डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में स्टाफ को एन 90 मास्क और सैनिटाइजर तक मुहैया नहीं

स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए निजी हॉस्पिटल्स बने मरीजों की पहली पसंद

BAREILLY:

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में भले ही दिसंबर 2015 में स्वाइन फ्लू का अलर्ट जारी कर दिया गया था। लेकिन स्वाइन फ्लू की बरेली में मौजूदगी और फिर इस बीमारी से 4 जिंदगी खत्म होने के बाद ही स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार स्वाइन फ्लू वार्ड बनाए जाने के लिए गंभीर हुए। लेकिन जिम्मेदारों की यह गंभीरता क्राइसिस वार्ड का नाम बदलने तक ही दिखी। इस वार्ड में मरीजों के इलाज के लिए जो बुनियादी जरुरत हैं, वहीं मुहैया नहीं है। खुद स्वाइन फ्लू वार्ड का स्टाफ ही इस बीमारी के मरीज के बीच सेफ नहीं है। पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट, पीपीई के तहत वार्ड में स्टाफ की सेफ्टी के लिए महज 100 से 150 रुपए कीमत वाला हैंड सैनिटाइजर तक हॉस्पिटल प्रशासन मुहैया नहीं करा सका है।

नहीं खरीदे गए एन 90 मास्क

स्वाइन फ्लू वार्ड में मरीजों को इलाज देकर दुरुस्त करने की कवायद के बीच ही पैरामेडिकल स्टाफ व नर्स की सुरक्षा भी बेहद अहम है। इसे मेडिकल टर्म में बैरियर नर्सिग कहा जाता है। जिसमें नर्सिग स्टाफ को मरीज के इंफेक्शन से खुद को सेफ रखने के लिए पीपीई के तहत प्रिवेंशन किट, स्टेरलाइज्ड ग्लव्ज और मास्क भी होने चाहिए। वहीं स्वाइन फ्लू जैसी बीमारी के केस में नर्सिग स्टाफ को एन 90 मास्क मुहैया होने चाहिए। लेकिन डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में स्टाफ को सामान्य सर्जिकल मास्क ही मुहैया कराया गया है। जो स्वाइन फ्लू के वायरस से बचाव में पूरी तरह कारगर नहीं। वहीं स्टेरेलाइज्ड की गई प्रिवेंशन किट तक पूरी तरह मौजूद नहीं।

हॉस्पिटल कमेटी का गठन

स्वाइन फ्लू से मौतों का आंकड़ा 5 छूने के बाद स्वास्थ्य विभाग में भी हड़कंप हैं। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में स्वाइन फ्लू बीमारी की रोकथाम और इसके बेहतर इलाज की मॉनिटरिंग के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। इस हॉस्पिटल इंफेक्शन कंट्रोल कमेटी की पहली बैठक 9 फरवरी हो हुई। कमेटी में सीएमएस परवीन जहां, सीनियर कंसल्टेंट डॉ। वीपी भारद्वाज, पूर्व मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ। वीरेन्द्र कुमार, आईडीएसपी डाइरेक्टर डॉ। मीसम अब्बास, फिजिशियन डॉ। अजय मोहन अग्रवाल, चीफ फार्मासिस्ट आरके प्रसाद और हॉस्पिटल मैनेजर धनंजय प्रताप शामिल हैं। कमेटी ने बैठक में एन 90 मास्क और हैंड सैनिटाइजर खरीदे जाने पर मुहर लगाई।

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निजी हॉस्पिटल में भीड़, यहां पड़ा है ताला

गंभीर हालत में पहुंचे मरीज के इलाज के लिए वेंटीलेटर न होना मुसीबत

BAREILLY:

एक ओर तो बरेली में स्वाइन फ्लू के पैर पसारने की आशंका के बीच ही निजी हॉस्पिटल्स में फ्लू, फीवर और संदिग्ध स्वाइन फ्लू मरीजों की लंबी लाइनें लगने लगी हैं। वहीं मंडल के डिविजनल हॉस्पिटल में बनाए गए स्वाइन फ्लू वार्ड में ताला लटका पड़ा है। संदिग्ध और कंफर्म स्वाइन फ्लू बीमारी से से जूझ रहे मरीज महंगे इलाज के बावजूद निजी हॉस्पिटल में इलाज को प्राथमिकता दे रहे। जबकि मुफ्त इलाज दे रहे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल से इस बीमारी का इलाज कराने में मरीजों व उनके परिजनों को दिलचस्पी नहीं। यहां तक डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एडमिट रहे मरीजों ने बाद में निजी हॉस्पिटल में जाकर इलाज कराने को तरजीह दी। गंभीर हालत में एडमिट मरीजों को लाइफ सेविंग इलाज देने के लिए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में वेंटीलेटर मशीन की सुविधा न होने से भी मरीजों को सरकारी व्यवस्था पर भरोसा कम है। वार्ड में मरीजों के इलाज के लिए महज सक्शन मशीन व ऑक्सीजन मशीन की ही सुविधा मुहैया है।

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स्वाइन फ्लू से निपटने को बेहतर इलाज के इंतजाम की कोशिश की जा रही है। इसके लिए एक कमेटी का भी गठन किया गया है। स्टाफ के लिए एन 90 मास्क व अन्य सेफ्टी किट खरीदे जाने हैं। जो संसाधन है उन्हीं से इलाज किया जा रहा है। - डॉ। परवीन जहां, सीएमएस