डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल का क्राइसिस वार्ड सिर्फ दावों में स्वाइन फ्लू वार्ड

वार्ड को आइसोलेट करने का तरीका नहीं, सामने ही है मेल सर्जिकल वार्ड

स्टाफ को एन 90 मास्क और सेनेटाइजर तक मुहैया नहीं, वेंटीलेटर नदारद

BAREILLY:

स्वाइन फ्लू से हुई 5 मौतों से बरेली को दहलाने वाली इस बीमारी की रोकथाम के लिए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के क्राइसिस वार्ड को यूं तो स्वाइन फ्लू वार्ड का दर्जा दे दिया गया है। लेकिन हकीकत में यह वार्ड खुद ही स्वाइन फ्लू का इलाज दे पाने में क्राइसिस का शिकार है। एच1एन1 वायरस की चपेट में आकर गंभीर रूप से बीमार मरीज के इलाज के लिए बुनियादी सुविधाएं इस वार्ड से नदारद हैं। ऐसे में, वार्ड के स्वाइन फ्लू वार्ड की वजूद पर ही सवाल खड़े हो गए हैं। यह जरूर है कि वार्ड के बाहर महज 'स्वाइन फ्लू वार्ड' के प्रिंट चस्पा कर देने भर से स्वास्थ्य विभाग ने यहां बेहतर इलाज का दावा ठोंक रखा है।

वार्ड में नहीं अाइसोलेशन

स्वाइन फ्लू के इलाज के तहत सबसे पहली शर्त वार्ड को आइसोलेट किया जाना है। इसके लिए वार्ड में हेपा फिल्टर मशीन की व्यवस्था होनी चाहिए। हेपा फिल्टर मशीन दरअसल, वार्ड के अंदर पॉजिटिव प्रेशर डेवलेप करती है, जो वार्ड के अंदर के एटमॉसफिरिक प्रेशर से ज्यादा होता है। इससे ऐसा आइसोलेशन सिस्टम बनता है, जिससे वार्ड के अंदर की हवा बाहर नहीं जा पाती और बाहर की हवा अंदर नहीं आ पाती। इससे वार्ड के अंदर एडमिट मरीज का इंफेक्शन वायरस के तौर पर बाहर निकलकर फैल नहीं पाता। हेपा फिल्टर मशीन न होने की सूरत में अन्य एयर फिल्टर का सहारा लिया जा सकता था। लेकिन बरेली मंडल के इस इकलौते डिविजनल हॉस्पिटल में इलाज की पहली अहम जरूरत ही नदारद है।

विजिटर्स कंट्रोल नामुमकिन

स्वाइन फ्लू के इलाज की दूसरी अहम शर्त बिना दूसरों में इंफेक्शन फैले मरीज का इलाज करना है। ऐसे में स्वाइन फ्लू वार्ड के आस पास विजिटर्स कंट्रोल होना बेहद जरूरी है। विजिटर्स कंट्रोल के तहत स्वाइन फ्लू वार्ड के आसपास अन्य बीमारी वाले मरीज, उनके तीमारदार और अन्य लोगों का आना जाना नहीं होना चाहिए। इससे स्वाइन फ्लू से इंफेक्टेड मरीज से वायरस का दूसरों को अपनी चपेट में लेने का खतरा बना रहता है। वहीं स्वाइन फ्लू वार्ड अन्य वार्डो से निश्चित दूरी पर सेपरेट होना चाहिए, लेकिन हॉस्पिटल के स्वाइन फ्लू वार्ड के ठीक सामने ही पुरुष मेडिकल वार्ड हैं, जहां इमरजेंसी से शिफ्ट किए गए मरीजों को इलाज दिया जाता है। ऐसे में स्वाइन फ्लू वार्ड में मरीज का इलाज शुरू होते ही इस वार्ड में एडमिट मरीजों व उनके तीमारदारों को भी इंफेक्शन का खतरा बना रहता है।

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