-मंडलीय हॉस्पिटल में एडमिट लावारिस पेशेंट्स नरक में बीता रहे जिंदगी, वॉर्ड दो में बेड के चादर तक नहीं होते हैं चेंज

=गैलरी में साफ-सफाई न होने से लावारिस पेशेंट्स दुर्गध के बीच खाना खाने को हैं विवश

VARANASI: मंडलीय हॉस्पिटल के वॉर्ड नंबर दो में एडमिट लावारिस पेशेंट्स का हाल बुरा है। यहां गुरुवार की दोपहर एक बजे एंट्री करते ही दुर्गध से एक पल भी रह पाना मुश्किल हो गया। वॉर्ड की गैलरी में लाइन से चार लावारिस पेशेंट्स पड़े हुए थे। इनके बेड से बदबू आ रही थी। फर्श पर जगह-जगह पड़े खून के धब्बे भी इस बात का प्रमाण दे रहे थे कि वॉर्ड की साफ-सफाई नहीं होती। बेड के चादर को देख यही मालूम पड़ रहा था कि उन्हें एक पखवारे से चेंज ही नहीं किया गया है। यही नहीं लावारिस पेशेंट्स का चेकअप भी प्रॉपर नहीं होता है। ड्रिप लगी रहती है लेकिन खत्म होने के बाद चेंज करने के लिए कोई स्टाफ नहीं आता है।

बदबू के बीच खाते हैं खाना

आई नेक्स्ट ने गैलरी में एडमिट लावारिस पेशेंट्स में बंगलुरु के देवराज का हाल जानने की कोशिश की तो पैर में लगी चोट को दिखाते हुए वह बोले कि अभी भी दर्द है। बदबू के बीच ही उनकी थाली में चार रोटी, पानी की तरह दाल व सब्जी के नाम पर सिर्फ आलू के चार टुकड़े व परवल थे। आई नेक्स्ट टीम की इस पर नजर पड़ते ही वह भोजन की थाली को पेपर से ढक दिए। पूछने पर बताया कि यहां इतनी बदबू है कि निवाला गले से उतर नहीं पा रहा है। अकेले देवराज ही नहीं यहां कई और ऐसे लावारिस पेशेंट्स हैं जो बदबू के बीच ही खाना खाने को विवश हैं।

ड्रिप लगाकर भूल जाते हैं

इतना ही नहीं इस वॉर्ड में स्टाफ नर्स व वार्ड बॉय लावारिस पेशेंट्स को ड्रीप चढ़ाकर भूल जाते हैं। लावारिस पेशेंट्स को ड्रीप लगाने के बाद उसे चेंज करने या फिर बदलने के लिए दोबारा कोई स्टाफ नहीं आता है। दर्द से कराहते हुए पेशेंट जब शोर मचाता है तब जाकर स्टाफ भुनभुनाते हुए पेशेंट के पास आता है। एक स्टाफ की मानें तो लावारिस पेशेंट्स बदबू बहुत करते हैं इसलिए जल्दी कोई उनका चेकअप करना नहीं चाहता।

डॉक्टर्स का नहीं होता इंस्पेक्शन

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वॉ‌र्ड्स में डॉक्टर्स का इंस्पेक्शन नहीं होता है। यदि डॉक्टर्स इंस्पेक्शन करते तो उन्हें पेशेंट्स की पीड़ा समझ में आती। गंदगी के बीच उन्हें खाना नहीं खाना पड़ता। जब किसी बड़े ऑफिसर्स का इंस्पेक्शन रहता है तभी खामियों को दुरुस्त किया जाता है।