GORAKHPUR: शहर में ट्रैफिक मैनेजमेंट की खामियों का खामियाजा रोजाना गोरखपुराइट्स को भुगतना पड़ता है। सड़क सुरक्षा को लेकर लापरवाही के कारण हादसे होते हैं। ट्रैफिक रूल का पालन नहीं किए जाने से शहर में बेतरतीब ट्रैफिक, जाम की प्रॉब्लम होती है। सही ट्रैफिक और रोड सेफ्टी के लिए जरूरी है कि प्रशासन व पुलिस के लोग अपना काम सही तरीके से करें। नियम का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई करें वहीं पब्लिक भी खुद में सिविक सेंस डेवलप करे। शुक्रवार को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के विशेष कैंपेन 'गर्मी लगी क्या?' के तहत सड़क सुरक्षा और यातायात के नियम पर लोगों ने जो चर्चा की, उसका सार यही रहा।

समय : 11.40 बजे

स्थान: जागृति क्लासेज, डीआईजी बंगला के सामने

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की टीम जब जागृति क्लासेज में पहुंची तो पहले से स्टूडेंट्स अपनी बात रखने के लिए एक्साइटेड नजर आए। छात्रों ने कहा कि गोरखपुर शहर में रोड सेफ्टी को लेकर कोई काम नहीं किया जाता है। छात्र शिवम शुक्ला ने कहा कि सड़क पर चलते समय हर पल एक्सीडेंट का डर सताता है। कौन किसी को कुचलकर आगे बढ़ जाएगा, इसका खतरा मंडराता रहता है। वहीं राकेश गुप्ता ने कहा कि अनट्रेंड ड्राइवर्स की वजह से एक्सीडेंट के मामले बढ़ते जा रहे हैं। उनकी बातों को काटते हुए धर्मेद्र ने कहा कि शहर की सड़कें सुरक्षित ढंग से चलने लायक कहां रह गई हैं। सतीश ने कहा कि हर कोई व्यवस्था को कोसता रहता है लेकिन पब्लिक की भी कुछ जिम्मेदारी होती है। लवकुश बोले, हर शहर में इस तरह के हालात हैं। लेकिन पब्लिक चाहे तो अपनी जिम्मेदारियों को पूरी करके व्यवस्था बदलने में सहयोग कर सकती है। आदित्य विश्वकर्मा ने कहा कि हर व्यक्ति यदि ट्रैफिक रूल्स को फालो करे तो अपने आप कई समस्याएं खत्म हो जाएंगी।

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समय: 03.20 बजे

स्थान: बेतियाहाता मोहल्ला

बेतियाहाता मोहल्ले में भी पब्लिक पहले से चर्चा में शामिल होने के लिए तैयार नजर आई। चर्चा शुरू हुई तो लोगों ने अपनी बात रखनी शुरू की। ट्रैफिक मैनेजमेंट में लापरवाही के लिए पुलिस-प्रशासन-आरटीओ को जिम्मेदार ठहराया। साक्षी ने कहा कि हर किसी के लिए अनुशासन जरूरी होता है। सड़क पर चलते समय यदि हर व्यक्ति अनुशासन में रहे तो कोई समस्या सामने नहीं आएगी। श्वेता बोलीं कि शहर में सड़क सुरक्षा और यातायात के नियम का मुद्दा बेहद गंभीर है। इसके लिए कुछ हद तक तो पब्लिक जिम्मेदार है। बची खुची कसर नेता और लापरवाह अधिकारी हैं। साबरीन ने कहा कि शहर में पार्किंग का कोई इंतजाम नहीं है। हर जगह नए निर्माण हो रहे हैं लेकिन उनमें पार्किंग की सुविधा का ख्याल नहीं रखा जा रहा। इससे सड़कों पर जाम लगा रहता है। आए दिन एक्सीडेंट होते रहते हैं। गरिमा ने कहा कि वाहन चलाने की प्रॉपर ट्रेनिंग न होने से कोई कहीं भी, कभी ब्रेक लगा देता है। इसके चलते अक्सर एक्सीडेंट होते हैं। अभय कुमार ने कहा कि राह चलते लोग कितने सुरक्षित हैं। इसका अंदाजा लगाने के लिए टेंपो के पीछे कुछ दूर तक चलकर देख लीजिए। अभय की बात सुनकर सुलभ ने कहा कि सिस्टम खराब है। लोग खराब नहीं है। सड़क पर कोई ऐसी कठोर कार्रवाई नहीं होती जिससे ट्रैफिक तोड़ने वालों को सबक सिखाया जा सके। निहारिका ने कहा कि शहर में ट्रैफिक सिग्नल, जेब्रा क्रासिंग, काशन बोर्ड की हालत देख लीजिए। ऐसा लगता है कि शहर के बजाय किसी खेत में चल रहे हैं।

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इससे कम किए जा सकेंगे हादसे

- सड़क सुरक्षा ट्रैफिक नियमों के अनुपालन के जागरूकता अभियान चलाए जाए।

- सड़कों पर होने वाले हादसे रोकने के लिए एक्सीडेंट के प्वाइंट्स चिन्हित किए जाएं।

- सड़कों की इंजीनियरिंग को दुरूस्त कराते हुए उनकी मरम्मत का विशेष ख्याल रखा जाए।

- सड़क किनारे होने वाले इनक्रोचमेंट को हटाया जाए। हर जगह पार्किग की व्यवस्था बनाई जाए।

