-गोरखपुर यूनिवर्सिटी के सभी डिपार्टमेंट करेंगे वेस्ट डिस्पोजल का इंतजाम

-बाहरी लोगों से गोबर और जूलॉजी से केचुए की व्यवस्था कर बनाएंगे खाद

-हरा भरा होगा यूनिवर्सिटी, वहीं वेस्ट भी हो जाएगा डिस्पोज

GORAKHPUR: डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी अब हरा भरा और साफ सुथरा नजर आएगा। यूनिवर्सिटी को चमकाने और इसके वेस्ट के प्रॉपर ट्रीटमेंट के लिए विभागों ने पहल शुरू की है। इससे जहां वेस्ट एक जगह कलेक्ट कर यूनिवर्सिटी कैंपस में फैली गंदगी दूर की जाएगी। वहीं, दूसरी ओर इस वेस्ट से खाद बनाकर कैंपस को हरा-भरा करने की पहल भी की जाएगी। इसमें जूलॉजी डिपार्टमेंट अहम रोल प्ले करेगा और वेस्ट से खाद बनाने में विभागों की मदद करेगा। इसका मसौदा तैयार किया जा चुका है। फाइनल अप्रूवल के साथ ही इसकी कवायद शुरू कर दी जाएगी।

केमिस्ट्री ने शुरू किया डिस्पोजल

गोरखपुर यूनिवर्सिटी में वेस्ट के प्रॉपर डिस्पोजल के लिए केमिस्ट्री डिपार्टमेंट ने पहल शुरू कर दी है। इसके तहत वह विभाग के अगल-बगल खाली पड़ी जमीन में गड्ढा कर सारे सूखे पत्ते और विभाग से निकलने वाले वेस्ट को वहां कलेक्ट किया जा रहा है। फिलहाल इसे ट्रीट कर खाद बनाने की कवायद शुरू नहीं हुई है, इसकी वजह से अभी इसका डिस्पोजल करा दिया जा रहा है। जबकि, जुलॉजी डिपार्टमेंट फ्यूचर में इस वेस्ट को ट्रीट कर खाद बनाएगा, जिसका इस्तेमाल यूनिवर्सिटी में ही ि1कया जाएगा।

वर्मी कम्पोस्ट मैथड से बनेगी खाद

यूनिवर्सिटी के जुलॉजी डिपार्टमेंट में इन दिनों वर्मी कम्पोस्ट को लेकर काफी कोशिशें की जा रही है। इससे लोगों को फायदा हो और ज्यादा से ज्यादा ऑर्गेनिक खाद बनाकर केमिकल के इस्तेमाल को कम किया जा सके, इसके तहत यह शुरुआत की गई है। अभी हाल में ही इसे दूसरों तक पहुंचाने के लिए जुलॉजी डिपार्टमेंट ने एक बड़ी वर्कशॉप भी ऑर्गनाइज की थी, जिसमें लोगों को वर्मी कम्पोस्ट मैथड से खाद बनाने की ट्रेनिंग दी गई थी। अब इसी मैथड को डिपार्टमेंट के जिम्मेदार यूनिवर्सिटी में भी अप्लाई करने की कवायद कर रहे हैं, जिससे यूनिवर्सिटी में ही बड़े पैमाने पर ऑर्गेनिक खाद बनाई जा सके।

केचुआ करेगा हेल्प

वर्मी कम्पोस्ट के जरिए खाद बनाने में जुलॉजी डिपार्टमेंट को महारत हासिल है। इसके शिक्षक डॉ। केशव सिंह इसके डिफरेंट आस्पेक्ट्स पर रिसर्च कर चुके हैं और करीब 9 पहलुओं पर उन्होंने अपना वर्क पूरा किया है। इसमें केचुए के जरिए वह बेहतरीन खाद बनाने की टेक्नीक शेयर करते हैं। जिससे पौधों के डेवलपमेंट में बेहतर रिजल्ट देखने को मिलते हैं। यूनिवर्सिटी में भी इसके जरिए खाद बनाई जाएगी और यूनिवर्सिटी के कैंपस, हॉस्टल के साथ ही गेस्ट्स हाउस और टीचर्स कॉलोनी में भी इस खाद का इस्तेमाल कर उन्हें हरा भरा किया जा सकेगा।

यूनिवर्सिटी में निकलने वाले वेस्ट को एक जगह इकट्ठा कर, उसे वर्मी कम्पोस्ट के जरिए खाद बनाया जाएगा। जिससे यूनिवर्सिटी का वेस्ट भी डिस्पोज हो जाएगा और इसको हरा भरा करने के लिए बेहतर और इको फ्रेंडली खाद भी मिल जाएगी। इस संबंध में मसौदा तैयार किया गया है, अप्रूवल मिलते ही वर्क शुरू कर दिया जाएगा।

- डॉ। अजय सिंह, एचओडी, जुलॉजी