- कैबिनेट का अहम फैसला, नियमावली बनाएगी सरकार

- 25 लाख तक मेडिकल मद में देने के लिए सीडीओ नोडल अधिकारी

- राज्य सरकार से स्वीकृत निर्माण संस्था ही कर सकेगी विधायक निधि के तहत काम

LUCKNOW:

मुख्यमंत्री योग आदित्यनाथ की अध्यक्षता में गुरुवार को कैबिनेट में विधायक निधि को लेकर अहम फैसला लिया गया। तय हुआ कि विधायक निधि का काम अब जनप्रतिनिधियों के परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, एनजीओ, मल्टी स्टेट सहकारी समितियों अथवा निजी ठेकेदारों को नहीं दिए जाएंगे। राज्य सरकार ने नीति-निर्धारक सिद्धांतों को मंजूरी प्रदान कर दी है और जल्द ही विस्तृत नियमावली भी तैयार की जाएगी। इसका प्रस्ताव ग्राम्य विकास विभाग ने दिया था।

सरकार से स्वीकृत संस्था को काम

कैबिनेट ने तय किया है कि अब राज्य सरकार से स्वीकृत कार्यदायी संस्था को ही विधायक निधि के काम सौंपे जाएंगे। किसी ऐसी संस्था के कार्यो की संस्तुति विधायक द्वारा नहीं की जाएगी जिसमें वह स्वयं या उनके परिवार का कोई सदस्य संस्था अथवा ट्रस्ट का पदाधिकारी हो। परिवार के सदस्यों में विधायक के माता-पिता, भाई-बहन, बच्चे, पोते-पोतियां और उनके पति अथवा पत्‍‌नी के सास-ससुर शामिल हैं। इसके अलावा किसी भी योजना की अनुमानित लागत 25 लाख रुपये की धनराशि से अधिक नहीं होगी। यदि किसी को इससे ज्यादा की धनराशि दी जा चुकी है तो आगे के काम की अनुशंसा नहीं की जाएगी। साथ ही अब विधायक निधि के कामों के लिए डीएम व सीडीओ को नोडल अफसर बनाया गया है।

- डीएम और सीडीओ द्वारा जिला योजना में शामिल कार्यो की सूची विधायकों को उपलब्ध करायी जाएगी ताकि वे अपनी निधि से कराए जाने वाले कार्यो की अनुशंसा कर सकें

-गुणवत्ता सुनिश्चित करने व निधि के दुरुपयोग को रोकने के लिए प्रदेश स्तर व जनपद स्तर पर गठित तकनीकी समिति के माध्यम से जांच होगी जो रिपोर्ट शासन, डीएम और सीडीओ को देगी

- सीडीओ के अलावा संयुक्त विकास आयुक्त या जिला विकास अधिकारी अथवा परियोजना निदेशक डीआरडीए अथवा उपायुक्त मनरेगा अथवा उपायुक्त एनआरएलएम से भी पांच-पांच फीसद निरीक्षण कराए जाएंगे।

- विधायक द्वारा कार्य की संस्तुति की जाएगी, धन का उल्लेख नहीं किया जाएगा। किसी भी योजना की अनुमानित लागत 25 लाख से अधिक नहीं होगी

- ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतीराज संस्थाओं व शहरी क्षेत्रों में स्थानीय नगरीय निकायों को कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में वरीयता प्रदान की जाएगी

- बहुराज्यीय सहकारी समितियों, गैर सरकारी संस्थाओं, स्वयंसेवी संस्थाओं, सहकारी संघों, सहकारी समितियों व निजी ठेकेदारों के माध्यम से कोई कार्य नहीं कराया जाएगा।

- विभिन्न शासकीय विभागों, राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कार्यदायी संस्था, राज्य सरकार के उपक्रम अथवा निगमित निकाय जो निर्माण कार्य के लिए अधिकृत हैं, को कार्यदायी संस्था के रूप में नामित किया जा सकता है। नामित कार्यदायी संस्था को योजना के तहत कोई सेंटेज चार्ज नहीं दिया जाएगा।