- शहर के ट्रैफिक पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी सर्विलांस, सिग्लन और पर्याप्त मैन पॉवर की व्यवस्था जरूरी है।

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स्थान- रेलवे स्टेशन

समय- 2.30 बजे

रेलवे स्टेशन स्थित एसी लाउंज में रेल कर्मचारियों व आरपीएफ जवानों ने डिबेट किया। डिबेट के लिए पहले से तैयार बैठे एंप्लाइज व जवान दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर के पहुंचते ही अपनी बात रखनी शुरू कर दिए। कहा कि सड़क सुरक्षा को लेकर बातें होती हैं लेकिन गाडि़यों की स्पीड मापने वाली कोई व्यवस्था प्रशासन के पास अब भी नहीं है। इससे गाडि़यां सड़कों पर फर्राटा भरती हैं और आए दिन कोई न कोई इनके हादसे का शिकार हो जाता है। हाई स्पीड पर प्रशासन को तो अंकुश लगाना ही चाहिए, साथ ही गार्जियन को भी बच्चों को गाड़ी देने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि क्या उनका बच्चा गाड़ी चलाने लायक है भी या नहीं? वहीं शहर में बढ़ते अतिक्रमण व पटरियों पर लगने वाली अवैध दुकानों पर भी अंकुश लगाया जाना चाहिए। रोड से छुट्टा पशुओं को हटाया जाना चाहिए। वहीं सिटी में अवैध रूप से चलने वाले ऑटो भी जाम का सबब बनते हैं, इन पर रोक लगाई जानी चाहिए।

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स्थान - दीवानी कचहरी

समय - 4 बजे

दीवानी कचहरी में भी पहले से तय सब्जेक्ट पर अपनी बात रखने के लिए 25-30 एडवोकेट्स मौजूद मिले। रिपोर्टर के पहुंचते ही चर्चा शुरू हो गई। अधिवक्ताओं ने इसी से अपनी बात शुरू की कि यदि रोड सेफ्टी को लेकर वाकई काम करना है तो पहले लोगों को अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। सड़क सुरक्षा को लेकर जितनी जिम्मेदारी पुलिस व प्रशासन की है, उससे कहीं अधिक आम पब्लिक स्वयं जिम्मेदार है। बढ़ती रोड एक्सीडेंट की घटनाओं व रोड जाम पर बोलते हुए एडवोकेट्स ने कहा कि इसके लिए सबसे पहले शहर के अतिक्रमण से निपटना होगा। लेकिन प्रशासन की ओर से अतिक्रमण हटाने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही होती है। अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि बदलते दौर के साथ सड़कों पर गाडि़यां बढ़ती जा रही हैं। शहर में करीब 9 लाख गाडि़यां चल रहीं हैं लेकिन सड़कों के चौड़ीकरण या शहर को विकसित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है। वहीं अधिवक्ताओं ने कहा कि कम उम्र में बच्चों को गाडि़यां देने वाले गार्जियन पर कार्रवाई के लिए नियम तो बन गए, लेकिन आज तक शहर के किसी भी गार्जियन पर नाबालिगों को गाड़ी देने पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में यदि लोगों में खुद जागरूकता का भाव नहीं आएगा, तबतक ट्रैफिक नियम या सड़क सुरक्षा पर किसी तरह का अंकुश लगा पाना संभव नहीं होगा।

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फाइव पेन प्वाइंट्स

शहर में ट्रैफिक नियमों का पालन कराने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। पुलिस और पब्लिक के दिलों-दिमाग में सड़क सुरक्षा की बात जब तक घर नहीं करेगी तब तक पूरी तरह से इस समस्या का हल नहीं निकल सकेगा।

अजय त्रिपाठी, प्रोफेशनल

सिस्टम में तमाम खामिया हैं। उनको सुधारने में वक्त लगेगा। जब हर कोई नियम का पालन करेगा तो वह प्रशासन को आईना दिखा सकेगा। सड़क पर होने वाले एक्सीडेंट को रोकने के लिए रोड इंजीनियरिंग, ट्रैफिक नियमों का पालन और ट्रैफिक सेंस का होना बहुत जरूरी है।

श्वेता, स्टूडेंट

सड़क सुरक्षा की दृष्टि से सबसे पहले अतिक्रमण पर ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि अतिक्रमण शहर के जाम की सबसे बड़ी समस्या है। साथ ही इसके लिए बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाना होगा।

केएन तिवारी, इस्पेक्टर आरपीएफ

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प्रशासन को जागरूकता के लिए पहल करनी चाहिए, साथ ही लोगों को सिविक सेंस भी होना चाहिए। गार्जियन खुद अपने छोटे बच्चों को गाड़ी देने से पहले यह सोचें कि क्या वे सही कर रहे हैं?

टीएन पांडेय, संयुक्त महामंत्री, आईआरटीएसओ

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सड़क सुरक्षा के लिए जितना दायित्व प्रशासन का है उतना ही पब्लिक का भी है, लेकिन उसे निभाने के लिए प्रशासन को सख्त होना पड़ेगा। बिना हेलमेट के पेट्रोल नहीं मिलना चाहिए।

रवि शंकर पांडेय, एडवोकेट

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गाडि़यां लगातार बढ़ती जा रही हैं। जिससे जाम व एक्सीडेंट की घटनाएं बढ़ रही हैं। स्कूलों के साथ गार्जियन को भी सख्त होना पड़ेगा। तभी इस समस्या से निपटा जा सकेगा।

विनोद श्रीवास्तव, एडवोकेट