- अब दांत की सर्जरी के लिए बार-बार नहीं करना पड़ेगा गैप

- लगातार 6 घंटे की सर्जरी कर पेशेंट अब बिल्कुल फिट

- कई डॉक्टर्स ने एक बार में 6 दांत निकालकर उसमें इम्प्लांट लगाने के 3 माह बाद दोबारा सर्जरी की कही थी बात

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LUCKNOW: सिटी के एक डेंटल सर्जन ने वह कर दिखाया जो अमेरिका, इंग्लैंड के डॉक्टर भी करने से कतराते हैं। डॉक्टर ने एक मरीज के सभी दांत एक ही दिन में निकालकर उनकी जगह इम्प्लांट लगाया और नए दांत भी लगा दिए। लगातार म् घंटे की सर्जरी कर पेशेंट अब बिल्कुल फिट है जबकि पिछले माह ही यूएस में एक डॉक्टर ने एक बार में क्फ्-क्ब् दांत निकाल दिए थे। इस दौरान पेशेंट की ओवर ब्लीडिंग से डेथ हो गई थी। ऐसे में लखनऊ के डॉ। विक्रम अहूजा द्वारा एक दिन में ख्8 दांत निकालकर इम्प्लांट और दांत लगाना सराहनीय है।

इंटरनेट से ढूंढ़ा डॉक्टर

कनाडा के रहने वाले एक बड़ी कम्पनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत इस पेशेंट ने बताया ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनके आगे के दांत पिछले एक साल से हिल रहे थे और उनमें दर्द भी हो रहा था। उन्होंने देखा कि समस्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। धीरे-धीरे अन्य दांत भी हिलने लगे। इसके बाद उन्होंने कनाडा में बड़े-बड़े दांत के डॉक्टर्स से सम्पर्क किया, लेकिन सभी डॉक्टर्स ने एक बार म् दांत निकालकर उसमें इम्प्लांट लगाने के फ् माह बाद दांत लगाने की बात कही। इसमें सभी दांतों की सर्जरी में सालभर से ज्यादा का समय लग जाता है। इस कारण वे बहुत परेशान थे। चूंकि वह मूलत: यूपी के ही रहने वाली हैं। इसीलिए उन्होंने इंडिया में डेंटल सर्जन के बारे में भी सर्च किया। उन्होंने दिल्ली के कुछ डॉक्टर्स और लखनऊ के डॉक्टर्स के बारे में सर्च किया। उन्होंने बताया कि लखनऊ के डॉ। विक्रम अहूजा का प्रोफाइल और उनके पेपर्स देखकर लगा कि उनका काम ठीक है। वह अप्वाइंटमेंट लेकर डॉ। विक्रम अहूजा के पास चले आए और कम समय में सर्जरी के बारे में बात की। इसके बाद वे एक ही दिन में पूरी सर्जरी के लिए तैयार हो गए। यही मुझे चाहिए था।

सभी दांत निकालने पड़े

केजीएमयू के निकट एक प्राइवेट हॉस्पिटल में प्रैक्टिस करने वाले डॉ। विक्रम अहूजा ने बताया कि पेशेंट के सभी दांतों की हड्डी पर पकड़ कमजोर पड़ रही थी और मसूढ़े बहुत वीक हो गए थे। इस कारण दांत हिल रहे थे और पेशेंट को दर्द भी हो रहा था। उन्हें निकालने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं था। उनका एक्स-रे कराने के बाद यह बात क्लियर हो गई कि उनका एक-दो नहीं बल्कि सभी दांत निकालने पड़ेंगे।

जरूरी थे दांत निकालना

यूपी फॉरेन्सिक लैबोरेटरी के साथ जुड़े फॉरेन्सिक ओडोंटोलॉजिस्ट एंड डेंटल सर्जन डॉ। विक्रम अहूजा के अनुसार पेशेंट के पास समय नहीं था और एक दिन में ही सारा काम करना था। पेशेंट की सहमति से उनकी सभी जरूरी जांचें कराई गई। इसके बाद हमने ऑपरेशन थिएटर में उनके एक-एक कर सभी दांत निकाले। हड्डी को बराबर करने के लिए ग्राफ्ट मटेरियल भी लगाया। उसके बाद हड्डी में क्ख् इम्प्लांट लगाए। इन इम्प्लांट के ऊपर ख्8 दांत स्क्रू की सहायता से लगा दिए गए। हालांकि, ये दांत अस्थायी हैं और इम्प्लांट की हड्डी पर पकड़ मजबूत होने पर फ् माह बाद इन्हें बदलकर स्थायी दांत लगा दिए जाएंगे। इन्हें देखकर कोई कह नहीं सकेगा कि इनके दांतों की सर्जरी की गई है।

पहली बार किया ऑपरेशन

डॉ। विक्रम अहूजा ने बताया कि आमतौर पर इस तरह ऑपरेशन नहीं किया जाता क्योंकि ज्यादा ब्लीडिंग के कारण खतरा होता है। सामान्यत: कुछ दांत निकालकर इम्पलांट लगाते हैं। इसमें काफी समय लगता है और पेशेंट को कई बार क्लीनिक आना पड़ता है। लेकिन, अब समय की कमी के कारण वन डे सर्जरी का चलन बढ़ रहा है। इस पेशेंट में भी यही किया गया। पेशेंट में जांच करने के बाद लगा कि इनकी सर्जरी एक साथ की जा सकती है। इसके बाद ही उनकी डिमांड पर हमने यह किया और ऑपरेशन सक्सेसफुल रहा। डॉ। विक्रम अहूजा के अनुसार अब लोग डेंटिस्ट के पास बार बार चक्कर नहीं लगाना चाहते। जिसके कारण वन डे सर्जरी का चलन बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि अब तक बड़ी संख्या में ऐसी सक्सेसफुल सर्जरी उन्होंने की हैं।

बढ़ा कांफीडेंस

पेशेंट ने बताया कि पिछले एक साल से वह बहुत परेशान थे। दांत एसिमिट्रिकल हो गए थे और बात करने में भी दिक्कत होती थी। दांतों के हिलने व दर्द के कारण उनके काम पर भी प्रभाव पड़ रहा था। लेकिन, अब कांफीडेंस लेवल बहुत बढ़ गया है। अब वह किसी से भी बिना हिचक बात कर सकते हैं।