GORAKHPUR:

बुढ़वा मंगल अर्थात मकर संक्रांति के दिन से पड़ने वाले दूसरे मंगलवार को गोरखनाथ मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। लोगों ने गुरु गोरक्षनाथ का दर्शन-पूजन कर उन्हें खिचड़ी चढ़ाई और साथ ही मंदिर के विशाल प्रांगण में लगे परंपरागत खिचड़ी मेले का भी आनंद उठाया।

बुढ़वा मंगल के दिन गुरु गोरक्षनाथ का दर्शन-पूजन विशेष महत्व वाला माना जाता है। जो लोग खिचड़ी के दिन या उसके बाद किन्हीं कारणों से गुरु गोरक्षनाथ को खिचड़ी नहीं चढ़ा पाते हैं वे बुढ़वा मंगल के दिन गुरु गोरक्षनाथ के अक्षय खप्पर में खिचड़ी चढ़ाते हैं। इसे एक प्रकार से मकर संक्रांति का अंत माना जाता है। दर्शन-पूजन व मन्नत की चीजें चढ़ाने का क्रम तो पूरे वर्ष चलता है, परंतु परंपरागत खिचड़ी बुढ़वा मंगल के बाद नहीं चढ़ाई जाती। इस बार मकर संक्रांति का पर्व गत 15 जनवरी को था। श्रद्धालुओं ने इसके बाद पड़ने वाले दूसरे मंगलवार के दिन बुढ़वा मंगल को परंपरागत श्रद्धा के साथ मनाया। गोरखनाथ मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। नगर क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के श्रद्धालुओं ने भी खासी मात्रा में गुरु गोरक्षनाथ का दर्शन-पूजन किया। सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हुई जो देर शाम तक अनवरत जारी रही।

सुबह से ही खिली धूप के बीच खुशनुमा माहौल में श्रद्धालुओं ने आज दर्शन-पूजन के बाद गोरखनाथ मंदिर के विशाल प्रांगण में लगे परंपरागत मेले का भी भरपूर आनंद उठाया। पूरे दिन लोगों के हुजूम से मेले में रौनक बनी रही। झूलों, जादू, सर्कस, मौत का कुआं आदि में जाने के लिए लोगों की कतार लगी रही।