उनके अधिकार पर रोक लगा दी जाए
दिल्ली स्िथत एम्स में फैले अधिकारियों की नियुक्ति से लेकर एम्स के दूसरे बड़े मामलों में भ्रष्टाचार की खबरे उजागर हुयी हैं. ऐसे में सेंटर फॉर पब्लिक इंटररेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) ने जनहित में एम्स मामले को लेकर याचिका दायर की थी. अदालत में याचिकाकर्ता ने जेपी नड्डा पर एम्स में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच प्रभावित कराने का आरोप लगाया. उसने कोर्ट से मांग की है कि संबंधित मामलों में बतौर मंत्री फैसला लेने के उनके अधिकार पर रोक लगा दी जाए. वे अपने फैसलों और आदेशों से इस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं होने दे रहे हैं. वह अधिकारियों की नियुक्ति और प्रोन्नति में भी अपना पूरा वर्चस्व फैलाए हुए हैं. इसके अलावा याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि एम्स में सीवीओ की नियुक्ति में भी धांधली हुयी है. ऐसे में इनकी नियुक्ति की फाइल गायब होने के मामले में सीबीआई जांच करायी जाए.

सीबीआई जांच कराने का निर्देश दिया जाए
इसके अलावा आरोप लगाया है कि संजीव चतुर्वेदी को पद से हटाने के जेपी नड्डा ने सरकार को कई बार पत्र लिखे थे. इसके पीछे नड्डा का क्या मकसद था. इसकी भी सीबीआई जांच कराने का निर्देश दिया जाए. संजीव को अगस्त, 2014 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सीवीओ के पद से हटा दिया था.हालांकि अब इस पूरे मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने एम्स निदेशक, मुख्य सतर्कता आयोग व स्वास्थ्य सचिव को नोटिस जारी किया है. इसके अलावा एम्स के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) पद से हटाए गए संजीव चतुर्वेदी को भी नोटिस जारी किया गया है. इस मामले में मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी व न्यायमूर्ति आरएस एंडलॉ की खंडपीठ ने उन्हें चार हफ्ते में जवाब देने के लिए कहा है. इसके अलावा इस मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होगी.

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