नगर निगम के मुख्य नगर लेखा अधिकारी ने टेंडर को बताया अवैध, फाइल पर लगाई शर्ते

 अफसरों में नूराकुश्ती, नगर आयुक्त ने मुख्य नगर लेखा अधिकारी के कमरे पर जड़ा था ताला

 

 

Meerut: नगर निगम में बिना डीपीआर के जारी किए जा रहे फ्.87 करोड़ के टेंडर पर मुख्य नगर लेखा अधिकारी ने आपत्ति लगा दी। टेंडर में आपत्ति लगता देख नगर आयुक्त के आदेश पर गुरुवार को मुख्य नगर लेखा अधिकारी सच्चिदानंद त्रिपाठी के कमरे पर ताला जड़ दिया गया। उधर, सच्चिदानंद त्रिपाठी ने आरोप लगाया है कि निगम के कारनामों की पोल खुलने से गुस्साए अफसरों ने साजिशन उनका दफ्तर बंद किया है।

 

क्या है मामला

ख्क् सितंबर को शासन ने नगर निगम के मुख्य नगर लेखाधिकारी सच्चिदानंद त्रिपाठी को निलंबित कर दिया था, लेकिन निलंबन के आदेश तामिल न होने के चलते वो लगातार दफ्तर में बैठते आ रहे थे। गुरुवार को नगर आयुक्त के निर्देश पर उनके कमरे पर ताला जड़ दिया गया। निगम अफसर निलंबन के बाद मुख्य नगर लेखा अधिकारी के कार्यस्थल पर बैठने को गलत ठहरा रहे हैं। वहीं सच्चिदानंद त्रिपाठी का आरोप है कि शासन की ओर से अभी तक उनको निलंबन के आदेश तामिल नहीं कराए गए हैं, लिहाजा उनके दफ्तर में बैठ कर कार्य करने से कोई नहीं रोक सकता।

 

टेंडर को ठहराया अवैध

सच्चिदानंद त्रिपाठी का आरोप है कि रौनकपुरा में भवन निर्माण के निगम ने गुपचुप तरीके से फ्.87 करोड़ का टेंडर जारी कर दिया। जबकि न तो टेंडर की डीपीआर बनाई गई और न ही इसके लिए निगम के पंजीकृत कांट्रेक्टर को लगाया गया। उन्होंने बताया कि निगम की ओर से इसका कोई ओपन टेंडर भी नहीं किया गया, जिस आधार पर टेंडर पूरी तरह से अवैध साबित होता है। त्रिपाठी ने बताया कि जब टेंडर की फाइल उनको प्राप्त हुई तो उन्होंने उस पर आपत्ति लगा दी। इसी की रंजिश में उनके दफ्तर पर ताला लगा दिया गया।

 

न सॉयल टेस्ट और न डीपीआर

सच्चिदानंद त्रिपाठी की मानें तो निगम ने टेंडर से पूर्व न तो साइट की सॉयल टेस्ट कराई और न ही उसकी कोई डीपीआर बनाई गई। यहां तक कि चहेते बिल्डर को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से प्रस्तावित बिल्डिंग के स्ट्रक्चरल डिजायन व ड्राइंग तक बनाने की जिम्मेदारी कांट्रेक्टर को दे दी गई। इस तरह से टेंडर प्रक्रिया में तमाम तरह की खामियां बरती गई हैं।

 

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आदेश तामिल न होने तक करुंगा काम

सच्चिदानंद त्रिपाठी का कहना है कि शासन से उनका निलंबन ख्क् सितंबर को हुआ था, लेकिन उनको निलंबन के आदेश आज तक तामिल नहीं कराए गए। उन्होंने बताया कि जब तक नियमानुसार आदेश तामिल नहीं कराए जाते वो विधिवत पूर्व की भांति काम देखने को बाध्य होंगे। उन्होंने बताया इस बाबत नगर आयुक्त की ओर से केवल प्रति उपलब्ध कराई गई थी।

 

फ्.87 करोड़ का टेंडर में हर स्तर पर बड़ा खेल करने की तैयारी की जा रही थी। जब फाइल मेरी टेबल पर आई तो मैंने मानकों के आधार पर उस पर आपत्ति लगा दी।

एस। त्रिपाठी, मुख्य नगर लेखा अधिकारी, नगर निगम