RANCHI: झारखंड में महंगी बिजली के सरकार के करार का व्यावसायिक संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है। झारखंड चैंबर और जेसिया ने विरोध का बिगुल फूंकते हुए कहा है कि जब दूसरे राज्यों में ख् रुपए 80 पैसे प्रति यूनिट पर सोलर बिजली सरकार खरीद रही है, तो झारखंड में भ् रुपए क्म् पैसे प्रति यूनिट खरीदने का क्या मकसद है। यह खास कम्पनियों को फायदा पहुंचाने के लिए की गई कवायद है। इससे राज्य को सात हजार करोड़ रुपए तक का नुकसान होगा। चैम्बर अध्यक्ष रंजीत गाड़ोदिया और जेसिया अध्यक्ष योगेंद्र कुमार ओझा ने बताया कि इस सोलर पावर के लिए ज्रेडा ने टेंडर करने से लेकर रेट नेगोसिएशन तक खास कम्पनियों के लिए काम किया है।

लोकल कंपनियों को बाहर किया

जेसिया सदस्य अजय भंडारी ने कहा कि ज्रेडा ने गलत तरीके से टेंडर प्रॉसेस शुरू किया। टेंडर जारी होने के साथ ही प्रॉक्योरमेंट एजेंसी के लिए झारखंड बिजली वितरण एजेंसी का नाम फाइनल कर दिया। बाद में जब बीड किया गया तो ख्8 कम्पनियों को इसमें शामिल किया गया, जिसमें झारखंड से भी आठ कम्पनियां थीं। लेकिन फाइनल में नेगोशिएशन के समय मात्र सात कम्पनियों को बुलाकर उनके साथ रेट तय कर दिया गया। रेट फाइनल करने से पहले झारखंड रेगुलेटरी कमिशन की अनुमति भी नहीं ली गई। अब सरकार पांच रुपए से ऊपर का रेट तय करके खास कम्पनियों को फायदा पहुंचा रही है।

फ्0 साल के एग्रीमेंट की जरूरत नहीं

सरकार ने सोलर कम्पनियों के साथ फ्0 साल तक का एग्रीमेंट किया है। इसपर चैम्बर अध्यक्ष रंजीत गाड़ोदिया ने कहा कि फ्0 साल तक सोलर टेक्नोलोजी में बहुत बदलाव होने हैं। ऐसे में इतने लंबे समय तक एग्रीमेंट करके सरकार कंपनियों को सिर्फ फायदा पहुंचाना चाह रही है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब दूसरे राज्यों में सरकार तीन रुपए से भी कम पर पावर परचेज एग्रीमेंट साइन कर रही है, तो झारखंड में दोगुने दाम पर करने की क्या जरूरत है।

क्या है पूरा मामला

झारखंड में सौर ऊर्जा की क्ख्00 मेगावाट क्षमता का ग्लोबल टेंडर ख्0क्म् में हुआ, जिसमें पिछले क्8 माह से कीमत निर्धारण को लेकर सोलर डेवलपर कंपनियों के साथ राज्य सरकार की सहमति नहीं हो पा रही थी। सितंबर महीने में सरकार ने कैबिनेट से कम्पनियों के साथ पावर परचेज एग्रीमेंट साइन करने को लेकर सहमति जताई। इसके तहत अब सोलर एनर्जी डेवलपर राज्य सरकार से ब्.9भ् रुपए से लेकर भ्.क्म् रुपए प्रति यूनिट चार्ज करेगा। झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में ब्भ् स्थानों पर सोलर पावर प्रोजेक्ट की स्थापना की जाएगी। ख्भ् किलोवाट से कम के प्रोजेक्ट से उत्पादित बिजली के लिए भ्.क्म् रुपए प्रति यूनिट चार्ज करने का निर्णय लिया गया। ये सभी प्रोजेक्ट पीपीए मोड पर स्थापित किए जाएंगे।

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मंत्री सरयू राय की कमेटी ने सौंपी है रिपोर्ट

सोलर पावर प्लांट की बिजली दर पर फैसला लेने के लिए अंतर मंत्रालय समूह का गठन किया गया है। इसके अध्यक्ष मंत्री सरयू राय हैं, साथ ही मंत्री अमर बाउरी व मंत्री रणधीर सिंह सदस्य हैं। कंपनियों को वर्क आर्डर जिस दर पर मिला है, उसे मध्यप्रदेश का हवाला देकर अधिक बताया जा रहा है। समिति के अध्यक्ष सरयू राय ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार से भी जानकारी मांगी गई है। सरकार ने जो जानकारी भेजी है उसके अनुसार, वहां सरकार ने सोलर पार्क बनवाया था। सरकार की ही जमीन थी, जिस कारण कंपनी का निवेश कम हुआ है। इधर, झारखंड में कंपनियों को अपनी जमीन खुद खरीदनी है। यह रिपोर्ट सरकार को सौपी गई है।