-व‌र्ल्ड अस्थमा डे स्पेशल

- शहर में खुदाई की वजह से बढ़ी बच्चों में अस्थमा की तकलीफ, बच्चों के फेफड़े कर दिए कमजोर

- अस्थमा के 15 फीसदी मामले बच्चों के ही, बच्चों की खांसी को हल्के में न लेने की सलाह

KANPUR: व‌र्ल्ड अस्थमा डे पर देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से एक कानपुर के बारे में एक और डराने वाला तथ्य सामने आया है। यहां पर जेएनयूआरएम योजना के तहत जो खुदाई चल रही है, उससे उड़ने वाले धूल कणों ने आपके बच्चों के फेफड़े कमजोर कर दिए हैं। शहर के कई नामी पीडियाट्रिशियन ने इसकी पुष्टि की है। हालांकि इस मामले में हॉस्पिटलाइज होने वाले बच्चों की मार्टेलिटी एक फीसदी ही है, लेकिन आपके बच्चे की क्षमता को यह शुरुआत से ही कम कर देता है।

पैरेंट्स को नहीं पता उनके बच्चे को अस्थमा है

बच्चों में अस्थमा की बीमारी पर विशेषज्ञता रखने वाले पीडियाट्रिशियन डॉ। राज तिलक बताते हैं कि कई बार बच्चों में खांसी की शिकायत होने पर पैरेंट्स उसे हल्के में लेते हैं। लगातार खांसी आने और हंसते समय सीटी बजना खतरे की घंटी है। कई बार जब पैरेंट्स ऐसी शिकायत होने पर अपने बच्चे को लेकर आते हैं तो उन्हें इस बात का इल्म नहीं होता है कि उनके बच्चे को अस्थमा भी हो सकता है और वह मानते भी नहीं हैं, लेकिन शहर में ही बच्चों में अस्थमा के मामले खतरनाक ढंग से बढ़े हैं।

आरएसपीएम है अस्थमा की मुख्य वजह

पीडियाट्रिशियन डॉ। नवीन सहाय बताते हैं कि रेस्पेरेटरी सस्पेंडेड पार्टिकुलेटेड मैटर ही अस्थमा की सबसे बड़ी वजह है। यह धूल कण होते हैं जो कि फेफड़ों पर सीधा प्रभाव डालते हैं और उसकी क्षमता को कम कर देते हैं। इसके अलावा लोगों में एलर्जी भी दूसरी सबसे बड़ी वजह है जिससे अस्थमा होता है। शहर में जब से सीवर और वाटर लाइन डालने के लिए जगह जगह खुदाई हुई है उससे आरएसपीएम का स्तर काफी बढ़ा है। जिसका सीधा असर बच्चों पर पड़ रहा है।

खुदाई के बाद ख्0क्0 में इन इलाकों में पीएम ख्.भ् का वार्षिक स्तर

आवास विकास जाजमऊ- क्9ब् मिली ग्राम प्रति घन मीटर

फॉरेस्ट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट किदवई नगर- ख्00 मिली ग्राम प्रति घन मीटर

दर्शनपुरवा- ख्07 मिली ग्राम प्रति घन मीटर

फजलगंज- ख्ख्क् मिली ग्राम प्रति घन मीटर

दबौली- क्9म् मिली ग्राम प्रति घन मीटर

एयर पॉल्यूशन के यह हैं मानक

पार्टिकुलेट मैटर (ख्.भ् माइक्रान से कम साइज) -- म्0 मिलीग्राम प्रति घन मीटर

पार्टिकुलेट मैटर (क्0माइक्रान से कम साइज) -- क्00 मिलीग्राम प्रति घन मीटर

सोमवार को पार्टिकुलेट मैटर (ख्.भ् माइक्रान से कम साइज) का स्तर-

रात क्ख्.00 बजे- क्08 मिलीग्राम प्रति घन मीटर

रात क्.00 बजे- 87 मिलीग्राम प्रति घनमीटर री

तड़के भ्.00 बजे- ख्09 मिलीग्राम प्रति घन मीटर

शाम क्9.00 बजे- म्फ् मिलीग्राम प्रति घ्ान मीटर

पीढि़यों को कमजोर कर रहा अस्थमा

पीएफटी टेस्ट फेफड़ों की क्षमता जानने के लिए किया जाता है। चेस्ट हॉस्पिटल समेत ज्यादातर पीडियाट्रिशियन क्लीनिक में इसकी सुविधा उपलब्ध होती है। जहां पर यह टेस्ट बेहद कम दामों में किया जाता है। चेस्ट हॉस्पिटल की ओपीडी की ही अगर बात करें तो वहां ओपीडी में हर रोज फ्00 से ज्यादा पेशेंट्स आते हैं। इसमें से क्00 का पीएफटी टेस्ट किया जाता है। जिसमें से आधे पेशेंट्स इस टेस्ट में फेल हो जाते हैं, जिससे इस बात की पुष्टि होती है कि इनके फेफड़ों की क्षमता कम हो चुकी है। फेफड़ों की क्षमता कम होने की मूल वजह एयर पॉल्यूशन ही है।

बच्चे को धूल से बचाएं

जेएनएनयूआरएम के साथ शहर के मुख्य मार्गों पर शुरू हुई खुदाई ने शहरियों की सेहत को बिगाड़ दिया है। दमा, चेस्ट इंफेक्शन व स्पाइन से रिलेटेड प्रॉब्लम कानपुराइट्स में कई गुना बढ़ गई है। इसकी पुष्टि खुद डॉक्टर्स भी करते हैं। डॉ। हेमंत मोहन बताते हैं कि बीते म्,7 सालों में शहर की एयर क्वालिटी काफी खराब हो गई है। खुदी हुई सड़कों की वजह से लोगों में अस्थमा से जुड़ी प्रॉब्लम भी काफी बढ़ी है। खासकर बच्चों पर इसका काफी असर पड़ा है। इसका सीधा असर आपके बच्चे के भविष्य पर पड़ता है, क्योंकि अस्थमा उसकी क्षमता को कम देता है।

बच्चे ऐसा करें ताे ध्यान दें

- ज्यादा खुजली हो, किसी चीज के प्रति एलर्जी हो

- लगातार खांसी हाती हो

- जुकाम बना रहता हो

- जोर से हंसते वक्त सीटी बजती हो

- सीढि़यां चढ़ने में बच्चे को प्रॉब्लम हो

- घर में अगर कोई स्मोकिंग करता हो

- सोते समय खर्राटे आएं तो