बैलेस्टिक रिपोर्ट के बाद एसटीएफ के अधिकारियों ने चैन की सांस ली लेकिन अब उसी वेपन की डॉ। विनोद आर्या की हत्या के बाद मौके से मिले खोखे की मिलान की खबर से घटना का पहले पर्दाफाश कर चुके पुलिस अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं। कुछ पुलिस अधिकारियों का मानना है कि अगर इस घटना में भी सेम वेपन होना साबित हो जाता है तो कई पुलिस अफसरों के लिए मुसीबत बढ़ जाएगी।

एक ही स्टाइल में हुईं दोनों हत्याएं
राजधानी में छह महीने के भीतर मारे गये दो सीएमओ की हत्या एक तरीके से की गयी थी लेकिन पहले हुई डॉ। विनोद आर्या की हत्या का पुलिस ने खुलासा कर दिया था और दो लोगों को पकड़ कर पुलिस ने जेल भेज दिया था। डॉ। बीपी सिंह की हत्या का जब खुलासा हुआ तो उसका पहले हुए खुलासे से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं था।

28 अक्टूबर 2010 विकासनगर में सीएमओ परिवार कल्याण डॉ। विनोद आर्या की मार्निंग वाक के दौरान हत्या हुई थी। वेपन: प्वाइंट 32 बोर की रिवाल्वर से निकली गोली। 2 अप्रैल पद वही, समय वही, वेपन वही मरने वाला डॉ। विनोद आर्या के स्थान पर तैनात किये गये डॉ। बीपी सिंह। इन दोनों के मर्डर केस में समानताएं बहुत थीं।

डॉ। विनोद आर्या के मर्डर केस का खुलासा करते हुए पुलिस ने दावा किया था कि डॉ। आर्या की हत्या सुधाकर पाण्डेय ने की थी और घटना के पीछे साजिश जेल में बंद माफिया अभय सिंह की थी। घटना में शामिल विजय और अजय नाम के दो युवकों को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था। लेकिन जब इसी पद पर तैनात किये गये डॉ। बीपी सिंह का मर्डर भी सेम स्टाइल में कर दिया गया तो पुलिस के खुलासे पर सवाल उठना वाजिब था।

पुलिस ने 17 जून को डॉ। बीपी सिंह हत्या काण्ड का भी खुलासा कर दिया और दो शूटर आनंद प्रकाश तिवारी और विनोद शर्मा के साथ ठेकेदार रामकृष्ण वर्मा को अरेस्ट कर लिया। पुलिस के मुताबिक दोनों सीएमओ की हत्या के पीछे डिप्टी सीएमएओ डॉ। योगेंद्र सिंह सचान मास्टरमाइंड थे। 22 जून को जेल के अंदर ही डॉ। सचान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होने के बाद पुलिस की गुत्थी और उलझ गयी।

इस दौरान शूटरों के पास से बरामद की गयी रिवाल्वर की बैलेस्टिक रिपोर्ट भी एक जुलाई को आ गयी। जिसमें यह साबित हो गया कि डॉ। बीपी सिंह की हत्या इसी वेपन से की गयी। ऐसे में अगर डॉ। विनोद आर्या के मर्डर के बाद मौके से मिले कारतूस की बैलेस्टिक जांच में भी यही वेपन आ जाता है तो पुलिस के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

शूटरों ने कुबूला था डॉ। आर्या की हत्या में शामिल होना
एक पुलिस अधिकारी की मानें तो डॉ। बीपी सिंह की हत्या की जांच के दौरान पकड़े गये शूटर आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया था कि डॉ। विनोद आर्या की हत्या भी उसी ने की थी। उक्त अधिकारी के मुताबिक शूटरों का कहना था कि अगर पैसे का विवाद न हुआ होता तो शायद पुलिस यह केस कभी न खोल पाती।