दिल्ली कोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा कि सफाई वर्कस को म्यूनिस्पल कॉरपोरेशन ने शहर की सफाई के लिए रखा है. उन्हें पब्लिक के टैक्स के रूप में दिए गए पैसे से सेलरी दी जाती है. ऐसे में अगर वे काम नहीं कर रहे हैं तो उन सभी को जॉब से टर्मिनेट कर देना चाहिए और उनकी जगह नए इंप्लाई अप्वाइंट किये जायें. कोर्ट ने कहा की पब्लिक की हार्ड अर्न मनी कामचोर वर्कस पर वेस्ट नहीं की जानी चाहिए.

ये कमेंट दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली में सफाई के अरेजमेंट और स्वीपर्स के काम करने में हो रही लापरवाही को लेकर फाइल की गयी IPL पर हियरिंग के दौरान किया है. हाई कोर्ट के जस्टिस बीडी अहमद और जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की बेंच ने म्यूनिस्पल कॉरपोरेशन को मामले में कड़ी फटकार भी लगाई है. बेंच ने दिल्ली की तीनों म्यूनिस्पल कॉरपोरेशन के क्लीनिंग डिपार्टमेंटस के डायरेक्टर्स को नोटिस जारी कर के जवाब मांगा है.

वहीं कोर्ट ने मामले में म्यूनिस्पल कॉरपोरेशन को ऑर्डर दिया है कि वह एफिडेविट फाइल कर के यह बताए कि दिल्ली में जितने भी सफाई वर्कर्स आते हैं, उनका वर्क एरिया कितना है और हर वर्कर के हिस्से में सफाई के लिए कितना एरिया आता है. कोर्ट ने मामले में एप्लीकेंट बीबी शरण को भी अपना एफिडेविट फाइल करने के लिए कहा है. अब इस मामले की हियरिंग 18 दिसंबर को होगी.

पता चला है कि फिल्हाल दिल्ली में कुल 62,977 वर्कर सफाई के काम के लिए अप्वाइंटेड हैं.  जिनमें से 24,860 कर्मचारी नॉर्थ दिल्ली, 22,623 साउथ दिल्ली और 15,494 वेस्ट दिल्ली म्यूनिस्प८ल कॉपोरेशन में काम कर रहे हैं. पिटीशन फाइल करने वाने शरण का कहना है कि भले ही कॉरपोरेशन 62 हजार से ज्यादा का स्टाफ होने का दावा कर रहा है लेकिन दिल्ली की रोड्स, मार्केट, पार्को और दूसरे पब्लिक प्लेसेज पर सफाई नहीं मिलती. ट्वायलेट्स गंदे पड़े रहते हैं और रोडस पर गारबेज के ढेर हैं. इसके बाद बेंच ने ये भी पूछा है कि क्या सभी वर्कर डेली आते हैं और बायोमीटिक मशीन में अपनी अटैंडेंस में सुबह और शाम के टाइम रजिस्टर करते हैं. इस रुटीन पर सुपरवाइजर विजिल रहता है.

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