-डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में ऑर्थो और आई सर्जन का सर्जरी में खराब रिकॉर्ड

-जुलाई महीने में न के बराबर किए ऑपरेशन, कई के माइनर ऑपरेशन जीरो

सरकारी इलाज का सच---लोगो

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BAREILLY : मेडिकल पेशे में अपना नाम, पहचान और एक खास मुकाम बनाने वाले डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के सर्जरी के मामले में कई सर्जन फिसड्डी हैं। डॉक्टरी की बड़ी डिग्री वाले ये सर्जन ऑपरेशन थिएटर के आंकड़ों में नौसिखिए दिख रहे हैं। इमरजेंसी ऑपरेशन से मुंह चुराने के मामले में सीएमएस की नोटिस झेल रहे सर्जन में से ज्यादातर ने जुलाई महीने में न के बराबर ही सर्जरी की है। वहीं जून के अंाकड़े भी मजबूत नहीं हैं। भारी भरकम सरकारी सेलरी के बदले में सर्जनों का ये रिकॉर्ड सेहत महकमे की साख पर भी बट्टा लगा रहा है।

ऑर्थो और आई सर्जन घेरे में

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में कुल क्क् सर्जन हैं। जिनमें ब् जनरल सर्जन, फ् ऑर्थोपेडिक, फ् आई सर्जन और क् ईएनटी सर्जन हैं। हॉस्पिटल में हर महीने सभी सर्जन का मेजर और माइनर सर्जरी का पूरा रिकार्ड तैयार होता है। हालांकि, इस रिकॉर्ड में सभी सर्जन की ओर से हर महीने होने वाले इमरजेंसी व सेलेक्टिव ऑपरेशन का ब्यौरा नहीं होता। पिछले दो महीने के इस रिकॉर्ड में ऑर्थोपेडिक सर्जन व आई सर्जन के सर्जरी के आंकड़े सबसे खराब है। मंडलीय हॉस्पिटल में मरीजों के जबरदस्त दबाव के बीच ऐसी रिपोर्ट ही इन्हें घेरे में ला रही।

एक भी माइनर सर्जरी नहीं

हॉस्पिटल में आई सर्जन डॉ। हर्षवर्धन, डॉ। संजय कुमार और डॉ। एके गौतम की तिकड़ी होने के बावजूद आई सर्जरी के आंकड़े बेहद कमजोर हैं। पिछले दो महीने की मंथली सर्जरी रिपोर्ट में तिकड़ी डॉक्टर के खाते में एक भी माइनर सर्जरी नहीं दर्ज है। जानकार इस पर हैरानी जता रहे। जून व जुलाई दोनों महीने में जहां हॉस्पिटल में एक भी माइनर आई सर्जरी नहीं हुई। वहीं, जून में मेजर सर्जरी के मामले में तीनों डॉक्टर का आंकड़ा कुल भ्फ् ऑपरेशन का रहा। जिसमें सबसे ज्यादा डॉ। एके गौतम के नाम रहे। वहीं जुलाई में यह आंकड़ा तेजी से नीचे गिरा। जुलाई में तीनों आई सर्जन ने कुल क्ख् ही मेजर ऑपरेशन किए। जिसमें डॉ। एके गौतम ने जहां क्क् सर्जरी की। वहीं डॉ। हर्षवर्धन सिर्फ क् और डॉ। संजय कुमार ने एक भी बड़ा ऑपरेशन नहीं किया।

तीन ऑर्थोसर्जन और क्फ् सर्जरी

हॉस्पिटल की ऑर्थोपेडिक सर्जन की तिकड़ी का रिकार्ड भी सर्जरी के आंकड़ों में बेहद खराब है। हॉस्पिटल में डॉ। केएस गुप्ता, डॉ। टीएस आर्या और डॉ। शिवदत्ता पर ही ऑथोपेडिक सर्जरी का जिम्मा है। जुलाई महीने में इन तीनों ऑर्थोपेडिक सर्जन ने कुल क्फ् छोटे बड़े ऑपरेशन किए हैं। जिनमें से 8 मेजर सर्जरी और सिर्फ भ् माइनर सर्जरी शामिल हैं। इसमें सबसे खराब प्रदर्शन डॉ। टीएस आर्या का है जिन्होंने पूरे महीने सिर्फ क् माइनर व क् मेजर सर्जरी ही की। वहीं जून महीने में भी तीनों सर्जन की परफॉर्मेस आंकड़ों के लिहाज से कुछ खास न रही। तीनों सर्जन ने जून में कुल ख्7 मेजर सर्जरी की। इस दौरान महज क्क् माइनर ऑपरेशन किए गए।

एक महीने में गिरी परफॉर्मेस

हॉस्पिटल में हर महीने तैयार होने वाली सर्जन परफॉर्मेस रिपोर्ट के मुताबिक जून के मुकाबले जुलाई महीने में छोटे बड़े ऑपरेशन का ग्राफ तेजी से गिरा। जून महीने में जहां हॉस्पिटल के सभी क्क् सर्जन की ओर से कुल ख्म्ख् मेजर ऑपरेशन किए गए। वहीं जुलाई में यह आंकड़ा महज क्ब्फ् का रहा। यानि एक महीने में ही करीब आधे मेजर ऑपरेशन में कमी। जानकारों के मुताबिक हर महीने ऑपरेशन के अंाकड़ों में अंतर होना नॉर्मल है। लेकिन इतने बड़े अंतर की गुंजाइश न के बराबर ही रहती है। यही हाल माइनर ऑपरेशन का भी रहा। जून में जहां कुल 79 माइनर ऑपरेशन हॉस्पिटल में हुए। वहीं जुलाई में यह आंकड़ा म्0 ऑपरेशन का रहा।

हॉस्पिटल में कई सर्जन के कम ऑपरेशन करने की रिपोर्ट मिली है। इमरजेंसी ऑपरेशन में हो रही लगातार कमी भी गंभीर है। ऐसे सर्जन से जवाब मांगा गया है। ऑपरेशन में सभी सर्जरी की बराबर की जवाबदेही है। - डॉ। आरसी डिमरी, सीएमएस