प से केवल तभी नुकसान पहुंचेगा, जब एपीसेंटर देहरादून में होगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि पर्वतीय क्षेत्रों में आने वाले भूकम्प भी दून में तबाही का कारण बन सकते हैं। चमोली में इसी साल अप्रैल में आये 6.8 तीव्रता के भूकम्प के झटके दून में भी महसूस किये गये थे।

 

मॉकड्रिल से आपदा नियंत्रण की कवायद

राज्य सरकार अंतर्राष्ट्रीय आपदा नियंत्रण दिवस पर मॉकड्रिल कर औपचारिकता पूरी करने जा रही है। सभी जिलों को इस आशय के आदेश दे दिये गये हैं। देहरादून में पांच जगहों पर मॉकड्रिल करने की योजना बनाई गई है, हालांकि इन जगहों का खुलासा नहीं किया गया है। आपदा से संबंधित सभी विभागों को निर्देश दे दिये गये हैं और शासन की तरफ से यह भी निर्देश है कि जो विभाग शामिल नहीं होगा, उसे तुरन्त नोटिस दिया जाएगा।

 

दून में बारिश भी आपदा की वजह

भूकम्प कब आयेगा, यह कोई नहीं जानता, लेकिन दून सहित पूरे राज्य में बारिश के सीजन में आपदा आने की पूरी आशंका रहती है। ऐसे में बारिश से होने वाली आपदा में भी प्रशासन ठीक से काम नहीं कर पाता। इस बार जब भी तेज बारिश हुई, आपदा प्रबंधन लड़खड़ाता प्रतीत हुआ। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि राज्य में आपदा प्रबंधन तंत्र का स्थाई ढांचा अब तक नहीं बन पाया है, जबकि उत्तराखंड पहला ऐसा राज्य है, जहां अलग से आपदा मंत्रालय का गठन किया गया है।

 

मानसून सीजन में हुआ नुकसान

जन हानि 08

घायल 09

पशु हानि 66

आंशिक क्षतिग्रस्त घर 336

अधिक क्षतिग्रस्त घर 13

पूर्ण क्षतिग्रस्त घर 36

(आंकड़े : जिला आपदा प्रबंधन केन्द्र)