दिवाली के छठे दिन पूजा

जी हां आपने आज तक यही सुना होगा कि मंदिरों में पूजा फूलमाला, प्रसाद, दूध, दही आदि से ही होती है। लोग देवी देवताओं की दिल से भक्ति व सम्मान करते हैं, लेकिन कर्नाटक में गुलबर्ग जि़ले में स्थित लकम्मा देवी मंदिर में भक्ति का तरीका थोड़ा अलग है। यहां पर फूलमाला, प्रसाद, दूध, दही, घी, तेल नहीं चढ़ता है। यहां पर मां के मंदिर के बाहर एक पेड़ है। यहां पर आने वाले भक्त मंदिर के बाहर इस पेड़ पर चप्पल टांगते हैं। यहां पर चप्पल जूते चढ़ाने वाली यह पूजा हर साल दिवाली के छठे दिन मनायी जाती है। इस खास दिन पर बड़ी भीड़ होती है। इस पूजा में शामिल होने के लिए बड़ी दूर-दूर से भक्त आते हैं।

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इस अवसर पर यहां पर काफी बड़ा मेला लगता है। सबसे खास बात तो यह है कि यहां पर चप्पल जूते चढ़ाने के पीछे की मान्यता है कि मातारानी भक्तों की चप्पल पहनकर रात भर घूमती है। जिसकी चप्पल माता रानी पहनकर घूमती हैं उसके सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं लोगों का जीवन खुशियों से भर जाता है। वहीं यहां पर इस मान्यता से उस इलाके के चप्पल जूते के विक्रेता काफी खुश होते हैं। उनका मानना है कि इससे उनकी दुकान में काफी बिक्री होती है। यहां पर आने वाला हर शख्स मंदिर में चप्पल चढ़ाने के लिए जरूर खरीदता है। हर साल यहां सैकड़ों जोड़ी चप्पल चढ़ती है।

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