- डीएम और एसएसपी इसे रोकने के लिए गुरुवार देर रात से कर रहे थे मशक्कत

- फिर भी लगभग चार किमी के रास्ते में कहीं भी प्रदर्शनकारियों को नहीं रोका गया

- वक्फ की संपत्ति को लेकर सियासत से लेकर सड़क तक हो रही बयानबाजी

LUCKNOW: अलविदा जुमे को हुए बवाल की स्क्रिप्ट पहले से ही तैयार हो चुकी थी। डीएम और एसएसपी इसे रोकने के लिए गुरुवार देर रात तक मशक्कत करते रहे। लेकिन, नतीजा सिफर निकला। देर रात तक यह तय हो चुका था कि नमाज के बाद जुलूस की शक्ल में लोग निकलेंगे और आजम खां के घर की ओर कूच करेंगे। बावजूद इसके इन लोगों को इमामबाड़े के आस-पास या फिर लगभग चार किमी के रास्ते में कहीं भी रोकने की कोशिश नहीं की गयी। इमामबाड़े के बाद पुलिस की पहली बेरीकेडिंग चार किमी दूर शहीद स्मारक के पास थी। ऐसे में यह सवाल भी पैदा हो रहा है कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को इतनी छूट क्यों दी?

क्या है मामला?

प्रदेश में शिया और सुन्नी के दो अलग-अलग वक्फ बोर्ड हैं। दोनों वक्फ बोर्ड के पास न सिर्फ करोड़ों की सम्पत्ति है बल्कि उससे महीने की आमदनी भी लाखों में होती है। कुछ दिन पहले प्रदेश सरकार ने इन दोनों वक्फ बोर्ड को मर्ज करने का ऐलान कर दिया था। तभी से इसका विरोध शुरू हो गया था। इसके अलावा शिया वक्फ बोर्ड का चुनाव कराने के लिए भी गवर्नमेंट ने डेट डिक्लेयर कर रखी है जो म् अगस्त को होना है। मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी का आरोप है कि पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी जिन्होंने वक्फ बोर्ड में कई घोटाले किये हैं। शासन उन पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें दोबारा चेयरमैन बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाये हुए है। मौलाना का आरोप है कि ऐसे-ऐसे लोगों को वोटर बनाया गया है जो मोतवल्ली बनने के लायक भी नहीं हैं। वोटर लिस्ट में ऐसे वोटर का नाम शामिल कर वसीम रिजवी के चेयरमैन बनने का रास्ता साफ किया जा रहा है। मौलाना का आरोप है कि वसीम रिजवी पर वक्फ में घोटाले को लेकर कई मुकदमे दर्ज हैं। पहले इसकी जांच पुलिस के पास थी और अब सीबीसीआईडी के पास है। मौलाना का आरोप है कि प्रदेश के कद्दावर मंत्री जिनके पास वक्फ का जिम्मा है, वह वसीम रिजवी को बचाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। इसी को लेकर अलविदा जुमे के बाद आजम खां के आवास के घेराव का पहले से ऐलान किया गया था।

रोका जा सकता था बवाल

सोर्सेज की मानें तो प्रदर्शन का ऐलान कर चुके मौलाना कल्बे जव्वाद से जब आखिरी दौर की बात हो रही थी, उस वक्त वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी को गिरफ्तार कर लिया जाए या उन्हें वक्फ बोर्ड के चुनाव से अलग कर दिया जाए। इन दोनों ही डिमांड पर अधिकारियों में सहमति नहीं बन पाई क्योंकि इस बात का डर था कि यदि पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया तो सिटी में हंगामा न हो जाए।