तेजपाल ने अदालत से कहा है कि उनके ख़िलाफ़ दायर एफ़आईआर राजनीति से प्रेरित है. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि गोवा के मुख्यमंत्री इस मामले में अनावश्यक दिलचस्पी ले रहे हैं.

हाईकोर्ट में तेजपाल की ओर से सीनियर वकील केटीएस तुलसी और गीता लूथरा ने तेजपाल का पक्ष रखा और अग्रिम ज़मानत की मांग की.

अपील में कहा गया कि गोवा में 'थिंक फेस्ट' में कथित घटना के कई दिन बाद भी पीड़ित महिला वहां मौजूद थी और सामान्य तरीक़े से सब कुछ कर रही थी.

तब तक उसने कुछ नहीं कहा था. सारे मामले ने ख़ास राजनीतिक दिलचस्पी के बाद ही तूल पकड़ा.

वक़ील की दलील

 तेजपाल के वकीलों ने अदालत से कहा कि वास्तव में लड़की इस मामले में कुछ नहीं करना चाहती थी, लेकिन गोवा के मुख्यमंत्री इसे उछालना चाहते थे, लिहाज़ा वह व्यक्तिगत तौर पर मामले को रंग देने में लगे हैं.

यह मामला  तहलका पत्रिका के इसी महीने गोवा में हुए एक कार्यक्रम के दौरान हुआ, जिसमें जानी-मानी हस्तियां मौजूद थीं.

ज़मानत याचिका पर चर्चा के दौरान गोवा पुलिस भी अदालत में मौजूद थी.

पुलिस ने अदालत से कहा, "हम देखना चाहते हैं कि तेजपाल किस बिनाह पर ज़मानत लेना चाहते हैं. उनका क्या तर्क है."

इसके बाद जस्टिस जी एस सिस्तानी ने गोवा पुलिस को ज़मानत संबंधी काग़ज़ात उपलब्ध कराने को कहा.

उन्होंने गोवा पुलिस से कहा कि वह इन काग़ज़ों के आधार पर वह बुधवार को जवाब दें, इसके बाद ज़मानत पर बहस होगी.

गोवा पुलिस देगी जवाब

अदालत के फ़ैसले के बाद तरुण तेजपाल की वकील गीता लूथरा ने कोर्ट से बाहर कहा, ''कोर्ट ने हमसे गोवा पुलिस को ज़मानत अपील की कॉपी देने को कहा था, वह हमने उन्हें उपलब्ध करा दी है. अब अदालत में बुधवार को वो इसका जवाब देंगे.''

ग़ौरतलब है कि गोवा सरकार ने इस मामले में अपनी ओर से शुरुआती जाँच के आदेश दिए हैं.

 तरुण तेजपाल ने कथित यौन दुर्व्यवहार के बाद तहलका में संपादक पद से छह महीने के लिए हटने का फ़ैसला किया था. साथ ही उन्होंने इसके लिए उस सहकर्मी से माफ़ी माँगी थी.

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