दीपावली पर हर ओर फैला प्रकाश, मुंह छुपाने पर हुआ मजबूर अंधेरा, रंग-बिरंगे झालरों और दीयों की रोशनी नहाया पूरा शहर

लक्ष्मी-गणेश की पूजा के बाद जमकर हुई आतिशबाजी, हर ओर दिखी पर्व की खुशियां

VARANASI : अमावस की काली रात में अंधेरा गुरुवार को छुपने के लिए ठीहा तलाशता दिखा। अंधेरा जिस ओर भी गया वहां लोगों ने दीपावली का एक दीया जलाकर इसे भागने पर मजबूर कर दिया। यही वजह रही कि गुरुवार की पूरी रात अंधेरा कही नजर ही नहीं आया। सुख-समृद्धि की कामना के साथ विधि-विधान से लक्ष्मी-गणेश का पूजन कर परंपरा का निर्वहन हुआ। घरों से लेकर मंदिरों तक हर जगह लोगों ने दीपों को जगमग किया। घरों की चौखट पर सजी रंगोली के रंगों ने लोगों इस पर्व में और भी जान डाल दी। दीपावली के दिन नये बही खाते के पूजन की मान्यता है। इसके चलते व्यापारियों ने लक्ष्मी गणेश की पूजा के साथ बही पूजन भी किया। कंप्यूटर के बढ़ते चलन के चलते लोगों ने कंप्यूटर-स्टेशनरी आदि की पूजा की।

हर ओर बिखरी रोशनी

गुरुवार को पूरे शहर में दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया गया। लोगों ने अपने घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को गेंदे की माला और अशोक की पत्तियों से सजाया। घरों में तरह-तरह के पकवान बने और सूरज के छिपते ही शहर को कोना कोना रौशनी में डूब गया। झालर, दीये और मोमबत्ती की रोशनी के आगे अंधेरे को हार माननी पड़ी। लोगों ने मंदिरों में दीपदान कर भगवान से सुख और संपन्नता का आशीर्वाद मांगा। मिट्टी के दीयों की जगह मोमबत्ती और झालरों की रोशनी अधिक थी। शहर को जगमग कर रहे चाइनीज झालरों की लडि़यों शहर की हर छोटी बड़ी इमारत को जगमगाने का काम किया।

पंडितों का नहीं मिल रहा था भाव

दीपावली के मौके पर वैसे तो पूरा दिन शुभ होता है लेकिन गोधुली बेला और शुभ मुहुर्त में लक्ष्मी गणेश का पूजन विशेष फलदायक माना जाता है। मान्यता है कि गोधुली बेला में माता लक्ष्मी स्वयं वहां मौजूद रहती हैं जहां पूजन होता है। यही वजह है कि इस वक्त यजमानों की डिमांड को देखते हुए पंडित जी लोगों की अच्छी खासी भागदौड़ हो गई। अमावस्या तिथि को प्रदोष काल शाम को भ्.क्9 बजे से लेकर रात 7.भ्ख् मिनट तक था। हर किसी को इसी खास काल में पूजन करना था। वहीं स्थिर वृष लग्न शाम म्.भ्भ् मिनट से रात 8.फ्0 बजे रात तक था। यजमानों की इच्छा का ध्यान में रखते हुए पंडित जी ने खूब दौड़ लगायी। किसी के यहां समय से नहीं पहुंचे तो यजमान उनका इंतजार करते मिले। कई जगह पंडित जी लोगों ने देर रात भी पूजन कराया।

खूब बिका गेंदा फूल

दीपावली के मौके पर अगर सबसे ज्यादा डिमांड रही थी गेंदा फूल की। घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को सजाने और पूजा में इस्तेमाल करने के लिए गेंदा की माला लोगों ने जमकर खरीदी। यही वजह थी कि माला मंडी से लेकर मुहल्लों में बिक रही गेंदा माला का रेट सातवें आसमान पर रहा। एक नॉर्मल माला फ्भ् से भ्0 रुपये तक बिकी। हालांकि दिन ढलते ढलते माला के रेट भी गिरने लगे। दोपहर में जहां गेंदा माला फ्भ्0 से ब्00 रुपये लच्छी था वहीं शाम को इसका रेट क्भ्0 से ख्00 रुपये हो गया।

मिठाई की दुकानों में रही भीड़

दीपावली के मौके पर शहर की मिठाई की दुकानों पर भी जबरदस्त भीड़ देखने को मिली। हालांकि मिलावट के डर से लोग मिठाइयों की जगह लोगों पैकेट बंद गिफ्ट पैक्स जो ज्यादा तव्वजों दी। विभिन्न कंपनियों के आने वाले सोनपापड़ी, नमकीन, बिस्किट के पैकेट भी जमकर बिके।

पूजा कर फोड़े पटाखे

गुरुवार की शाम दीवाली की पूजा होने के साथ ही आकाश से लेकर जमीन तक हर ओर रोशनी छाई रही। जमीन पर झालरों, दीयों और मोम्बती से रौशनी हुई तो आकाश में पटाखों की चमक और गूंज से पूरा माहौल पर्व की मस्ती में डूबा दिखा। आकाशीय पटाखों ने पूरे आसमान में देर रात तक दीपावली होने का एहसास कराया। वहीं रॉकेट, जलेबी, अनार और बम भी खूब जले।

दूध में आया उबाल, सूरन भी दिखा ताव में

दीपावली पर मार्केट में पूरा दिन भीड़ चपी रही। त्योहार का असर दूध मार्केट में भी देखने को मिला और दूध के रेट में जबरदस्त उबाल आया। नार्मल दिनों की अपेक्षा गुरुवार को दूध के रेट में ख्0 से फ्0 रुपये प्रति लीटर की तेजी रही। मंडियों में दूध म्0 से 70 रुपये प्रति लीटर के भाव बिका। वहीं आम दिनों में किचन से लेकर सब्जी मंडी तक से गायब रहने वाले सूरन भी खूब ताव में रहा। ताव में रहने की वजह थी दीपावली पर सूरन की खास पूछ। मान्यता है कि जसने दीपावली के दिन सूरन नहीं खाया उसका अगला जन्म छछूंदर का होता है। इसी मान्यता के कारण सूरन के भाव में तेजी आ गई और शहर की सब्जी मंडियों में सूरन का भाव पहले की अपेक्षा ख्0-फ्0 रुपये प्रति किलो बढ़ गया। सब्जी मंडियों में सूरन ब्0-म्0 रुपये प्रतिकिलो तक बिका।